महाभारत में दिव्य दृष्टि प्राप्त कर संजय नें कैसी कैसी दुर्लभ बातें बताई ।
संजय नें भारत वर्ष का सम्पूर्ण वर्णन किया ।
कलयुगी मनुष्य कैसे होंगे उसके विषय में भी बताया ।
भारत की नदियाँ
बाहुदा, महानदी, शतद्रु, चन्द्रभागा, महानदी यमुना, दृषद्वती, विपाशा, विपापा, स्थूलबालुका, वेत्रवती, कृष्णवेणा, इरावती, वितस्ता, पयोष्णी, देविका,वेदस्मृता, वेदवत्ती, त्रिदिवा, इक्षुला, कृमि, करीषिणी, चित्रवाहा तथा चित्रसेना नदी। गोमती, धूतपापा, महानदी वन्दना, कौशिकी, त्रिदिवा, कृत्या, निचिता, लोहितारणी, रहस्या, शतकुम्भा, सरयू, चर्मण्वती, वेत्रवती, हस्तिसोमा, दिक्, शरावती, पयोष्णी, वेणा, भीमरथी, कावेरी, चुलुका, वाणी और शतबला। नरेश्वर! नीवारा, अहिता, सुप्रयोगा, पवित्रा, कुण्डली, सिन्धु, राजनी, पुरमालिनी, पूर्वाभिरामा, वीरा (नीरा), भीमा, ओघवती, पाशाशिनी, पापहरा, महेन्द्रा, पाटलावती, करीषिणी, असिक्नी, महानदी कुशचीरा, मकरी, प्रवरा, मेना, हेमा, घृतवती, पुरावती, अनुष्णा, शैब्या, कापी, सदानीरा, अधृष्या और महानदी कुशधारा।
सदाकान्ता, शिवा, वीरमती, वस्त्रा, सुवस्त्रा, गौरी, कम्पना, हिरण्वती, वरा, वीरकरा, महानदी पञ्चमी, रथचित्रा, ज्योतिरथा, विश्र्वमित्रा, कपिञ्जला, उपेन्द्रा, बहुला, कुबीरा, अम्बुवाहिनी, विनदी, पिञ्जला, वेणा, महानदी तुंगवेणा, विदिशा, कृष्णवेणा, ताम्रा, कपिला, खलु, सुवामा, वेदाश्र्वा, हरिश्रावा, महापगा, शीघ्रा, पिच्छिला, भारद्वाजी नदी, कौशिकी नदी, शोणा, बाहुदा, चन्द्रमा, दुर्गा, चित्रशिला, ब्रह्मवेध्या, वृहद्वती, यवक्षा, रोही तथा जाम्बूनदी। सुनसा, तमसा, दासी, वसा, वराणसी, नीला, धृतवती, महानदी पर्णाशा, मानवी, वृषभा, ब्रह्ममेध्या, बृहद्वनि,कृष्णा, मन्दगा, मंदवाहिनी, ब्राह्मणी, महागौरी, दुर्गा, चित्रोत्पला, चित्ररथा, मञ्जुला, वाहिनी, मंदाकिनी, वैतरणी, महानदी कोषा, शुक्तिमती, अनंगा, वृषा, लोहित्या, करतोया, वृषका, कुमारी, ॠषिकुल्या, मारिषा, सरस्वती, मंदाकिनी, सुपुण्या, सर्वा
भारत वर्ष के जनपद
सिंधु-पुलिंद, उत्तमाश्र्व, दशार्ण, मेकल, उत्कल, नैकपृष्ठ, धुरंधर, गोधा, मद्रकलिंग, काशि, अपरकाशि, जठर, कुक्कुर, दशार्ण, कुंति, अवन्त, अपरकुंति, गोमंत, मन्दक, सण्ड, विदर्भ, रूपवाहिक, अश्मक, पाण्डुराष्ट्र, गोपराष्ट्र, करीत, अधिराज्य, कुशाद्य तथा मल्लराष्ट्र । वारवास्य, अयवाह, चक्र, चक्राति, शक, विदेह, मगध, स्वक्ष, मलज, विजय, अङ्ग, वङ्ग, कलिङ्ग, यकृल्लोभा, मल्ल, सुदेष्ण, प्रह्लाद, माहिक, शशिक, बाह्लिक, वाटधान, आभीर, कालतोयक, अपरान्त, परान्त, पञ्चाल, चर्ममण्डल, अटवीशिखर, मेरूभूत, उपावृत्त, अनुपावृत्त, स्वराष्ट्र, केकय, कुन्दापरान्त, माहेय, कक्ष, सामुद्रनिष्कुट, बहुसंख्यक अन्ध्र, अन्तर्गिरि, बहिर्गिरि, अङ्गमलज, मगध, मानवर्जक समन्तर प्रावृषेय तथा भार्गव। पुण्ड्र, भर्ग, किरात, सुदृष्ट, यामुन, शक, निषाद, निषध, आनर्त, नैर्ॠत, दुर्गाल, प्रतिमत्स्य, कुन्तल, कोसल, तीरग्रह, शूरसेन, ईजिक, कन्यकागुण, तिलभार, मसीर, मधुमान् , सुकन्दक, काश्मीर, सिन्धुसोवीर, गान्धार, दर्शक, अभीसार, उलूत, शैवाल, बाह्लिक, दार्वी, वानव, दर्व, वातज, आमरथ, उरग, बहूवाद्य, सुदाम, सुमल्लिक, वध्र, करीषक, कुलिन्द, उपत्यक, वनायु, दश, पार्श्वरोम, कुशबिन्दु, कच्छ, गोपालकक्ष, जाङ्गल, कुरूवर्ण, किरात, बर्बर, सिद्ध, वैदेह, ताम्रलिप्तक, ओण्ड्र, म्लेच्छ, सैसिरिध्र और पर्वतीय इत्यादि। भरतश्रेष्ठ! अब जो दक्षिण दिशा के अन्यान्य जनपद हैं उनका वर्णन सुनिये- द्रविड़, केरल, प्राच्य, भूषिक, वनवासिक, कर्णाटक, महिषक, विकल्प, मूषक, झिल्लिक, कुन्तल, सौहृद, नमकानन, कौकुट्टक, चोल, कोङ्कण, मालव, नर, समङ्ग, करक, कुकूर, अङ्गार, मारिष, ध्वजिनी, उत्सव-संकेत, त्रिगर्त, शाल्वसेनि, व्यूक, कोकबक, प्रोष्ठ, समवेगवश, विन्ध्यचुलिक, पुलिन्द, वल्कल, मालव, बल्लव, अपरबल्लव, कुलिन्द, कालद, कुण्डल, करट, मूषक, स्तनवाल, सनीप, घट, सृंजय, अठिद, पाशिवाट, तनय, सुनय, ॠषिक, विदभ, काक, तङ्गण, परतङगण, उत्तर और क्रूर अपरम्लेच्छ, यवन, चीन तथा जहां भयानक म्लेच्छ जाति के लोग निवास करते हैं, वह काम्बोज। सकृद्ग्रह, कुलत्थ, हूण, पारसिक, रमण-चीन, दशमालिक, क्षत्रियों के उपनिवेश, वैश्यों और शूद्रों के जनपद, शूद्र, आभीर, दरद, काश्मीर, पशु, खाशीर, अन्तचार, पह्लव, गिरिगहवर, आत्रेय, भरद्वाज, स्तनपोषिक, प्रोषक, कलिङग, किरात जातियों के जनपद, तोमर, हन्यमान् और करभञ्जक
Bhishma Parv Episode 3
(भीष्म पर्व: अध्याय 4,5,6)
Bhishma Parv Episode 3 (Previous)
• कैसे बना है ये संसार |...
NOTE:
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/ @watchgod
28 июн 2024