अष्टावक्र गीता | Ashtavakra Gita in Hindi | PART 1 अष्टावक्र गीता अद्वैत वेदान्त का ग्रन्थ है, जिसमें ऋषि अष्टावक्र और राजा जनक के संवाद का संकलन है। PART 2► • अष्टावक्र गीता | Ashta... #ashtavakragita, #spirituality, #advaita
सुनते सुनते ज्ञान बढ़ता है और धीरे-धीरे थोड़ी-थोड़ी अपने में परिवर्तन होता है विचार में थोड़ी-थोड़ी बदलाव जरूर आता है धन्य हो ऋषि अष्टावक्र आपकी पाठ भी बहुत ही अच्छा रहा धन्यवाद आपको
बहुत बहुत कृपा.. अत्यंत सारगर्भित रूप में एक साथ परम् दिव्य अत्मस्वरूपी ज्ञान को गहन दिव्य वाणी में एक साथ श्रवण करना गहरी अनुभूतियों से ओतप्रोत करने वाला अनुभव .. शत् शत् नमन्...
Yahi toh nahi samzza aapne.. ashtwakra Gita Advaita vedant hain matlab koi aur bhgwan nahi hain, aap swayam hi parmatma hain .kisi au bhgwaan ki jarurat nahi , aap swayam hi Krishna aur Ram hain.. yee saari sristti hum swayam yaane aatma hain..
जिस प्रकार मोबाइल की स्क्रीन को स्पर्श करने पर स्क्रीन प्रकाशित हो जाती है फिर वह प्रकाश धीरे-धीरे मंद होने लगता है, उसी समय फिर स्पर्श करने पर पुनः तीव्र प्रकाश हो जाता है. ठीक इसी प्रकार अष्टावक्र गीता के श्लोक के भाव को सुनकर मेरा ह्रदय ज्ञान और आनंद से भर जाता है, जब उसका वेग मंद होने लगता है उसी समय अगले श्लोक का भाव सुनकर हृदय पुनः ज्ञान और आनंद से आलोकित हो जाता है. मेरी ईश्वर से याचना है कि मेरे हृदय की यह दशा स्थाई हो जाए. अष्टावक्र गीता के उपदेशक योगेश जी को मेरा कोटि-कोटि साधुवाद
मुमुक्षुओं के लिए अमृत स्वरूप है अष्टावक्र गीता। जातिवाद से परे आत्मस्वरूप का बोध कराने के लिए ये संजीवनी बूटी है। जय माँ ब्रह्मस्वरूपा जगदम्बा🌺🙏 जय अष्टावक्र महाराज🌺🙏 जय आदि गुरु शंकराचार्य भगवान🌺🙏 हर हर महादेव🌺🙏
श्री हरि की आप पर सदैव प्रेम छाया बनी रहे और माँ सरस्वती आपको सदैव अपने ज्ञान के जल में भिगोये रखें। 🙏🙏 अति मनमोहक प्रस्तुति। हरि बोल हरि बोल हरि बोल🌹♥️🙏
श्री अषटवक्र गीता का गहराई में ज्ञान सांझा करने पर बहुत-बहुत धन्यवाद। आशा रखते हैं और साथ में संकल्प भी करते हैं कि इस दिव्य ज्ञान को श्रवण कर स्वयं पर व्यवहारिक रूप में लागू करके जन-समुदाय के कल्याण हेतू लोगों में सांझा करना चाहिए। धन्यवाद व शुभ कामनाएं🙏🙏
आदरणीय योगेश जी सादर प्रणाम आप की आवाज में मैं इस गीता को बहुत दिनों से सुन रहा हु बहुत ही अद्भुत है इस गीता के पंचम अध्याय में आप एक जगह पढ़ते हैं कि आत्मा को एक और जगत का ईश्वर कोई कोई जानता है इसमे मुझे एक त्रुटि दिखाई देती है आपको आत्मा को एक के बाद विराम देकर फिर एक और जगत का ईश्वर पढ़ना चाहिए भाव यह है जो आत्मा को एक जानता है और इस जगत का ईश्वर जानता है उसे किसी से कोई भय नहीं रह जाता है
@@proshanegaming1029 आपसे असहमत नही हुआ जा सकता। जहाँ अष्टावक्र गीतामे गुरू व शिष्य दोनो ही अपने आपमे पके व पूर्णता प्राप्त है। वहा श्री मदभगवद्गीतामे गुरू रूपमे तो भगवान है ही पर शिष्य रूपमे अर्जुन है जो चचंल व सशंयी है इसीलिए देरसे शरण/समर्पित हुए जबकि जनकके साथ ऐसा नही हुआ 🙏
ऐ सभी स्कूलों में पढ़ाई जाने चाहिए । क्या शिक्षा मंत्री, शिक्षाबित, शिक्षामित्रों शो रहें हैं ? है आचार्य, हे महात्मन आप ऐसे ही अनेक फैलाए । हम आपके साथ है ।
@@vivekkhurpe1005बेहतर है, कोई प्रजनन नही करेगा तो मनुष्य विलुप्त हो जायेंगे, कम से कम पृथ्वी और अन्य जीव तो बच जाएंगे, वर्ना आज का मानव तो इस पृथ्वी के समस्त संसाधनों को चूस जायेगा।
It's said but majority of the people's in India don't even know about ashtavakra Geeta. They're busy in following garam chameta dhari's and bhoot catcher's on the name of spirituality😢, ,प्राचीन भारतीय ऋषि मुनियों ने ये कभी न सोचा होगा की हमारी पीढ़ी आगे जाकर अंधविश्वास को भी धर्म बोलेगी।