Arya means noble, one who follow path of humanity. Veda says मनुर्भव means be human, rational, logical and just. Our aim is to make humans like this, to become an Arya.
जय ययाति जय पुरूवंशी जय कुरुवंशी जय जय भरतवंशी जय शान्तनु जय कुलदेवी मां गंगा जयआराध्य देव श्री बलराम जीजय बीसलदेव किराडू किला किराडू मंदिर बाड़मेर राजस्थान जयअखिलभारतीय किरार क्षत्रिय महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती साधना सिंह शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश।
ऐसा शायद दुनिया me एक मात्र उदाहरण जहा जनता, राजा मनु के पास जाकर कह रही हैं, आप हमारे राजा बन जाओ, और वो बन गया, कौन सी सदी की किस क्षेत्र की बात हैं,
द्रावांशी stree ka praman nahi hain Surya ko pani pilane ka kam Chandra karta hain Surya ka ant kkarata hain aur Chandra main voh samarth hain Chandra main Surya ki bad main sirf Chand kam karta hain
26 अप्रैल 1864 मुल्तान के प्रसिद्ध सरदाना खानदार में एक वीर का जन्म हुआ जिसमें 26 साल के उम्र काल में अपनी वीरता कलम और बुद्धि से पूरी दुनिया का नजरिया बदल दिया।जिनका नाम था पंडित गुरुदत्त विद्यार्थी पंडित गुरुदत्त को ऋषि दयानंद के प्राचीन आर्य समाज के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि माना जाता है . गुरुदत्त के विद्यार्थी जीवन में वीर ज्ञानवादी विद्यार्थी का संघर्ष दिखाई देता है। अगर उनका जीवन यहीं ख़त्म नहीं होता, तो आर्य समाज और पूरा विश्व उनके धार्मिक और आध्यात्मिक विचारों से फ़ायदा उठा सकता था। पंडित गुरुदत्त के लिखे ग्रंथ और सर्वसार उपदेशों में सच्चे सत्य के प्रति प्रेम की भूमिका दिखती है। गुरुदत्त ने ऋषि दयानंद के अंतिम दर्शन में भविष्य के प्रतिभा को पहचान लिया था, जिन्होंने संपत्ति की अंधेरों में डूबी दुनिया को बचाने का उपदेश रखा था। वह इस प्रतीक प्रतिभा का सम्मान किया और सच्चाई और न्याय के लिए लड़ते हुए अपनी अंतिम सांस तक जीवित रहे ।पंडित गुरुदत्त का जन्म 1864 में मुल्तान के राधाकिशन सरदाना के घर में हुआ था पंडित गुरुदत्त इनके अंतिम पुरुष वंश थे, जिनका पूर्वज साहित्य ,धर्मशास्त्र और वीरता के क्षेत्र में जाना जाता था।उनके दादा जी भावलपुर में राजदूत भी रह चुके है उन्हें फ़ारसी कला की प्रकृति से स्वाभाविक रुचि थी और बचपन से ही संस्कृत में रुचि पैदा कर ली थी। 1881 में, उन्होंने अपनी माध्यमिक परीक्षा पूरी की और उसी साल आर्य समाज के सदस्य बन गये। 1883 में उन्होंने स्नातक की उपाधि प्राप्त की और उसी समय एक मुक्त विवाद मंडली की स्थापना की, जहां गहन दर्शनिक प्रश्न चर्चा किये जाते थे। पंडित गुरुदत्त जी ने अपने जीवन की प्रथम अवस्था में ही विद्या और ज्ञान की खोज में बहुत समय बिताया। उनका योगदान आर्य समाज के विकास में बहुत महत्व रखता है। उनकी प्रतिभा, ज्ञान और विद्या ने उन्हें "मनीषी" (बुद्धिमान) के रूप में प्रसिद्द किया। गुरुदत्त घंटों तक संस्कृत में भाषण दे सकते थे, इस उपलब्धि के कारण उन्हें 'पंडित' की उपाधि मिली। वह अपनी विनम्रता में हमेशा खुद को एक विद्यार्थी मानते थे, जबकि जो लोग उन्हें सुनते थे वे उनमें एक पंडित को देखते थे। पंडित गुरुदत्त जी ने सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक मुद्दे पर गहरी विचार-विमर्श किया और अपने प्रवचन, किताबों और लेखों के माध्यम से लोगो को प्रेरित किया।उनके विचारों के मुख्य तत्व अहिंसा, समन्वय और सामाजिक न्याय थे। उन्होन जाति-भेद, व्यक्तिगत प्रतिष्ठा और अंधविश्वास को मिटाने का प्रचार किया और समन्वय, ज्ञान-प्रधान और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना की तरफ प्रयास किया। उनके समर्पण सामाजिक और राजनीतिक जीवन के कारण उन्हें देश और समाज की सेवा करने का अनेक अवसर मिले।पंडित गुरुदत्त जी की लिखी कहानियाँ, उपन्यास और कविताएँ लोगों के दिलों में बड़े प्रसिद्ध थे। उनकी रचनाएँ सच, प्रेम और अध्यात्म के सौंदर्य को प्रकट करती थीं। आज भी उनके लेखन और भाषास्पदों का समाज में महत्व है और उनकी याद को सम्मानित किया जाता है। उनके योगदान और प्रभाव ने आर्य समाज के विकास में बहुत बड़ा योगदान दिया और भारत में डीएवी स्कूलों की स्थापना की उन्हें एक महान दर्शन और सामाजिक व्यक्तित्व के रूप में पहचान का दरजा प्राप्त हुआ है। पंडित गुरुदत्त जी के जीवन और कार्य का अध्ययन और उनका प्रभाव आज भी हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है और उनकी प्रतिभा का सम्मान किया जाता है। उनका नाम सम्मानित है और उनकी रचनाएं लोगों को अब भी प्रभावित करती है।
Kurmvans se Surya chandra prateek hai kisan Surya pasupalak chadra ka prateek apnate the.bhedbhav vihin kul kutumb ko kurmi kul kha jata tha. ram din mai Surya samay mai paida hue ve Surya vansi khe gye lakchman chandra pakch mai paida hue unke kul ko chandra vansi kahlaye bharat andhere pakch mai paida hue unke kul ko Agni vansi kha gya .satrudhan suryodaya ke purv mai brahamm kal maipaida hue unka kul brahamm vansi kul ka kha gya Raja yayati ki ak patni ke vansaj kuru vansi dusri patni ke putra yaduvansi khe gye hai chintan kren .is tarah ram Surya kul ke our krisna vasudev chandra vansi kahlaye.
गुरुजी जो लोग बोलते हैं कि जैसे हम सपने में कुछ देखते हैं वो सच नहीं होता इसी प्रकार यह संसार भी ईश्वर के सपने में ही है.... इसका क्या उत्तर दिया जाये ?