Understanding the deep philosophy about the creator of this universe is not easy. Scientists are doing their part externally but believers believe that it's more of an internal thing. This channel will introduce insights about the god. Watch God Channel Cover Topics like: Mahabharata, Ramayana, Vedas, Purana etc.
Jo karna bheem ke samne tik nehi paa raha wo bhala Arjun ke samne Kiya hai eahi se hi pata chalta hai ki karna kitna badaa jhoota or dinge hank na Bala yodhaa thaa wo karna ta bol ta thaa ki mai dhyordhan ki raskhya karunga or useke bhaiyo ka rakshya karunga par yaha to karna ke hi wahjese dhyrodhan ki bhai mar rahe hai karna ek jhoota or matlabi yodhaa thaa jo srif jhoot bol ta thaa or dhyordhan ko uska thaa adharam ki liye
Karn se nich or gatiya aadmi koi nhi tha mahabhrat mai. Dropadi ko vesya khne wala, lakshagarh mei droyodhan ka sath dene wla, abhimanuyu vadh mei karn hi tha usne sari maryadaye todi hain usne sare galt kaam mei droyodhan ka sath diya. Siksha bhi chori se prapt ki. Toh uske sath jo bhi hua acha hua.
एक राष्ट्र भारत हासतीना पुर भारत माँ एक आत्मा हे शीवशती़ एक राष्ट्र हे जेब धरती पर एक माहा मारी आती हे जो पाप बडता हे तो भारत माँ जग जाती. हे आजही देश पर कोई सकट आताहे तो माँ भारती ऊठकर खडी होती हेपुरे सेने राजमे समेठे हे वीर सेने राजमे गुपत घरमे होते हे भारत देशमे कोईसकट आयेतो वो आत्मा कोपता होता हे ईवध भुमी रकत भुमी रग भुमी एक हे राज माँ ता के हीसाब से सीषटी चले भारत माँ
Sir ji.... Chakravyuh me me to Abhiman6u k haanyho Doryodhan putra Laxman kumar b mara gya tha... to Abhimnyu k shav par Kautav naach rhe the esa kaha jata h... to ye baat kitni sahi h... Laxman k vadh par Kaurav paksha ka haal kesa the rk story bataye... or kaha jata h, Dushadhan k puyra ne Abhimanyu k sat par gda maar ke use mara tha... to plz usska naam b bataye...
आज भी विराट नामक स्थल है, जो अब महाराष्ट्र के अमरावती जिले के मेलघाट (उस समय मे मत्स्य देश) क्षेत्र मे है, आज इसे वाहा वैराट कहते है, और वो जगह जहां किचक वध हुआ था, वो चिखलधरा ( किचकदरा) एक hillstation के रूप में विद्यमान है। और अमरावती (विदर्भ) माता रूखमणी का मायका और भगवान श्रीकृष्ण की ससुराल कौड़न्यपुर भी है🙏
कर्ण माता कुंती के वचनों से बंधे होने के कारण तथा भ्रातृ प्रेम के कारण भीम, नकुल, सहदेव और युधिष्ठिर से लापरवाही से युद्ध करते थे जबकि ये चारों कर्ण के सामने एक छौने से अधिक कुछ भी नही थे महादानी कर्ण ने अकेले ही सारी पृथ्वी पर दिग्विजय प्राप्त की थी ये सब कर्ण के सामने दूध पीने वाले बालक से अधिक नही थे जिस जरासंध को भीम ने अर्जुन और श्रीकृष्ण की सहायता से छल से 28 दिनों में मार पाया उसी जरासंध को कर्ण ने कुछ ही घंटों में पराजित करके अपने अधीन कर लिया था जिस महान धनुर्धारी भगदत्त ने भीम को रगड़ दिया था भीम जान बचा कर भाग गया उसी भगदत्त को कर्ण ने पराजित कर अपने अधीन किया, ध्यान रहे इन्ही भगदत्त से श्रीकृष्ण ने अर्जुन को वैष्णव अस्त्र से बचाया अर्जुन घबड़ा गया था भगदत्त के सामने फिर अर्जुन ने छल से भगदत्त की जान ली कर्ण की वासवी शक्ति से घबड़ा कर अर्जुन इधर उधर भागता रहा, युद्ध के 16वें दिन कर्ण ने अर्जुन को अपने वश में कर लिया था अर्जुन को मार डालता लेकिन संध्या होने के कारण कर्ण ने अर्जुन को छोड़ दिया युद्ध के 17वें दिन भी कर्ण अर्जुन से बेहतर ही साबित हो रहा था और उसे मार ही डालता ये भी ध्यान रखना है कि कर्ण का रथ साधारण था, सारथी साधारण था और अर्जुन सदैव अग्नि देव द्वारा दिए दिव्य रथ पर बैठ कर युद्ध किया जिनमें इंद्र के दिव्य अस्त्र शस्त्र भी थे और स्वयं श्रीकृष्ण कर्ण पर उसकी माता के वचनों का psychological pressure भी था, दुख होता है जब ये सब देखते हुए भी अनपढ़ गंवार टाइप लोग कर्ण की हंसी उड़ाते हैं इन मूर्ख लोगों ने महाभारत पढ़ा ही नही¡