सात समुद्रों की मसी करूँ, लेखनी सब वन राय। सारी धर्ती कागज़ करूँ, सद्गुरु गुण लिखा न जाए।। मैं भक्त ब्रज नन्दन दास, जगत गुरु तत्त्वदर्शी संत रामपालजी भगवान का अनुआयी हूँ। मुझे तो सिर्फ अपने सद्गुरु की अमृत वानियों को सुनने की अनुमति है, फ़िर भी रहा नहीं जाता। अन्य भजनों को भी सुन लेता हूँ। ढ़ोलक - तबला - हारमोनियम - नृत्य आदि वर्जित है। जय घोष कर सकता हूँ, तालियाँ पीटनी भी वर्जित है। फ़िरभी साहेब कबीर भजनों से इतना लगाव है कि रहा नहीं जाता। ऐसे तो साहेब कबीर तम्बूरा बजाकर गया करते थे, वह वर्जित नहीं है। पद्मश्री प्रह्लाद तिपानिया जी को कोटि - कोटि सत्साहेब।। 🌹🙏🌹👌
Sh. Pahlaad tipaniya ji ko koti koti namn ji, Sant Kabir ji ko koti koti bandgi, sab Tu hi tu bhut hi sunder ji ati uttm ji kya gaa kr btaya h ji aapji Rajsthan or hum sbhi Hindustaniyon k seermour ho ji aapji ko koti koti namn ji aapji k darshnarth prteeksha m rhenge ji
कबीर साहिब जी ने अपनी वाणी कहते हैं मुख से कहे कबीर कबीर तो ना कटे काल की जंजीर नाम हमारा सब जग लेता भेद हमारा कोई ना कहता मेरा भेद पावेगा जो सोही उसका सतगुरु गुरु पूरा होई
Ram Ram ji, parnaam ji, sbhi satsang mandl ko, Aaj k din bhi aapji humari bhartiy sanskrti ko bdi hi sahjta se bdi hi sarlta se jivint rkhe huye ho ji, es adhyatmkta ko namn or vishesh sh, pahlaad tipaniya ji ko koti koti namn ji, ati hi sunder ji ati uttm ji, sun kr MN prshann ho gya ji, abhi aapji ko jyadatr sunte h ji aapji ko koti koti namn ji
सतगरू देव की जय हो, जय हो !!! माया मांगू ना काया मांगू, मैं तो मांगू दया। ऐ दया के सागर सतगरू, मेरी पार लगाओ नईया।। कबीर साहेब जी के मूल ज्ञान को हमें भली-भांति समझना चाहिए। कबीर साहेब जी कहते हैं कि :- चौपाई : कबीर मूल राम ना काहू पावे। शाखा डार में जगत भरमावे।। डार शाखा में ध्यान जो धरही। निशचय जाय नरक में परही।। वेद पढ़े और भेद ना जाने। शाखा डार को पुरूष बखाने।। पढे पुरान वेद बखाने। सतपुरूष का भेद ना जाने।। वेद पुराण यह करे पुकारा। सब ही से एक पुरूष नियारा।। ताहि न यह जग जाने भाई। तीन देवों में ध्यान लगाई।। तीन देवों की करे है भक्ति। उनकी कबूह ना होवे मुक्ति।। तीन देवों का अजब ख्याला। देवी देव प्रपंची काला।। इनमें मत भटको अज्ञानी। काल झपट पकड़ेगा प्राणी।। तीन देव पुरूष गम ना पाई। जग के जीव सब फिरे भूलाई।। जो कोई सतपुरूष भजै भाई। ताको देख डरे जम राई।। हमें भली-भांति समझना होगा कि जीवों को तारने वाला वास्तव में अर्थात यथार्थ में सतपुरूष सार शब्द परमात्मा कौन है ? राम राम तो सब कोई कहवे, ठग ठाकुर और चोर। जो राम जीवों को तारे, वो राम है कोई और।। "जीवों को तारने वाला आदि राम ही सतपुरूष है" कबीर साहेब जी अपनी अनेकानेक अमृतवाणियों, चौपाईयों और साखियों में हम अर्थात मानव समाज को यही भली-भांति अपने मूल ज्ञान के माध्यम से समझा रहे हैं। इन मूल ज्ञान को समझने के लिए आप यूट्यूब पर कहत कबीर सुनो भाई साधो चेनल पर ज्ञान विभूति नितीन दास जी महाराज (सतगरू दाता) से समझने के लिए उनकी विडियो सत्संग को एक नंबर से सौ नंबर और आगे देखें सुनें और समझें जी। आपको ढेर सारी जानकारियां और अनुभव मिलेगा जी। बोलो सतगुरू देव की जय हो जय हो।। जय-जय बन्दी छोड़ सत्य कबीर साहेब जी की जय हो जय हो।। साहिब बन्दगी सतनाम।।
All praise to Prahlad Tipania Ji for spreading the Ultimate Devotional Messages of the Great Saint Kabir Sahib Ji among the general public's minds to enable to liberate the soul from its strong bondages. May the Supreme Soul bestow Thy Blessings upon him for his long long healthy life and devotional melodious voice for the continued welfare of mankind. I wish him great success in his lifetime and achiement of life's ultimate goal I.e. Union with the Supreme Soul.
Satguru sat kabir sahib bandhishoad malik ji ki amrutwani sunkar hamara dil bhar jata hei malik ki krupa sada rahe ap sabhi bhagat bhai ko pranam sai bandagi satnam
साहेब बंदगी ''''' सब धरती कागज करू सब वन कलम बनाये सात समुद्र की लेखनी गुरु गुण लिखा न जाय '''''' कबिरा जब हम पैदा हुए जग हँसे हम रोय कुछ ऐसा करके चलो हम हँसे जग रोय 'सुरेन्द्र सिंह सेना रिटायर उ पृ पुलिस कानपुर नगर
साहेब बंदगी साहेब जी परम पूज्य पंथ श्री प्रकाश मुनि नाम साहेब एवं नवोदित वंशाचार्य उदित मुनि नाम साहेब के पावन चरणों मे साहेब बंदगी साहेब। । साहेब बंदगी साहेब
प्रह्लाद जी आपकी वाणी व श्रधा को कोटि-कोटि नमन , आप सांसारिक पारिवारिक मानव जीव के मुक्तिदाता हैं,मानव जीव को भक्ति की शक्ती से बडे मार्मिक ढंग से रूबरू कराने का जो भाव आप मे है वो विरलो मे भी किसी एक मे होता है ।। आपका मुरीद -नरेन्द्र राठौड़ जैसलमेर ( राजस्थान)