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आत्मबोध 

Exploring Indian Mysticism
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...इसका कोई अनुभव कर सकते हैं। क्योंकि साक्षी किसी एक वस्तु या अनुभव से बंधा नहीं है-यह तो निराकार और अदृश्य है। यह साक्षी ही वह शुद्ध चेतना है, जो हर अनुभव से परे है और जिसे कोई अनुभव प्रभावित नहीं कर सकता।
अद्वैत वेदांत में इसे ही आत्मा या स्वयं कहा जाता है-जो सब कुछ देखता है, लेकिन स्वयं अदृश्य रहता है; जो सब कुछ जानता है, लेकिन स्वयं अज्ञेय है। इसे हम अनंत और अपरिवर्तनीय कह सकते हैं। यह आत्मा न समय, न स्थान, न पदार्थ के नियमों से बंधी है। यह वही शाश्वत सत्य है, जिसे जानकर हमें मुक्ति मिलती है।
अब आप इस गहन सत्य को समझकर अपने वास्तविक स्वरूप का अनुभव कर सकते हैं। जब आप जान लेते हैं कि मैं शरीर नहीं हूं, मैं विचार नहीं हूं, मैं भावना नहीं हूं, और मैं कोई भी अनुभव नहीं हूं-तब आप अपने स्वयं की ओर, उस शाश्वत आत्मा की ओर अग्रसर होते हैं, जो साक्षी है। यही आत्मज्ञान का मार्ग है, यही वह ज्ञान मार्ग है, जिसे जानकर हम अपने अस्तित्व के सबसे गहरे रहस्यों का अनुभव करते हैं।
तो आइए, इस आत्मज्ञान की यात्रा में हम और भी गहराई से उतरते हैं। अगली बार हम इसी पर विचार करेंगे कि इस आत्मा की पहचान कैसे करें और इसके अनुभव का प्रत्यक्ष ज्ञान कैसे प्राप्त करें।

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9 окт 2024

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Комментарии : 2   
@divyanshukothari8024
@divyanshukothari8024 День назад
eye opener 👀
@divyanshukothari8024
@divyanshukothari8024 День назад
I will highly recommend you to start making videos without cuts showing your face as it will be more suitable for this kind of knowledge.
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No money for Pre workout ?? 😱😱
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