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Was ‘Namaste’ coined by Dayānanda Sarasvatī? क्या ‘नमस्ते’ स्वामी दयानन्द सरस्वती की देन है? | Hin 

Nityānanda Miśra
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गृहमन्त्री श्री अमित शाह ने दो दिन पूर्व कहा ‘नमस्ते’ अभिवादन स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने हमको दिया, नहीं तो हम आज अभिवादन के लिए किसी विदेशी शब्द का प्रयोग कर रहे होते। क्या यह सत्य है? देखें इस निष्पक्ष समीक्षा में।
सन्दर्भ:
१) सत्यार्थप्रकाश ६९वाँ संस्करण, अक्टूबर २००८, आर्य साहित्य प्रचार ट्रस्ट, दिल्ली, द्वितीय समुल्लास, पृष्ठ ३८: “बड़ों को मान्य दे, उनके सामने उठ कर जाके उच्चासन पर बैठावे, प्रथम ‘नमस्ते’ करे। उनके सामने उत्तमासन पर न बैठे।”
२) सत्यार्थप्रकाश ६९वाँ संस्करण, अक्टूबर २००८, आर्य साहित्य प्रचार ट्रस्ट, दिल्ली, द्वितीय समुल्लास, पृष्ठ ८४: “यह बात सदा ध्यान में रखनी चाहिए कि पूजा शब्द का अर्थ सत्कार है और दिन-रात में जब-जब प्रथम मिलें वा पृथक् हों तब-तब प्रीतिपूर्वक ‘नमस्ते’ एक-दूसरे से करें।”
३) अभिज्ञानशाकुन्तल, अङ्क ७: नमस्ते कष्टतपसे
४) वाल्मीकि रामायण, श्लोक १.५२.१७:
सर्वथा च महाप्राज्ञ पूजार्हेण सुपूजितः।
गमिष्यामि नमस्तेऽस्तु मैत्रेणेक्षस्व चक्षुषा॥
‘नमस्ते’ और ‘नमस्कार’ पर पिछले चलचित्र।
1) ‘नमस्ते’ कब कहें, ‘नमो वाम्’ कब कहें, और ‘नमो वः’ कब कहें?
• ‘नमस्ते’ कब कहें, ‘नमो...
2) ‘नमस्ते’ और ‘नमस्कार’ में क्या अन्तर है?
• ‘नमस्ते’ और ‘नमस्कार’ ...
3) ‘नमस्कार’ और ‘प्रणाम’ में क्या अन्तर है?
• ‘नमस्कार’ और ‘प्रणाम’ ...

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6 сен 2024

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Комментарии : 396   
@nopek1405
@nopek1405 Год назад
नमस्ते शारदा देवी , काश्मीरपुरवासिनी । त्वां हम प्रार्थये नित्यं , विद्या ज्ञानं च देहि मे ॥
@truthseeker2531
@truthseeker2531 Год назад
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थितां, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
@nyayendar
@nyayendar Год назад
Sanghee superiority complex aur sattaa MAD ke ahankar mein choor rahte hain aur samaaj ko bhramit kiye huve hain.
@gyanendrashukla9379
@gyanendrashukla9379 Год назад
आपकी असाधारण विद्वता को सादर नमन।आप जैसे विद्वत पुरुष सनातन संस्कृति की रक्षा करने के लिए सतत प्रयत्नशील हैं यह हम जैसे लोगों के लिए गर्व का विषय है ।आपको बार बार नमन ।
@Vigyandarshan
@Vigyandarshan Год назад
देन का अर्थ यहा आविष्कार से नही प्रचार से क्यों नहीं ले सकते ? स्पष्ट उनका भाव यही लगता है बाकी स्वामी दयानंद ने कभी नहीं कहा की उन्होंने कुछ नया दिया है उन्होंने यही कहा है की सब सत्य और श्रेष्ठ बाते पहले से वेदों और आर्ष साहित्य में है इसलिए ये विवाद कुछ व्यर्थ प्रतीत होता है पर खेर चर्चा से लोगो को नई बात पता चलती है इसलिये ये भी ठीक है
@gauraangsonkar
@gauraangsonkar Год назад
prachar ka hi to bola hai Nityanand misra ji ne. den aur prachar ke samband ki kya Nirukti laga rahe ho sir!
@gauraangsonkar
@gauraangsonkar Год назад
​​@Dharma Adhyātma Alag Ki Chul reheti Aap logo me! Koi Arya Aapko Pareshan kar raha hai kya idhar? Ye "oreo namazi" kya hai?
@Vigyandarshan
@Vigyandarshan Год назад
@Dharma Adhyātma Jis shabd ka tum samaji ki jagah use kr rhe hai us sampraday ka khandan kiya h unhone satyarth prakash me ..samjhe ?
@ReligioCritic
@ReligioCritic Год назад
​@Dharma Adhyātma Kaisa aadmi hai bhai tu? Main Arya Samaji nhi hoon magar unka bhi bht contribution hai Hindu Dharm mei, kuch bhi mat bol.
@Vigyandarshan
@Vigyandarshan Год назад
@Dharma Adhyātma brahmo samaj ko saaf angrezo chatukaar kaha h .jab kuchh padha na ho to vyarth bakaiti na kiya karo 🤣
@Aghori_Tantrik208
@Aghori_Tantrik208 Год назад
नमस्ते तो वेद, ब्राह्मण, उपनिषद, रामायण, महाभारत आदि में अनेकों बार अभिवादन के रूप में आया है। लेकिन मध्य काल में अनेकों संप्रदायों द्वारा अनेकों अभिवादन प्रचारित कर दिए गए थे। अतः महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने पुनः वैदिक अभिवादन "नमस्ते"का व्यापक प्रयोग किया और जन जन तक नमस्ते को पहुंचा दिया। जिनका अभिवादन तक समान न हो वे कैसे समानता के सूत्र में बंध सकते हैं?? अतः ऋषि ने पुनः उस अभिवादन "नमस्ते" को प्रचारित किया जो हमारे शास्त्रों में विद्यमान है। जिस तरह लोग वेदों को भूल गए थे उसी तरह नमस्ते को भी भूल गए थे, अथवा उसका बहुत ही अल्प प्रचार रह गया था। ऋषि ने दोनों का व्यापक स्तर पर पुनः प्रचार किया, और नमस्ते का जन सामान्य में बहुत प्रयोग हुआ, खेद है कि फिर भी कई तथाकथित शास्त्रार्थ महारथियों(पौराणिक) ने नमस्ते का विरोध किया था।नमस्ते वैदिक अभिवादन है, शेष स्वदेशी और सांप्रदायिक अभिवादन हैं।
@YOGESHKUMAR-cu9ed
@YOGESHKUMAR-cu9ed Год назад
आपको सादर नमस्ते !!! 🙏🙏🙏
@Aghori_Tantrik208
@Aghori_Tantrik208 Год назад
@@YOGESHKUMAR-cu9ed सादर नमस्ते जी 🙏🚩
@exmuslimkafirvedant
@exmuslimkafirvedant Год назад
​@@YOGESHKUMAR-cu9ed नमस्ते 🙏 जय श्री राम
@exmuslimkafirvedant
@exmuslimkafirvedant Год назад
​@@Aghori_Tantrik208 नमस्ते 🙏 जय सीता राम
@NaveenYadav09
@NaveenYadav09 Год назад
एकाएक बड़े ही संगठित तरीके से सनातन धर्म व सनातन मान्यताओं पर हमला तेज हुआ है। इसमें साफ-साफ एक पैटर्न नजर आता है। यह पैटर्न हिंदुओं की म्लेच्छों से चल रहे वाक् द्वंद्व को पटरी से उतार कर सनातनी हिंदू बनाम सांगठनिक हिंदू (किसी संगठन/संस्था/समाज से जुड़े हिंदू) में तब्दील किया जा रहा है ताकि सारे 'एकेश्वरवादी हिंदू संगठन' (पश्चिम के अब्राहमिक भी एकेश्वरवादी हैं) के हिंदू म्लेच्छों के साथ मिलकर (अनजाने ही सही) एक पार्टी व संस्था के पक्ष में लामबंद हों और मुट्ठी भर मूर्तिपूजक सनातनी हिंदू देश में अलग-थलग पड़ जाएं। पैटर्न देखिए:- १) बड़े पैमाने पर देश भर में मंदिर-मूर्ति तोड़े गये। मुट्ठी भर सनातनियों की आवाज को दबाने के लिए उतारे भी गये तो सांगठनिक हिंदू। २) ५० साल के लिए मूर्ति छोड़ दो जैसा बयान दिया गया। ३) जर्मनी की धरती पर कहा गया, पत्थर की मूर्तियों में इंक्रेडिबल इंडिया थोड़े न है? ४) महाभारत कालीन सगे भाई को झूठ बोलकर समलैंगिक घोषित किया गया। ५) भगवान श्रीकृष्ण को अफवाहबाज बताया गया। याद रखिए सांगठनिक हिंदू राम और कृष्ण को भगवान नहीं, महापुरुष मान कर उनके अवतार को निरस्त करने का प्रयास करते रहे हैं। ५) भारत की पहचान बुद्ध और गांधी से है। ६) हनुमान चालीसा बाजारू है। ६) सामवेद का अनुवाद एक बी ग्रेड के म्लेच्छ फिल्म निदेशक से कराया गया‌, जिसकी भाषा तक अश्लील और सड़क छाप है। ६) एक झटके में 'नमस्ते' शब्द को ही वैदिक व पौराणिक परंपरा से अलग कर पश्चिम के 'हैंडशेक' से हाथ मिला लिया गया। याद रखिए करोना काल में सनातनी अभिवादन का तरीका 'नमस्ते' का प्रचलन विश्व में तेजी से बढ़ा था। ७) इसी तरह योग को सनातन धर्म से बाहर करने के लिए बाबा से नेता तक यह बयान देते पाए गये कि इसका हिंदू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है! मेरा विश्वास दृढ़ है कि यह छिटपुट बयान नहीं, इसके पीछे बड़ी सांगठनिक शक्ति है, जो पश्चिम के 'डीप स्टेट' के हित में यह सब कर रही है! आने वाले दिनों में सनातनी, पौराणिक और मूर्ति पूजक हिंदुओं की आस्था, मान्यता, संस्कार और विश्वास पर हमले और बढ़ेंगे, नोट कर लीजिए। #sandeepdeo​
@Nikita-z9i6m
@Nikita-z9i6m Год назад
महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने सदैव यह कहा कि मैं वेदों की पुनर्स्थापना की, वेदों का महत्व बताया। वेद में नमस्ते का वर्णन है वहीं से महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने लिया है,और उन्होंने अपने ग्रन्थों में भी लिखा है कि वेदोक्त होने से और नमस्ते का अर्थ “मै आपका आदर करता हूँ” होने से यह योग्य है। उन्होंने बल दिया इससे महर्षि जी को श्रेय दिया जाता है, महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने सारा श्रेय वेद एवम् परमात्मा को दिया है। आर्य समाज के नियम में लिखा भी है - *वेद सब सत्य विद्यायों का पुस्तक है*
@toxic773ff8
@toxic773ff8 8 месяцев назад
Maharishi , lyterly Maharshi . 🤦
@SanatanResearchOrg
@SanatanResearchOrg Год назад
6:08 : यहाँ यह तर्क ठीक नहीं। जब स्वामी दयानन्द सरस्वती जी सती प्रथा, बाल विवाह आदि कुप्रथाओं का विरोध कर रहे थे तो क्या उसका प्रभाव केवल आर्यसमाजियों पर पड़ा था या पूरे हिन्दू (व बाकि) समाज पर? और जब (लाला लाजपत राय, बिस्मिल आदि) अनेकों आर्यसमाजी स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे थे तो भी क्या इसका प्रभाव केवल कुछ आर्यसमाजियों तक ही सीमित था? बिल्कुल नहीं! तो यह कहना कैसे उचित है कि आर्यसमाज द्वारा 'नमस्ते' के प्रचार से इसका प्रभाव बाकियों पर न पड़ा हो। शेष आपकी बात ठीक ही है कि 'नमस्ते' का प्रयोग स्वामीजी से पहले भी मिलता है, पर हाँ आधुनिक काल में अभिवादन के रूप में 'नमस्ते' जो इतना प्रचलन में आया उसका श्रेय स्वामी दयानन्द जी को अवश्य जाता है। ध्यातव्य है कि उस समय के कई लोग स्वामी जी व आर्यसमाज का यह कहकर विरोध भी करते थे कि 'नमस्ते' केवल ईश्वर के लिए प्रयुक्त होता है (उदाहरण के लिए कालूराम शास्त्री द्वारा रचित पुस्तक 'आर्यसमाज की मौत' का पृष्ठ-९१ देखें; हालांकि इनके सप्रमाण उत्तर पं० मनसाराम जी ने 'पौराणिक पोल-प्रकाश' में दे दिये थे)। अब स्वयं विचार करें कि यदि ब्रिटिश काल में भी 'नमस्ते' इतना प्रचलित था तो स्वामीजी आदि को क्या आवश्यकता पड़ी थी इस पर विशेष जोर देने की तथा उनके विरोधियों को निषेध करने की?
@chandradippandey8553
@chandradippandey8553 Год назад
सटीक व्याख्या।
@rajpurohitsunil396
@rajpurohitsunil396 Год назад
व्याख्या नही समीक्षा की है इन्होंने।
@janardansingh5926
@janardansingh5926 Год назад
प्रणाम ❤
@anjankrishnaprasad2989
@anjankrishnaprasad2989 Год назад
हो सकता है स्वामी दयानंद सरस्वती ने नमस्ते शब्द को वैसे ही प्रचलित किया है जैसे बाबा रामदेव ने योगासन का प्रचार प्रसार किया है।
@amlaanjthengal852
@amlaanjthengal852 Год назад
देन या आविष्कार नहीं किया ये भी सच है।
@Ram47988
@Ram47988 Год назад
@@amlaanjthengal852 बिल्कुल हर व्यक्ति यह बात मानता है अमित शाह हमको आपस मे लड़ा रहा है ऐसी बकवास बात बोलकर
@ratnamurlidharan9885
@ratnamurlidharan9885 Год назад
That’s why Rajas in the olden days were much better than today’s politicians…..They were taught religious principles,war fare, Naya Shastra, Art, Music and many other kalas and kept learned scholars of different fields near them and keep on learning from them throughout their life….that’s why they were great and loved by everyone.
@aa_572
@aa_572 Год назад
🤡
@williamhunter7131
@williamhunter7131 Год назад
Thats why i loved sonia gandhi😂😂.. she is grounded in her culture!!
@arjavgarg5801
@arjavgarg5801 9 месяцев назад
​@@aa_572🤡
@madhavpratapsingh8274
@madhavpratapsingh8274 Год назад
ॐ नमस्ते गणपतये त्वमेव प्रत्यक्षम तत्व मसि..... श्री गणेश अथर्वशीर्ष स्त्रोत
@kshatrapavan
@kshatrapavan Год назад
नमस्ते रुद्र मन्यव उतोत इषवे नमः। यजुर्वेद के रुद्रप्रश्न मे भी हे।
@anitamishra6973
@anitamishra6973 Год назад
Look at the last line of this Shloka from Srimad Bhagavad Gita, Chapter 11, Shloka 39 वायुर्यमोऽग्निर्वरुण: शशाङ्क: प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च | नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्व: पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते || 39||
@user-wd5dm5dk9q
@user-wd5dm5dk9q Год назад
Not just that Here, 130 years before Dayananda Saraswati दुर्गासप्तशती (भास्कर राय, (1690-1785)) नमस्ते रुद्ररूपायै नमस्ते मधुमर्दिनि । नमस्ते कैटभनाशिन्यै (कैटभघ्नि च) नमस्ते महिषार्दिनि नमस्ते शुम्भ ( हन्त्र्यै) हन्त्रि च निशुम्भासुरप्रान्तिनि नमस्ते जाग्रते देवि जपे सिद्धिं कुरुष्व मे ।। ऐंकारी सृष्टिरूपिण्यै ह्रींकारी प्रतिपालिका । क्लीं काली कालरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तुते । चामुण्डा चण्डघातीच (चण्डरूपा) यै कारी कारी वरदायिन विच्चे त्वभयदा (नो भयदा) नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि
@rajpurohitsunil396
@rajpurohitsunil396 Год назад
नमस्ते को पुनः प्रचलन में स्वामी जी ने लाया था।
@MahenderKumar-76
@MahenderKumar-76 Год назад
वेदों को भी प्रचलन में लाए थे अगर नहीं लाए होते तो आर्य समाजी कुराण्ड पढ़ रहे होते 🤔
@poweragain123
@poweragain123 Год назад
Swami Vivekananda Ko bhool gaye kya? Swami ji nissandeh ek achche vidvaan the. Lekin tum swami vivekananda ke yogdanon ko kabhi ginate ho kya?
@rahul-wf9pk
@rahul-wf9pk Год назад
नमस्ते को उसी प्रकार स्वामी दयानंद सरस्वती ने पुनः प्रचलित किया जिस प्रकार उन्होंने वेदों का ज्ञान जनसाधारण के सामने पुनः प्रस्तुत किया। ओउम।
@user-rj6xq4el5f
@user-rj6xq4el5f Год назад
🙏वक्ता के कथन का तात्पर्य समझना चाहिए। लगता है आर्य समाज से द्वेष के कारण जबरदस्ती किसी का खंडन किया है ।अमित शाह ने नमस्ते का आविष्कार नहीं कहा बल्कि एक देन कहा है। जब भारतीय समाज में नमस्ते के स्थान पर अन्य शब्दों का वर्चस्व बढ रहा था और अपने अपने मान्यताओं को प्रकट व प्रचार करने के लिए राम-राम , जय सियाराम , जय श्रीकृष्ण , सिताराम आदि शब्द प्रयोग करने लगे थे जो कि समाज की एकता को बिगाड़ने का कारण है और नमस्ते को भूलने का कारण है। और आगे पाश्चात्य के प्रभाव से हेलो बाय-बाय हो जाना बड़ी बात नहीं है। आज बहुत से लोग करते भी हैं। उस स्थिति में महर्षि दयानंद ने प्राचीन नमस्ते का पुनः प्रचार किया उससे लाभ ये हुआ कि जो नमस्ते को अन्य शब्दों से हीन समझने लगे थे उन्हें यह शब्द पुनः प्रिय लगने लगा और इस शब्द की एकत्व करने वाली शक्ति का लाभ उठाने हेतु नेता आदि प्रतिष्ठित वर्ग ने भी प्रयोग करना प्रारंभ कर दिया जो कि आज तक चला आ रहा है । इस प्रकार एक बड़ी भूल करने वाले समाज को पुनः उस प्राचीन सभ्यता कि ओर जिसने मोड़ दिया उस व्यक्ति के लिए उसकी यह देन है कह देना कोई ग़लत नहीं है। नमस्ते करने के लिए महर्षि ही नहीं बल्कि सृष्टि के आरंभ में ही स्वयं विधाता ने उपदेश दिया था इसके प्रमाण के लिए यजुर्वेद 16.32 देख सकते हैं। महर्षि ने इस प्रकार के बहुत से जो सिद्धांत व आचरण बताएं है वें सब वेद और ऋषियों के द्वारा पहले से ही स्वीकार किए थे। लेकिन उनकी विस्मृति व विकृति को हटाकर पुनः स्थापित का कार्य महर्षि दयानंद सरस्वती ने किया था।😊
@omprakashmishra5572
@omprakashmishra5572 Год назад
पुनाश्च भूयोपी नमो नमस्ते गीता में है परंतु वेदों की ओर लौटो कहते हुए नमस्ते कहने का प्रचलन बहुतायत में ले दयानंद सही कहा अमित शाह जी ने क्योंकि अरबी फारसी और अंग्रेजी का प्रभुत्व बढ़ गया था परंतु पुनः संस्कृत को स्थापित करने हेतु दयानंद जी ने बड़ा बल दिया तभी नमस्ते का पुनः प्रचलन बढ़ा फिर आरएसएस के द्वारा 1925 की स्थापना से पूर्व अघोषित रूप से नमस्ते को विस्तार मिला आप की कही बाते भी सही है
@shyamkantverma1262
@shyamkantverma1262 Год назад
Nityananda ji 🙏 for a very beautiful and detailed Analysis of Namaste abhivadan. I think your guidance in analysing such controversies in near future will be plenty. Thanks.
@maheshrawat3392
@maheshrawat3392 Год назад
नमस्ते 🙏
@dp_1512
@dp_1512 Год назад
I’m a follower of Maharishi Dayanand Sarasvati ji but what Amit Shah Ji said is wrong🥲🥲😅😅 mai khud “Namaskar/Namaste” shabd Valmiki Ramayan se dikha dunga🙂 Mahabharat me bhi references hain…Maharishi Dayanand ji ne namaste aaj ki bhasha me bolne ko kaha hoga but aisa bilkul nhi ki ye shabd unka hi diya hua hai😅😇🙏🏻
@sushant1254
@sushant1254 Год назад
आधुनिक भारत में नमस्ते शब्द के प्रचार का श्रेय महर्षि दयानंद को जाता है । नमस्ते शब्द वेद से लिया गया है ।
@dp_1512
@dp_1512 Год назад
@@sushant1254 theek hai bhrata😊 🙏🏼
@rajpurohitsunil396
@rajpurohitsunil396 Год назад
​@PVC ये आप इन भाषाविद् से पूछे❤❤❤❤
@rajpurohitsunil396
@rajpurohitsunil396 Год назад
@PVC पता वेद का भी नही है और धर्म बचाने आए है।
@rajpurohitsunil396
@rajpurohitsunil396 Год назад
@PVC हा तो में बता रहा हु ना की पहले उनके पुस्तको का अध्यन करो पता चल जायेगा । उन्होंने वेदों का भाष्य किया है जो आसान कार्य नही है ।
@kshatrapavan
@kshatrapavan Год назад
नमस्ते रुद्र मन्यव उतोत इषवे नमः।
@iabhishek_arya
@iabhishek_arya Год назад
नमस्ते शब्द सृष्टि के आदिकाल से ही चला आ रहा हैं और वेद में बहुत से मंत्र ऐसे है जिनमे नमस्ते, नमस्तस्य, नम: शब्द मिलते हैं यह कहना गलत हैं की ऋषि दयानंद के कारण ही भारत में लोग नमस्ते शब्द को जानते है और उन्होने इस नए शब्द की रचना की । उन्होने सिर्फ नमस्ते शब्द को अधिक प्रचलन में लाने का सहयोग किया क्योंकि वेद स्वयं कहते है की प्रीति पूर्वक नमस्ते करना चाहिए 🙏
@prabhatrajput2827
@prabhatrajput2827 Год назад
मिश्रा जी जब महर्षि दयानंद सरस्वती जी का समय था तब भारत की जनसंख्या लगभग 25-30 करोड़ रही होगी और उस समय आर्य समाज का चरमोत्कर्ष था लगभग हर चौथा-पांचवा व्यक्ति आर्य समाजी या प्रभावित रहा होगा । अर्थात उस समय आर्य समाजी काफी अधिक थे तो ये मानने में कोई बुराई नहीं है कि स्वामी दयानंद जी व आगे उनके अनुयायियों ने नमस्ते शब्द का प्रचलन कर दिया । हालांकि नमस्ते शब्द वैदिक साहित्य में है और अति प्राचीन है इसलिए महर्षि दयानंद जी ने पुनः इसका प्रचलन किया ।
@JoginderSingh-xl7zm
@JoginderSingh-xl7zm 8 месяцев назад
Your pronunciation and words are super. They have a melody and touch the heart and soul
@AnshSinghal79
@AnshSinghal79 Год назад
Misra ji apke vishay ke gyankosh ko badhane ke liye bahut bahut dhanyawaad
@kartikeyagaur
@kartikeyagaur Год назад
Namaste word Rig Veda me hai BUT isko famous and daily use me lane ki prerana Maharshi Dayanand ne hi di thi.
@kaustubhpatil4759
@kaustubhpatil4759 Год назад
नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते । शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥१॥
@sanatangaurav2648
@sanatangaurav2648 Год назад
Bahut hi Badhia Vishleshan, balanced. Hum log to khichadi bhasha bolne wale hindu hain. Aap ki shush, sanskritnisht hindi sun kar Aanand aata hai. Aap ko sun sun kar humari bhi hindi achchi ho jaegi aisi Aasha hai. Uttam katya kar rahe hain aap. 👏👏👏
@satishchandsharma7509
@satishchandsharma7509 Год назад
Aapke gyanvardhak vishleshan ke liye haardik aabhaar acharya ji
@RKGUPTA-jm7tb
@RKGUPTA-jm7tb Год назад
पाण्डित्यपूर्ण विश्लेषण के लिए साधुवाद |
@PankajPoddar
@PankajPoddar Год назад
We use ' Ram Ram Sahab" where Sahab is persian contamination in our greetings. We also say Radhe Radhe in our area. Now I live in Pune and Marathis greet each other with Namaskar (not Namaste). I think with time and space, our greetings have been very dynamic.
@realSamarthT
@realSamarthT Год назад
Marathis also say Ram Ram, not everytime Namskar
@cuty0u0ff-w4w
@cuty0u0ff-w4w Год назад
in North Ram Ram Ji ,,, Jai ram jinki bolte hai..
@Sachy_cito
@Sachy_cito 8 месяцев назад
Sahab is an Arabic word. :)
@Partuks
@Partuks 6 месяцев назад
Wonderful explanation as usual.
@Sanatani-ExAbrahamic
@Sanatani-ExAbrahamic Год назад
Moorti Pooja ki Jai .. Moorti Poojakon ki Sadaa hi Vijay hai 🚩🚩
@usha7683
@usha7683 Год назад
Punrnroop se samarthan👍
@vivek8580
@vivek8580 Год назад
Bhai sanatan mee dono ki freedom hai, Brahm ke kisi swaroop ko pujna ya direct brahm ko bhi puj skta hai....
@NaveenYadav09
@NaveenYadav09 Год назад
एकाएक बड़े ही संगठित तरीके से सनातन धर्म व सनातन मान्यताओं पर हमला तेज हुआ है। इसमें साफ-साफ एक पैटर्न नजर आता है। यह पैटर्न हिंदुओं की म्लेच्छों से चल रहे वाक् द्वंद्व को पटरी से उतार कर सनातनी हिंदू बनाम सांगठनिक हिंदू (किसी संगठन/संस्था/समाज से जुड़े हिंदू) में तब्दील किया जा रहा है ताकि सारे 'एकेश्वरवादी हिंदू संगठन' (पश्चिम के अब्राहमिक भी एकेश्वरवादी हैं) के हिंदू म्लेच्छों के साथ मिलकर (अनजाने ही सही) एक पार्टी व संस्था के पक्ष में लामबंद हों और मुट्ठी भर मूर्तिपूजक सनातनी हिंदू देश में अलग-थलग पड़ जाएं। पैटर्न देखिए:- १) बड़े पैमाने पर देश भर में मंदिर-मूर्ति तोड़े गये। मुट्ठी भर सनातनियों की आवाज को दबाने के लिए उतारे भी गये तो सांगठनिक हिंदू। २) ५० साल के लिए मूर्ति छोड़ दो जैसा बयान दिया गया। ३) जर्मनी की धरती पर कहा गया, पत्थर की मूर्तियों में इंक्रेडिबल इंडिया थोड़े न है? ४) महाभारत कालीन सगे भाई को झूठ बोलकर समलैंगिक घोषित किया गया। ५) भगवान श्रीकृष्ण को अफवाहबाज बताया गया। याद रखिए सांगठनिक हिंदू राम और कृष्ण को भगवान नहीं, महापुरुष मान कर उनके अवतार को निरस्त करने का प्रयास करते रहे हैं। ५) भारत की पहचान बुद्ध और गांधी से है। ६) हनुमान चालीसा बाजारू है। ६) सामवेद का अनुवाद एक बी ग्रेड के म्लेच्छ फिल्म निदेशक से कराया गया‌, जिसकी भाषा तक अश्लील और सड़क छाप है। ६) एक झटके में 'नमस्ते' शब्द को ही वैदिक व पौराणिक परंपरा से अलग कर पश्चिम के 'हैंडशेक' से हाथ मिला लिया गया। याद रखिए करोना काल में सनातनी अभिवादन का तरीका 'नमस्ते' का प्रचलन विश्व में तेजी से बढ़ा था। ७) इसी तरह योग को सनातन धर्म से बाहर करने के लिए बाबा से नेता तक यह बयान देते पाए गये कि इसका हिंदू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है! मेरा विश्वास दृढ़ है कि यह छिटपुट बयान नहीं, इसके पीछे बड़ी सांगठनिक शक्ति है, जो पश्चिम के 'डीप स्टेट' के हित में यह सब कर रही है! आने वाले दिनों में सनातनी, पौराणिक और मूर्ति पूजक हिंदुओं की आस्था, मान्यता, संस्कार और विश्वास पर हमले और बढ़ेंगे, नोट कर लीजिए। #sandeepdeo​
@amitathakur5494
@amitathakur5494 Год назад
नमस्ते साहित्य मै था परन्तु जनप्रिय बनाया स्वामी जी ने हमें उस कालखंड की विवेचना करनी चाहिए कीतब समाजकिस स्थिति मे था और कयों स्वामी जी को रह समझाना पडा
@rajunavahal4086
@rajunavahal4086 Год назад
में राजस्थान से हूं वैसे हम नमस्ते की बजाय राम राम सा या जय माता जी री सा बोलते हैं, परन्तु नमस्ते प्राचीन काल से है पर इस समय यह सरकार हिन्दू धर्म का नाश करने पर तूली है क्योंकि इस सरकार को हिन्दू धर्म विरोधी ही अच्छे लगते है,जय सियाराम
@user-xt4qg5dl3j
@user-xt4qg5dl3j Год назад
दयानंद सरस्वती ने कोई बात खुद नहीं लिखी सभी बातें वेदों से और महर्षि ओके ग्रंथों से ली गई है सत्य प्रमाण के साथ
@buddhvivekanand5651
@buddhvivekanand5651 Год назад
राम राम राधे राधे जय श्री राम हर हर महादेव जय श्री कृष्णा
@caniget600subscriberswitho5
जय भवानी
@aryavart_regenerator
@aryavart_regenerator Год назад
महोदय ! आपको अमित शाह का भाषण समझ नही आया । वे कह रहे है , जो मन में आए बोल देने से अभिवादन नही हो जाता । जैसे hello आदाब सलाम भी करना भी भारत में लोग कर रहे थे उसका गौरव भारतीयों में घर कर गया था, लेकिन विश्व में वैदिक धर्म का परचम यदि ऋषि ने न फहराया होता तो अवश्य नमस्ते लोग भूल गए होते । ८०० वर्ष की मानसिक गुलामी और वेदों से दूर हो गए सभी को वेद आदि पर पुनः गौरव करवाने में महर्षि का सबसे बड़ा योगदान था यही वक्ता का विषय है। जैसे मननशील मनुष्य एक दूसरे को सत्कार करने हेतु आपस में जो अर्थपूर्ण नमन करते है , वही अभिवादन होती है। अब बात आती है अमित शाह जी अनुसार हमारी संस्कृत भाषा के संस्कृति में जो प्राचीन अभिवादन है वह क्या थी , तो इस प्रसंग में वक्ता हिंदी आदि प्राकृत के अभिवादन से कहना नही चाह रहा , वह भारतीय मूल की लुप्त हुई परंपरा से बात कर रहा है उसे अंग्रेजो के समक्ष जो डटकर बल दे रहा था वह कौन था, कौन था जिसने कभी भी घुटने ना टेके, न किसी भी परिस्थिति में हिंदुओ को टेकने दिए ? और वह भी संस्कृत भूले हिंदुओ के बीच जो उर्दू अंग्रेजी हुकूमत से भटक गए थे उस वक्त । आप सोचते है आर्य समाजी कम है तो उनका प्रभाव भी कम था, आपको क्या ही ज्ञात की महर्षि के काल में पूरा भारत यूरोप और अमेरिका आदि भारत में आर्य समाज के क्रांति से प्रभावित हुआ पड़ा था, सती प्रथा, प्रथम DAV College, अंग्रेजो के पश्चात भारतीयो के द्वारा Manuscripts की first critical analysis और शोध आदि, बाल विवाह का विरोध , अनेक कुरीतियों से मुक्ति चाहे नशा मुक्ति हो या ब्रह्मचर्य विरुद्ध आचरण , आर्ष क्रांति , वेदों की ओर लौटो का नारा , स्त्री शिक्षा से शुद्र के अधिकारों के लिए आवाज और इस्लाम आदि का खंडन से लेकर आजादी के सूरमा कहलाने जाने वाले लोग आर्य क्रांतिकारी ही थे। सभी विधर्मी जनों से जो सनातन धर्म के लिए लोहा ले रहा था, जो समाज सुधार और सत्य भेदभाव रहित विज्ञान युक्त वैदिक धर्म का प्रचार कर रहा था तो वह है - आर्य समाज तो उसकी शिक्षा का प्रभाव तो पड़ना ही था अमित शाह क्या कह रहे है वह आपको समझ नही आया है। भ्रष्ट हिंदू समाज को महर्षि दयानंद ने ठीक अभिवादन करना सिखाया । जिस काल में हिंदू नाम से कर्म पर्यंत भ्रष्ट हुआ पड़ा था उसी अंग्रेजी हुकूमत में एक संन्यासी अपनी वैदिक धर्म प्रचार पर डटकर आर्यो को उनके खोए अस्तित्व से पुनः जागृत कर रहा था। जैसे , हर हर महादेव , जय श्री राम , राधे राधे ये अभिवादन नही जयघोष होता है इसका मेल मिलाप पर उच्चारण अर्थपूर्ण व्यवहार नही । "नमस्ते" शब्द वेदों में आता है, महर्षि ने उसी प्राचीन वैदिक अभिवादन "नमस्ते" का प्रचार कर समाज सुधार किया है। अमित शाह जी से कोई मिस्टेक नही हुई , हर कार्य को अपने वैदिक संस्कृति अनुसार प्राचीन आर्य जनों के भाती अनुकरण करवाना महर्षि को अभीष्ट था, भ्रष्ट हिंदुओ को वैदिक धर्मोचित आचरण में पुनः लाने का कार्य महर्षि ने किया है इसे ही अमित शाह जानते हुए अपना स्पीच दे रहे है।
@amlaanjthengal852
@amlaanjthengal852 Год назад
दयानन्द स्वरस्वती का देन नहीं था, ये शब्द पहले से था। जैसे योग रामदेव का देन नहीं है। यहाँ बात प्रयोग की नहीं आविष्कार/देन की हो रही है। दोनों के अर्थ अलग है। लोग आर्य नामाज़ी सही बोलतें हैं जैसे E स्लाम में मोहम्मदवाद का अन्धा अनुकरण चलता हैं आर्य समाज में भी दयानन्द के अन्धभक्ति चलता हैं।
@nidhiparkash8434
@nidhiparkash8434 Год назад
We should say as महर्षि दयानन्द सरस्वती and Swami Vivekananda
@rajibsarkar5043
@rajibsarkar5043 Год назад
निर्गुणो निष्क्रियो नित्यो निर्विकल्पो निरञ्जनः। निर्विकारो निराकारो नित्यमुक्तोऽस्मि निर्मलः।।34।। From Atmobodh ....
@anoopkc4034
@anoopkc4034 Год назад
my heart my head my feelings my emotions bow myself before all whosoever saying namaste, anoopkumar arora
@Aghori_Tantrik208
@Aghori_Tantrik208 Год назад
जी, अनुप जी आपको सादर नमस्ते 🙏🙏
@anoopkc4034
@anoopkc4034 Год назад
​@@Aghori_Tantrik208 regards anoopkumar arora
@YouTube___man
@YouTube___man Год назад
दयानंद सरस्वती ने तो स्वयं इसे सनातन कहा है और इसे वेद से रामायण से प्रमाणित किया है
@dilipvelani8512
@dilipvelani8512 6 месяцев назад
माननीय विद्वान समीक्षक महोदय जी! सादर नमस्ते जी! आप का कथन ठीक है कि "नमस्ते" शब्द प्राचीन है। संस्कृत साहित्य में प्रचलित था। लेकिन जैसे वेद को भुला दिया गया, अर्थ का अनर्थ किया गया, उनको विकृत रूप से प्रस्तुत करते हुए अवमूल्यन किया गया, तब महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने *वेद का पुन:उद्धार किया।* वेद की विद्वत समाज और विश्वभर में पुन: स्थापना की। तब वेद के साथ स्वामीजी का नाम जुड़ गया। "वेदोवाले स्वामीजी"! ठीक वैसे ही "नमस्ते" अभिवादन प्राचीन होते हुए भी, उनको पुन: समाज में प्रतिष्ठित करने में स्वामीजी और उनके अनुयायियों ने, आर्य समाजियों ने उनका पुन: प्रचार किया। लोकप्रिय बनाया। उसमें आप को भी कोई संदेह नहीं है। २. आप की आपत्ति विशेष "नमस्ते शब्द महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की देन है।" इस वाक्य में प्रयुक्त "देन" शब्द से ही है। देन का आप शब्दार्थ मात्र पकड़ रहे हो, कि उन्होंने इस शब्द की नई खोज की। वास्तव में स्वामीजी और उनके अनुयायि भी भली प्रकार जानते मानते है कि "नमस्ते का अभिवादन" वैदिक काल से है, अति प्राचीन है। वैदिक है। जो जो भी स्वामीजी ने कहा, लिखा या उपदेश दिया वह सब कुछ उनका अपना निजी नहीं है। वेद से, शास्त्रों से, ब्रह्मा से लेकर जैमिनी ऋषि पर्यंत जो उपदिष्ट है, वही उन्होंने कहा। प्रचलित किया। पुन:उद्धार किया। अत: इस दृष्टि से "साहित्यिक रूप से, अतिशयोक्ति अलंकार की भाषा में" हम कह सकते है कि "नमस्ते" का अभिवादन महर्षि की देन है, जैसे वेद की पुन: स्थापना, नारी उद्धार, अछूत उद्धार, विधवा उद्धार, हिंदी राष्ट्र भाषा का उद्धार इत्यादि सुधार उनकी देन ही है। आप मानो या न मानों, उससे कुछ भी फर्क नहीं पड़ता। ३. स्वामीजी और आर्य समाज के बाद "योग और प्राणायाम" शब्द को व्यापक रूप से फैलाने और करवाने में योगगुरु स्वामी रामदेव जी की देन है। ४. स्वामी दयानंद सरस्वती जी और ८० लाख आर्य समाजी यो के बाद भारत के यशस्वी प्रधान मंत्री जी के द्वारा "नमस्ते" शब्द प्रयोग को वैश्विक स्तर पर ले जाने में नरेंद्र मोदी जी की देन है। विश्व योग दिन के द्वारा योग को अनेक मुस्लिम देशों तक पहुंचाने में नरेंद्र मोदीजी की दीर्घदृष्टि है। तो पूर्वाग्रहों से ऊपर उठते हुए हमें जिन्होंने जो कार्य किया है, उसको धन्यवाद देते हुए, उनके ऋण का स्वीकार करना चाहिए। आप की शाब्दिक विद्वता से ऊपर उठकर व्यवहारिक और आलंकारिक शास्त्र अनुसार अपने मानस को बनाना चाहिए। इस विवेचना से अनेक हिंदुओ तक, अनेक आप के फॉलोअर्स तक आप ने "नमस्ते" शब्द का महत्व बताया, समझाया तदर्थ आर्य जगत की ओर से आप का हार्दिक धन्यवाद और अभिनंदन! "सत्यार्थ प्रकाश" को एक बार पढ़ने की प्रार्थना करता हूं। इस से आप की विद्वता व्यवहारिकता और आध्यात्मिकता की ओर बढ़ेगी। आप के व्यक्तित्व का पूर्ण विकास और उन्नति होगी। यही कामना भावना और प्रार्थना करता हूं। जिज्ञासु योग वेद साधक! दिलीप मुंबई। M: ९८२१३७७००३.
@sheelamagarde6846
@sheelamagarde6846 Год назад
नमस्ते 🙏😊
@nagbelad
@nagbelad Год назад
Very nicely explained Nityanand ji. Namaste shabd kayi stotra mein hai. jaise - namastestu mahamaaye sree peethay surapujite....mahalakhsmi ashtakam.
@YOGESHKUMAR-cu9ed
@YOGESHKUMAR-cu9ed Год назад
आचार्य जी सादर नमस्ते !!! सत्य के अन्वेषण के लिये राजनीति से हटकर आचार्यों, विद्वानों, पण्डितों के द्वारा शुद्ध भावना से शास्त्रार्थ होने चाहिए । राजा जनक की राज्यसभा में भी सत्य की स्थापना के लिये शुद्ध संवाद होते थे । शास्त्रार्थ तो हमारी परम्परा है । केवल सनातन वैदिक धर्म को ही मानने वाले "आर्य" सनातन धर्म से भिन्न नहीं हैं, सनातन वैदिक धर्म को मानने वालों में आर्य तो केवल सम्बोधन मात्र रहा है जो आप हम सब सनातनी लोग करते रहे हैं जो कालांतर में आर्य से अज, अज से अजी और अजी से बिगड़ कर "जी" प्रचलन में आ गया । हमारी अधिकतर मातायें-बहने आज भी अपने पति को "अजी" शब्द से सम्बोधित करती हैं जो पूर्व में "आर्य पुत्र" सम्बोधित करती थी ।
@YOGESHKUMAR-cu9ed
@YOGESHKUMAR-cu9ed Год назад
मेरा कोई नवीन कल्पना वा मतमतान्तर चलाने का लेशमात्र भी अभिप्राय नहीं है किन्तु जो सत्य है उस को मानना, मनवाना और जो असत्य है उस को छोड़ना और छुड़वाना मुझ को अभीष्ट है। - स्वामी दयानन्द सरस्वती - सत्यार्थ प्रकाश
@atulchandratiwari5672
@atulchandratiwari5672 7 месяцев назад
maharshi promoted Namastey and the Aarya samaj did the mighty leg work for it ,i still remember that a small booklet by late Pt Rajendra ,Namastey hee kywo was distrbuted by them with all the examples ,including yours to everybody-i first learnt the standard and time honored practice of ours by this book-not only this but we come to know about Yask ,bhagwan Panini ,Mahabhasya by consistant mensions by maharshi Dayanand -and his rather peculiar disdain towards vardraj and poor Bhatto jee dixit ,anyway salute to you-pl accept my heartfelt thanks for the work you doing
@iXpress
@iXpress Год назад
200 Bollywood movies ne Indians ko Salam use karna sikhya, toh 80Lakh Arya Samji Namaste ko popular karne me role ho sakta hai
@katyanshivay
@katyanshivay Год назад
200 saal se crorero musal man salam bol rahe hai kitne Hindu abhivadan ke liye issko use karte hai.. Air 80 lakh aaj ho.. Dayanand Saraswati ke time to 1 lakh bhee nahi thay..
@onlyindian916
@onlyindian916 Год назад
नमस्ते का उल्लेख शास्त्रों में है मगर परतंत्रता के कारण उसे जनमानस भूल गया था जिसको पुनः पुनर्जीवित स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने किया।
@vishwashpremi3021
@vishwashpremi3021 Год назад
1 view I love your work
@usha7683
@usha7683 Год назад
Aap saty yug ke vidwan hain. Vinmarta ke saath satya.
@-dr.arundevsharma1155
@-dr.arundevsharma1155 Год назад
नमस्ते=नमः ते=मैं आपका आदर करता/करती हूँ । नमस्ते शब्द वेदादि शास्त्रों से आया है, इस आदर सूचक पद का प्रयोग व प्रचार जब बड़े संस्कृत वैय्याकरण एवं वेदादि सत्य शास्त्रों के विद्वान् महर्षि दयानन्द ने किया तो एक-दूसरे का आदरसूचक यह पद प्रसिद्ध हुआ । आर्य=श्रेष्ठ शब्द भी वेद, वाल्मीकि रामायण, महाभारत आदि में है । आर्य विशेषण आर्ष है, वैदिक है ।
@mry2rajput
@mry2rajput 9 месяцев назад
नमस्ते का भावार्थ -मैं आपका मान्य करता हूं।-महर्षि दयानंद सरस्वती
@dasoham5
@dasoham5 4 месяца назад
Namaste stu mahamaye sri pithe sura pujite sankha chakra gada haste mahalaxmi namastute . Namaste garuda rudhe kolhasura bhayankari sarva papa harei devi narayani namastute .
@chitragatha-anshudeepdhusi5752
नमस्तेसु महामाये श्रीपी सुरपूजिते
@aniltiwary7032
@aniltiwary7032 Год назад
Fantastic, sir! Namaste!!!
@bobaxyz150
@bobaxyz150 Год назад
nityanand sir ,aapka hum hriday se samman karte hai aap maharshi dayanand ji ka virodh kariye ,aapka rights hai lekin humare dharm ke liye maharshi dayanand , swami sraddhanand , 1st islamic conversion ko rokne waala aur apne jivan ko balidan karne waale pandit lekhram kripya inko naa bhule 🙏🙏
@usha7683
@usha7683 Год назад
Kya aawashyakta thi dayanand shradhanand ki , sahi satya siksha di jati islam christianity ke aakrantao ki pathykram me . Hum sanatani sab thik kr lete. Murty torrne wale dayanand ka to asmman muhammad ki tarah hi hona chahiye Waise inhone to vishleshan kiya hai uss jhuthe waktavya ka.
@bobaxyz150
@bobaxyz150 Год назад
@@usha7683 ek incident bata do jaha swami dayanand ne hume mandir todhne ki shiksha de rhe hai ulta ram mandir mei 20 aryasamaji balidan diya
@bobaxyz150
@bobaxyz150 Год назад
@@usha7683 1st quran ,bible , pe prashn uthake sanatan ka dhwaja leherane waale maharshi dayanand hi the
@adityanathshanatani2133
@adityanathshanatani2133 Год назад
Isme virodh ki kha baat aa gai bhai Yah bas spashtikaran diya gaya hai... Avashy saraswat ji bahot yogdan diya sanatan ke liye uske liye sabhi sada abhari rahenge 🙏🙏
@amlaanjthengal852
@amlaanjthengal852 Год назад
@@bobaxyz150 दयानन्द जी के योगदान है लेकिन नमस्ते शब्द उनका देन या आविष्कार नहीं हैं। प्रचार और आविष्कार/देन अलग अलग है। यहाँ नमस्ते शब्द के वुत्पत्ति पे बात हो रही हैं किसी के विरोध या सपोर्ट की बात ही नहीं हो रही।
@Sanatani-ExAbrahamic
@Sanatani-ExAbrahamic Год назад
"Sufi Islam Bharat ke liye Gift hai" - Aashiqe Rasool Amit Shah "Mohammad Saahab ne Shanti ka Sandesh diya aur Sufi Islam ko Bharat mein Badhaana hoga" "Bharat ke Pattharon aur Moortiyon mein Incredible India hai kya" ? - Aashiqe Rasool Modi
@bsnegi2800
@bsnegi2800 Год назад
नमस्ते रूद्ररूप्ये नमस्ते मधुमर्दानि नमः कैटभ्य हारिण्ये नमस्ते महिषार्दिनि ।।
@studies3327
@studies3327 Год назад
Mahrishi Dayanand ke kaaran "Namaste" ka prachalan punah badha iska pramaan yah hai ki aaj 1 pratishat arya samaji hain parantu aaj se 150 varsh pahle bhi bhale hi itne the par prabhaav bahut tha, aaj naganya prabhaav hai. Ek videshi magazine mein chhapa tha ki "poorab mein ek aisi agni jal rahi hai, jise bujhaaya na gaya to yah samoochi eesaaiyat ko jalaakar nasht kar degi."
@Yashpromax
@Yashpromax Год назад
Konsi magazine ??
@studies3327
@studies3327 Год назад
@@Yashpromax 1. "the greatest religious movement in india of the past half century." ~ Census report for U.P. for 1911, p. 129, Mr. Blunt, I.C.S., of the United Provinces of Agra and Oude 2. "most conspicuous movement." ~ Sir Herbert Risley, The peoples of India, p. 245 3. "the most important of the Hindu movements in those provinces." ~ Census report for U.P. for 1901, p. 82
@Yashpromax
@Yashpromax Год назад
@@studies3327 sorry bro but ye reformist movements jo aaye the most of the British planned the ki Hinduism mein reform laana h jaise kayi log swami vivekanand ko bhi reformist kehte h vo bhi apni life Mein maansahaar and smoking karte the aur freemason society ke member the toh actually jo reports British banate the agar kuch acha bhi likhte the toh apne faide ke liye jaise yoganand aur unke guru yukteshwar ko bhi British support karte the par vo Bible ko holy science kehte the aur Indian chronology ko bhi bigad ke rakh diya so British ke dwara praised huye reformist movements ki sachai kuch aur hi hoti h jaise aaj aap aur hum aapas mein hi lad rhe h shayad unka yhi plan ho
@studies3327
@studies3327 Год назад
@@Yashpromax ji, par aur sabne christianity ka chhupke se saath diya par rishi dayanand ne khulaa virodh kiya
@studies3327
@studies3327 Год назад
@@Yashpromax "it is a notable fact that the Hindu sectarian movement which appeals most strongly to the educated classes is bitterly opposed to christianity and lays itself out not merely to counteract the efforts of missionaries but to reconvert to Hinduism high caste men who have become Christians." ~Sir Herbert Risley, The peoples of India, pp. 244-5
@prafullakumardas2206
@prafullakumardas2206 Год назад
Mr. Anchore. I have well marked that you are trying to search history from 4 VEDAS to establish your falacious thoughts as Vedic. But you are being disappointed to flow your misconcepts , as ARYA SAMAJ (founded by Rishi Dayananda)IS THERE TO PROVE YOUR THOUGHTS AS FALSE. Please note that Rishi Dayananda has tried to establish " NAMASTE" which was being practiced by ancient people of Aryabarta. Hence Mr. Saha has told purely right that While NAMASTE is being pronounced , RISHI DAYANANDA is automatically coming to memory.
@dharma2025
@dharma2025 Год назад
Namaste astu mahamaye shripithe surapujite, shankh chakra gada haste mahadevi namostute 🙏
@NETKINGSHUBHO
@NETKINGSHUBHO Год назад
excellent video
@bestguy9318
@bestguy9318 Год назад
Great!
@abksmart123
@abksmart123 Год назад
Sir Modi, Amit, Mohan Bhagwat and Doval is targeting sanatan dharam we need to kick them out
@survivalshanu4715
@survivalshanu4715 Год назад
adi Shankarachrya panch dev pujan "नमस्ते ब्रह्मरूपाय विष्णुरूपाय ते नमः । नमस्ते रुद्ररूपाय करिरूपाय ते नमः । विश्वरूपस्वरूपाय नमस्ते ब्रह्मचारिणे ॥ भक्तप्रियाय देवाय नमस्तुभ्यं विनायक ॥"
@AyeManRavoen
@AyeManRavoen Год назад
प्रणाम।
@lavkeshsahu247
@lavkeshsahu247 Год назад
बरनाधम तेली कुम्हारा, स्वपच किरात कोल ..... Is par sir margdarshan jijiye
@jyotivyas9286
@jyotivyas9286 Год назад
Since dayanand was a gujarati...Yeh shah ka gujarati favoritism nepotism hai. Dayanand koi prakhar buddhee ke vyakti nahi the.
@ayanmishra2186
@ayanmishra2186 Год назад
Social Justice cocaine is very addictive Mota Bhai
@jyotivyas9286
@jyotivyas9286 Год назад
नमस्ते 🎉
@utkarshsharmaji
@utkarshsharmaji Год назад
Chad Mishr ji...Has 100+ books but publically admits that Satyarth Prakash ain't one of them, doesn't call the author as Maharishi. 💪
@dgen6268
@dgen6268 Год назад
Because Dayanand is not a Maharishi.
@user-wd5dm5dk9q
@user-wd5dm5dk9q Год назад
@@dgen6268 Arya samajis call him Maharishi. Did Swami Dayananda Saraswati ever called himself a Maharishi himself??
@AAD_242
@AAD_242 Год назад
भाजपा -संध "रामकृष्ण मिशन", "आर्यसमाज" के नाम पर सुधारवादी तथा आधुनिक हिन्दू होने का ढोंग कर रहे हैं, वास्तव में संध भाजपा का गुप्त agenda संपूर्ण अब्राहमणिक व्यवस्था की स्थापना करना है । मोदी तथा संध स्वामी विवेकानंदजी के वेदान्ता विचारधारा आधारित हिन्दू धर्म का उदाहरण देते है तथा मोदीजी स्वामी विवेकानंदजी को आदर्श मानते हैं, परंतु वास्तव में मोदी - संघ स्वामी विवेकानंदजी के "वैदिक इस्लामिक" विचारधारा से भी प्रत्यूजर्ता रखते है । क्यूंकि संघ तथा मोदी वेद तथा वैदिक शिक्षण व्यवस्था से भी प्रत्यूजर्ता रखते है । इससे यह प्रतीत होता है कि स्वामी विवेकानंदजी तथा स्वामी दयानंद सरस्वतीजी का नाम लेकर कोई दूसरा सनातन प्रतिकुल तथा म्लेच्छवादी कार्यावली का संवधन किया जा रहा है ।
@PankajPoddar
@PankajPoddar Год назад
@Aman Jha No. But Lord Krishna did in Bhagvad Gita clearly.
@PankajPoddar
@PankajPoddar Год назад
@Aman Jha Probably. I haven't read Valmiki Ramayan so I can't be sure. I have read Gita a lot and many a times.I request Mishra ji to have a session on it.
@sauryangupta4628
@sauryangupta4628 Год назад
मैं गोरखपुर के पास का रहने वाला हूं। यहां पर लोग नमस्कार नमस्ते जय राम जय राम जी की ऐसे अभिवादन प्रयोग करते है
@jigggro
@jigggro Год назад
Yajur Veda - Namaste Rudra manyava utota ishave namaha Case closed.
@rajpurohitsunil396
@rajpurohitsunil396 Год назад
आज कल आप आर्य समाज से कुछ चिढ़े हुए लगते है । ❤❤❤❤ आपके पास भी उनके तर्को का उतर भी है क्या
@penchant91
@penchant91 9 месяцев назад
देखिए नमस्ते एक वचनीय उपमा है अविवादन का ओर आर्य समजी किसी को सगा होते नहीं सिवाय स्वयं के अनुयाइयों के ओर एक इन्द्र को स्थापित कीये हुवे है वही सब कुछ है उसी से अपने लिए खूब सुख सुविधा शक्षमत मांगते अन्य के लिए उनके नाश की कामना मांगते यधपि नमस्ते बिकशेडणात्मक संवोंधन है ते चूंकि अंत है त्वम उद्भेदन हुआ नम तुमको नमन करते है ये अज्ञात सम्बोधन भी है न कोई रुचि हुई न मेल न समझ बस ते कुछ ऐसा ही गंदगी फ़ाइल रखा है इन आर्य संजियों ने एक तरफ ऋषियों के सनिध्य की बात करते ठीक इसके बिपरित उनके ही सिद्धांत का खंडन भी कर देते जैसे ऋषि जैमिनी ज्योतिष आचार्य भी हुवे अब ये ज्योतिष को ही सिरे से खंडन कर देते तो क्या बोलिएगा यधपि इस्लाम ईसाई के संदर्भ मे इनका कार्य प्रसंशनीय है किन्तु लंक्षित ये सनातन को भी कम न करते ले देकर विज्ञान आधारित कलाबाजियों के पैरोकार है उसी को आधार बनाते ओर थोपते अध्यात्म से कोसों दूर दूर तक कोई वास्ता इनका नहीं चूंकि विज्ञान का आधार ही जो ज्ञान विकृत हो जाए उसका अनुशरण करना ही विज्ञान है अब ये इसे के अनुयाई है
@sindhunaik1026
@sindhunaik1026 Год назад
कुछ समय पहले अंग्रेजों ने भारत में "हेलो " शब्द को बल दिया था ,और बल जोर भी पकडऩे लगा हि था कि उसी वक्त " नमस्ते ट्रंप" से "नमस्ते" शब्द जोर देनेलग।
@MasterYourWords108
@MasterYourWords108 Год назад
Namaste tu mahamaye..... lakshmi ashtakam
@vishwanathtayal5444
@vishwanathtayal5444 Год назад
नमस्ते हरषे शोचिषे नमस्ते असत्वरचिषे। यजुर्वेद ३६,वा अध्याय, नमस्ते अस्तु विधुते
@user-rc1xg6kd2t
@user-rc1xg6kd2t Год назад
नमस्ते शारदे देवी काश्मीरपुरवासिनि त्वामहं प्रार्थये नित्यं विद्यादानं च देहि मे ॥ - - आदि शंकराचार्य
@ashutoshkumarjha4706
@ashutoshkumarjha4706 Год назад
ऐसे हजारों , लाखों हैं जो प्रति वर्ष विशेषतया सावन के महिने में तो अवश्य ही रुद्राभिषेक में शामिल होते है । अभिषेक मंत्र में यजुर्वेद का नमस्ते रूद्र मन्यव उतोत इषवे नम: बहुत प्रसिद्ध है । यहीं से नमक चमक स्तोत्र आरंभ होता है ।
@kishore1315
@kishore1315 Год назад
नित्यानंद जी "स्वामी" दयानंद सरस्वती और आजकल के "स्वामी" ओ में कुछ अंतर है या नहीं? क्योंकि दोनो ही स्वामी ही है। आपसे इस विषय मे जानने की प्रतीक्षा रहेगा।
@ashoksinghal5620
@ashoksinghal5620 Год назад
Politicians talk and say in hyperbole to please audience especially when invited by particular organisation. We were told that Namaste should be used for God while Namsakar should be towards people.
@bsthakur6227
@bsthakur6227 Год назад
देव दयानंद की जय
@PankajPoddar
@PankajPoddar Год назад
One can find namah or related words in Dhammapada and other texts related to Bhagavan Buddha (now known as a different faith- Buddhism).
@anikettripathi7991
@anikettripathi7991 9 месяцев назад
We already have pranam and namaskar as Bharat culture. Both are very specific places and purpose and can't be used routinely so advanced version namastey was created so that it can be used commonly and routinely. Every culture has own ways of greetings and reciprocation. Bharat has infinite.
@Bhudev_999
@Bhudev_999 Год назад
Manuwad 💪💪💪
@temuzin879
@temuzin879 Год назад
स्वामी दयानंद ने नमस्ते शब्द नही दिया बल्कि उन्होंने नमस्ते शब्द का प्रचार किया, नमस्ते शब्द तो आर्ष ग्रंथो में ही है। मैं खुद आर्यसामाज से हु। पर आपलोग हमलोगों से इतना नफरत क्यों करते हो? यहां कमेंट से स्वामी जी को गाली क्यों दे रहे लोग? मैं तो खुद को सनातनी समझता था पर यहां हमलोगों को नमाजी कह रहे है। अब पता लग गया आपलोगो से कि हम अलग है। नफरत से नफरत जन्म लेती है। हम अलग है तो हमे अलग ही कर दो। फिर मत कहना कि तुम्हारे पूर्वज हिन्दू थे, तुम हिन्दू हो क्योंकि तुमलोग खुद अलग किये हो।
@amlaanjthengal852
@amlaanjthengal852 Год назад
दयानन्द स्वरस्वती का देन नहीं था, ये शब्द पहले से था। जैसे योग रामदेव का देन नहीं है। यहाँ बात प्रयोग की नहीं आविष्कार/देन की हो रही है। दोनों के अर्थ अलग है। लोग आर्य नामाज़ी सही बोलतें हैं जैसे E स्लाम में मोहम्मदवाद का अन्धा अनुकरण चलता हैं आर्य समाज में भी दयानन्द के अन्धभक्ति चलता हैं।
@studies3327
@studies3327 Год назад
@@amlaanjthengal852 naach na jaane aangan tedha🤣😂 tumhaare paas jab tark naheen hota to rone lagte ho.
@sumedhag8900
@sumedhag8900 Год назад
आपके इतने अत्यधिक विश्लेषण से ही पता चल गया कि अमित शाह की बात में भी कुछ तो दम है रहा ही।
@harpalsinh8414
@harpalsinh8414 Год назад
नमस्कार
@YOGESHKUMAR-cu9ed
@YOGESHKUMAR-cu9ed Год назад
सर्वतन्त्र सिद्धान्त अर्थात् साम्राज्य सार्वजनिक धर्म जिस को सदा से सब मानते आये, मानते हैं और मानेंगे भी। इसीलिये उस को सनातन नित्य धर्म कहते हैं कि जिस का विरोधी कोई भी न हो सके। यदि अविद्यायुक्त जन अथवा किसी मत वाले के भ्रमाये हुए जन जिस को अन्यथा जानें वा मानें उस का स्वीकार कोई भी बुद्धिमान् नहीं करते किन्तु जिस को आप्त अर्थात् सत्यमानी, सत्यवादी, सत्यकारी, परोपकारी, परोपकारक; पक्षपातरहित विद्वान् मानते हैं वही सब को मन्तव्य और जिस को नहीं मानते वह अमन्तव्य होने से प्रमाण के योग्य नहीं होता। अब जो वेदादि सत्यशास्त्र और ब्रह्मा से ले कर जैमिनिमुनि पर्यन्तों के माने हुए ईश्वरादि पदार्थ हैं जिन को मैं भी मानता हूँ; सब सज्जन महाशयों के सामने प्रकाशित करता हूँ। मैं अपना मन्तव्य उसी को जानता हूँ कि जो तीन काल में सब को एक सा मानने योग्य है। मेरा कोई नवीन कल्पना वा मतमतान्तर चलाने का लेशमात्र भी अभिप्राय नहीं है किन्तु जो सत्य है उस को मानना, मनवाना और जो असत्य है उस को छोड़ना और छुड़वाना मुझ को अभीष्ट है। यदि मैं पक्षपात करता तो आर्य्यावर्त्त में प्रचरित मतों में से किसी एक मत का आग्रही होता । - महर्षि दयानन्द सरस्वती - सत्यार्थ प्रकाश - स्वमन्तव्यामन्व्यप्रकाश:
@vishwanath1761
@vishwanath1761 Год назад
Namaste se jyada atmeeya bhav Namaskaar mein hai. Jagah jagah bhinn bhinn prakar ke abhivadan hai.. Kerala mein Namaskaaram Karnatak aur Andhra mein Namaskaara kehte hain. Maharashtra mein Namaskaar use hota hai. Tamil mein Vanakkam kehte hain. Bengal mein Nomoshkar kehkar abhivadan hota hai.
@vaidikabhishek8431
@vaidikabhishek8431 Год назад
जनसामान्य में प्रचलित किया है ।
@pramodagrawal7112
@pramodagrawal7112 Год назад
सभी विचारधाराओं के धार्मिक किताबों अनुसार ईश्वर सगुण साकार सिद्ध होते हैं। सम्पूर्ण विश्व में सभी लोग किसी न किसी प्रकार से मूर्ति पूजा या चित्र से प्रभावित होते हैं। पुराणों का भी अति महत्व है। निराकार ब्रह्म अगाध और खारे पीने के अनुपयोगी जल के समान और सगुण साकार भगवान श्री कृष्ण सुवासित ठंडे मीठे सुवासित अमृतसम तृप्ति प्रदान करने वाले पानी के समान। निराकार ब्रह्म सरकार के समान और सगुण साकार भगवान सार्वभौम सम्राट और राष्ट्राध्यक्ष के समान।
@snehalatapadhi9424
@snehalatapadhi9424 Год назад
Namaste word z found many Devi n devata stuti s How can Amit Shah says that it z coined by maharshi Dayanand Saraswati ??
@snehalatapadhi9424
@snehalatapadhi9424 Год назад
Namah te means namaste It z a Sanskrit word means I see the divine in u n bow down to HIM
@pranjaldewangan4221
@pranjaldewangan4221 9 месяцев назад
Hi Sir, i really want to practice khari hindi. Can you suggest some books for it?
@rajaramtiwari2556
@rajaramtiwari2556 Год назад
गृहमंत्री अमित शाह राजनीति के तहत एक सरासर झूठ बोल दिया है, राजनीति बड़ी घृणास्पद विषय है!
@manjulsharma186
@manjulsharma186 Год назад
प्रचलित किया या देन है आम बोलचाल की भाषा है ।बात को बेवजह तूल देने वाली बात है।
@amlaanjthengal852
@amlaanjthengal852 Год назад
दयानन्द स्वरस्वती का देन नहीं था, ये शब्द पहले से था। जैसे योग रामदेव का देन नहीं है। यहाँ बात प्रयोग की नहीं आविष्कार/देन की हो रही है। दोनों के अर्थ अलग है। लोग आर्य नामाज़ी सही बोलतें हैं जैसे E स्लाम में मोहम्मदवाद का अन्धा अनुकरण चलता हैं आर्य समाज में भी दयानन्द के अन्धभक्ति चलता हैं।
@manjulsharma186
@manjulsharma186 Год назад
@@amlaanjthengal852 हम कहते है हमारे मां बाप ने हमे संस्कार दिए तो क्या समाज में पहले संस्कार नही थे? माता पिता का नाम लेते है। के नही ?नमस्ते शब्द वेदों।में था वहां से आपको दिया और परचलित करने पर जोर दिया। बस इतनी सी बात है।
@williamliamsmith4923
@williamliamsmith4923 9 месяцев назад
महाराष्ट्रमें प्रायः नमस्ते का प्रयोग नही होता हैं। “नमस्कार” या “राम राम” का प्रयोग बहुशः होता हैं।
@Deepak_Arya
@Deepak_Arya Год назад
Ye kisi ne ni kha ki namaste shabd ka prayog sabse phle dayanand ji ne kiya....baat keval itni hai ki dayanad saraswati ji ne namaste abhivadan ko fir se jivit kiya.....ye to satya hai...isse koi muj ni mod skta.....
Далее
Starman🫡
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IT'S MY LIFE + WATER  #drumcover
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