आज कल कुछ जोधाबाई के भतीजे राजपूत (बारहवीं शताब्दी, जोकि आज कल अपने आप को छतरी लिखें लगे है, जबकि वो शूद्र है ) वाले अपने आप को कहते है की "हम राजपूत लोग यादव होते है हम अहीर नही है" अब इन लोगो कोन समझाए अहीर,यादव, गोप, बल्लभ आदि एक ही रूप है और अहीर से ही उत्पत्ति हुई है इनकी अर्थात जो अहीर नही वो यादव हो ही नही सकता, यादव होने के लिए पहले अहीर होना आवश्यक है। कुछ साल पहले तक जोधाबाई के भतीजे राजपूत, यादवों को गाली देते थे और आज ये यादव बनना चाहते है 😅 । ऐसे ही पोंड्रक नाम का एक व्यक्ति था जो यदुवंशी श्री कृष्ण को गाली देता था कहता था की ये तो गोप (ग्वाल) है, असली वासुदेव कृष्ण तो मैं पोंड्राक हु, और उसने भगवान कृष्ण की तरह रूप भी धारण करता था, और उसने भगवान कृष्ण की नकल करके सभी चीजे मोर पंख, नकली बलराम, नकली रुक्मणि भी रखी थी, अंत में भगवान कृष्ण के हाथो मारा जाता है, यादव बनने का सारा भूत उतर जाता है। आजकल कुछ जोधाबाई के भतीजे राजपूत भी ऐसा ही कर रहे है, वो अपने आप को यादव साबित करना चाहते है, जो कुछ साल पहले अपने आप को मुगलवंशी कहते थे, सूर्यवंशी कहते थे, फिर रघुवंशी कहने लगे, फिर चंद्रवंशी कहने लगे, फिर यदुवंशी कहने लगे 😅 । जबकि सब जानते है आज भी रघुवंशी और यदुवंशी दोनो लोग कभी भी जोधाबाई के भतीजों राजपूतों को नीच मानते है, और शादी तो दूर की बात है इन जोधाबाइयो से। रघुवंशी और यदुवंशी में तो आपस में शादियां हो जाती है सैकड़ों उदाहरण है, जैसे शिवपाल सिंह यादव की बहु रघुवंशी है ऐसे कईयों उदाहरण है। जोधा बाई के भतीजों का इस प्रोपेगंडा में सत्तर पीढ़ियां भी बीत जायेंगे तब भी ये लोग यादवों का इतिहास नही चुरा पाएंगे। *जय यादव जय माधव*
Bhai hame dushro ko नीचा दिखा कर , अपनी गौरवगाथा का बखान नहीं करना चाहिए, उन्हें भी गर्व करने का अधिकार है लेकिन उन्हें अपनी गौरवगाथा पर ही आधारित बाते पर ही गर्व करना चाहिए
यदुकुल भूषण प्रभु श्री कृष्ण,दाऊ बलराम,राधा माता,गायत्री माता,योगमाया विन्ध्यवासिनी माँ दुर्गा जिस कुल मे अवतरित हो तथा महान ऋषि-मुनि एवं देवता जिस कुल मे जन्म लिया हो वो कुल निश्चित ही परम पवित्र होगा। हमे यदुवंशी होने पर गर्व है। !!जय यदुवंश,जय श्री कृष्ण!!
एक महिला रोज मंदिर जाती थी ! एक दिन उस महिला ने पुजारी से कहा *अब मैं मंदिर नही आया करूँगी !* इस पर पुजारी ने पूछा -- *क्यों ?* तब महिला बोली -- *मैं देखती हूँ लोग मंदिर परिसर में अपने फोन से अपने व्यापार की बात करते हैं ! कुछ ने तो मंदिर को ही गपशप करने का स्थान चुन रखा है ! कुछ पूजा कम पाखंड, दिखावा ज्यादा करते हैं !* इस पर पुजारी कुछ देर तक चुप रहे फिर कहा -- *सही है ! परंतु अपना अंतिम निर्णय लेने से पहले क्या आप मेरे कहने से कुछ कर सकती हैं !* महिला बोली -- *आप बताइए क्या करना है ?* पुजारी ने कहा -- *एक गिलास पानी भर लीजिए और 2 बार मंदिर परिसर के अंदर परिक्रमा लगाइए । शर्त ये है कि गिलास का पानी गिरना नहीं चाहिये !* महिला बोली -- *मैं ऐसा कर सकती हूँ !* फिर थोड़ी ही देर में उस महिला ने ऐसा ही कर दिखाया ! उसके बाद मंदिर के पुजारी ने महिला से 3 सवाल पूछे - 1.क्या आपने किसी को फोन पर बात करते देखा? 2.क्या आपने किसी को मंदिर में गपशप करते देखा? 3.क्या किसी को पाखंड करते देखा? महिला बोली -- *नहीं मैंने कुछ भी नहीं देखा !* फिर पुजारी बोले -- *जब आप परिक्रमा लगा रही थीं तो आपका पूरा ध्यान गिलास पर था कि इसमें से पानी न गिर जाए इसलिए आपको कुछ दिखाई नहीं दिया।* अब जब भी आप मंदिर आयें तो अपना ध्यान सिर्फ़ परम पिता परमात्मा में ही लगाना फिर आपको कुछ दिखाई नहीं देगा। सिर्फ भगवान ही सर्वत्र दिखाई देगें। *'' जाकी रही भावना जैसी ..* *प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।''* *जीवन मे दुःखो के लिए कौन जिम्मेदार है ?* 👉🏻ना भगवान, 👉🏻ना गृह-नक्षत्र, 👉🏻ना भाग्य, 👉🏻ना रिश्तेदार, 👉🏻ना पडोसी, 👉🏻ना सरकार, *जिम्मेदार आप स्वयं है।* 1) आपका सरदर्द, फालतू विचार का परिणाम। 2) पेट दर्द, गलत खाने का परिणाम। 3) आपका कर्ज, जरूरत से ज्यादा खर्चे का परिणाम। 4) आपका दुर्बल /मोटा /बीमार शरीर, गलत जीवन शैली का परिणाम। 5) आपके कोर्ट केस, आप के अहंकार का परिणाम। 6) आपके फालतू विवाद, ज्यादा व् व्यर्थ बोलने का परिणाम। उपरोक्त कारणों के अलावा सैकड़ों कारण है और बेवजह दोषारोपण दूसरों पर करते रहते हैं। *इसमें ईश्वर दोषी नहीं है।* अगर हम इन कष्टों के कारणों पर बारिकी से विचार करें तो पाएंगे की कहीं न कहीं हमारी मूर्खताएं ही इनके पीछे है।🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
हे गुरु जी मेरी एक बात की दुविधा दूर किजिए। जब यादव की उत्पति इस प्रकार हुई थी। तब परशुराम जी ने थरती को क्षत्रिय विहीन कर दिया था इक्कीस बार तब यादवो की उत्पत्ति कैसे हुई कृप्या बताये ।जय मुलनिवासी। 🙂🙏
आपने कहा कि परशुराम जी 21 बाहर क्षत्रियों का नाश किए तो इसमें पहली बार जब उन्होंने विनाश किए तब भी पूरा क्षत्रियों का नाश नहीं हुआ दूसरी बार किए तब भी क्षत्रियों का पूरा विनाश नहीं हुआ तभी तो उन्होंने पहली बार से लेकर 21 बार प्रयास किए होंगे। अन्यथा उनके पहली बार में ही सभी क्षत्रियों का नाश हो जाना चाहिए था किंतु ऐसा नहीं हुआ क्षत्रिय बचे रहे । तब उन्होंने सोचा कि इतना प्रयास करने के बाद भी क्षत्रियों का विनाश नहीं हो रहा है तब उन्होंने यह कर्म करना छोड़कर ब्राह्मणोंचित कर्म करने लगे। इससे यह सिद्ध होता है कि उनके नाश करने से क्षत्रिय पूर्ण रूप से नष्ट नहीं हुए। इस पर आपका क्या विचार है
Main Janna chahta hun yaduvanshi ka pratyek itihaas, he Prabhu aap mujhe apna Naam bataen kripa karke tatha bataen ki main kya Karun. Bhagwan Krishna ko Janna chahta hun, apne Yadav vansh ke bare mein ke bare mein shuru se ant Tak Jana chahta hun . To kya karun ❤️❤️❤️❤️🙏🙏🙏🙏🙏
कृष्ण भगवान पैदा हुए क्षत्रिय कूल मे पाले पोसे गए यादब कूल मे क्षत्रियों का कार्य है लोगों का रक्षा करना है और ऊचित कार्य करना कुछ लोग अपना बरपन मे रहता है कृष्ण जी के बहन सुभद्रा से गांडिव धारी अर्जुन से बिबाह हुआ था चंद्र बंशी क्षत्रिय थे
मूर्ख हो और पूर्वाग्रह से ग्रसित हो क्योंकि जानकारी कुछ भी नहीं इसी तरह से निराधार चिल्लाते हो जबकि तुम्हें पता होना चाहिए कि नंद जी और वसुदेव जी के दादा एक ही है इसलिए नंद और वसुदेव जी एक ही परिवार के थे । विशेष जानकारी के लिए वीडियो को देखो ru-vid.com/video/%D0%B2%D0%B8%D0%B4%D0%B5%D0%BE-j0LKmFQjqTA.html
🙏🙏🙏 Guru ji ye bataye ki Shrimad bhagwat me likha hai ki Vishnu ji Shri Krishna ji ke avtar hai The Supreme god - Shri Krishna ji hain aur vo kabhi kabhi hi earth pe avtar lete hain aur jb vo Dvapara yug me aaye to Yadukul me janam liye 🙏🙏🙏 ❣️❣️❣️ Please reply ❣️❣️❣️❣️❣️
श्री कृष्ण और विष्णु एक ही शक्ति के प्रतीक है उनमें किसी प्रकार का विभेद नहीं है और न करना चाहिए। व्याख्या कारों ने अपने अपने हिसाब से उन्हें अलग-अलग रूप में किया है किंतु वे दोनों एक ही है और जब वे अवतार लेते हैं पृथ्वी पर तो अपने ही अंश से अवतरित होते हैं
अरे पापियों,यदि ये अपने जाति का इतिहास बता रहे हैं तो तुमलोगो मिर्ची क्यों लग रही है ।तुम भी अपने जाति कि इतिहास बताओ,सब स्वतंत्र है ।मैं तो सबको जानना चाहता हूं , इसमें क्या दोष है ।किसी जाति को नीच दिखाना गलत मानसिकता का द्योतक है ।मानव मानव सब एक है ,चुकी सभी के शरीर में चार ही ग्रुप का खून पाया जाता है ।सबका सम्मान करे । जय हिन्द ।