अपने से परिचय का नाम ध्यान है।
आत्म-परिचय की प्रकृति ध्यान है।
और जिस ध्यान की शिखा पर अपने मंदिर को बनाया है-
उसके मंदिर के शिखर आकाश में उढे़गे
बादलो को छुऐगें, चांद तारों का अमृत उन पर बरसेगा,
सूरज की रोशनी में चमकेंगे।
उसके जीवन में गरिमा होगी।
और जिसने जीवन का मंदिर बना लिया,
उसके मंदिर पर एक दिन परमात्मा की प्रतिष्ठा होती है।
16 сен 2024