मोक्ष का मार्ग सरल है, सीधा है, अति संक्षिप्त है। आवश्यकता केवल यही है कि हम भोगजन्य विषयासक्ति के मार्ग पर चल रहें है, जो योग मार्ग से विपरित दिशा की ओर ले जा रहा है। केवल संसार में रहने का दृष्टिकोण को बदलें। भोग को साधन मानकर, योग को साध्य मानकर, कर्तव्यकर्म का निर्वहन करते हुए, यम नियम का गहरा अनुष्ठान करते हुए, अष्टांग योग की नित्य नियमित श्रद्धापूर्वक साधना करते हुए ; तप - स्वाध्याय - ईश्वर प्रणिधान रूपी क्रियात्मक योग से, आत्म निरीक्षण, योग प्रशिक्षण और एकांत में ध्यान धारणा का अभ्यास करेंगे, तब हम मोक्ष मार्ग के पथिक बन पाएंगे। बहुत ही उत्तम प्रेरणा हेतु स्वामीजी को नमन वंदन और अभिनंदन! जिज्ञासु योग वेद साधक दिलीप! मुंबई। M: 9821377003.
उत्तम प्रवचन , बहोत धन्यवाद किंतु स्वामी जी ईमानदार शब्द क्यों प्रमाणिक क्यों नहीं ? ईमान तो कुरान और अल्लाह पर लाने वाला ईमानदार होता है की अन्य कुछ ? 🙏
जो व्यक्ति किसी समस्या के समाधान में अकाट्य तर्क और अकाट्य प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पाता है,उस समस्या के समाधान में ऐसे व्यक्ति का पक्ष धराशाई हो जाता है।