Тёмный

कर्ण का जन्म - महाभारत पाण्डु का राज्य अभिषेक धृतराष्ट्र,पाण्डु तथा विदुर - महाभारत  

Live life Motivate
Подписаться 414
Просмотров 353
50% 1

कर्ण का जन्म - महाभारत पाण्डु का राज्य अभिषेक धृतराष्ट्र,पाण्डु तथा विदुर - महाभारत #mahabharata ✨🦚🙏
#कर्णकाजन्म #महाभारत #क्याहैकर्णकेजन्मकारहस्य #कर्णकेजन्मकाराज़ #कर्णकेजन्मकीकथा #दानवीरकर्णकाजन्मकैसेहुआथा? #दानवीरकर्ण
#पाण्डुकाराज्यअभिषेक #पाण्डुकीमृत्यु #पाण्डुकोश्राप.पाण्डुकीमृत्यु #पाण्डुऔरमाद्रीकाविवाह #महाराजपाण्डुश्राप#mahabharat #mahabharata ##mahabharat #bharat #mahabharatkahaani #mahabharatepic #mahabharatyudh #mahabharatsong #mahabharatsaga
#कुंतीकेकितनेपुत्रथे #कुंतीपुत्र #कुंतीकिसकीपुत्रीथी #कुंतीकेपुत्रकैसेहूए #कुंतीनेपुत्रकर्णकोकैसेजन्मदियाथा? #कुंतीऔरपांडवकीजन्म
#chitrangad #chitrangada #mahabharatchitrangada #mahabharatchitrangadaepisode #vichitravirya #vichitravirya #viralhits #ganeshchaturthi
#swamivivekananda #swamivivekanandaspeech #swamivivekanandaquotes #swamivivekanand #swamivivekanandaquotesinhindi #vivekanandaquotes
##dhirtrast #hastinapur #kurukshetra #mahabharatastory #pandavkaurav #parasharrushi #mahabharatstories ##short #mahabharatfullstory ##shorts
#vasturemediesforsoutheast #astrovasturemedies #northeasttoiletvasturemedies #vastushastra #vasturemediesfortoilet #vasturemedies #remediesपाण्डु का राज्य अभिषेक - महाभारत
#lessons #acimdailylessonaudio #lesson #zoommusiclessons #spanishaudiolessons #acimlessons #zoommusiclessonsaudio #daddylessons #audio
#audiobook #book #audiobooksenglishfemalevoice #audiobible #audiobookwithtext #greatestaudiobooks #bookofgenesis #selfdevelopmentaudiobooks
#audiointerface #homestudio #usbaudiointerfaceandroidphone #audiousbtosmartphone #usbaudiointerface #audiointerfacephone #audio
#niyantra #niyantra2013 #mankoniyantrankaisekare #mankoniyantrankarnekeupay #mankuniyantrakaribaraupaya #mankoniyantritkaisekaren
धृतराष्ट्र जन्म से ही अन्धे थे अतः उनकी जगह पर पाण्डु को राजा बनाया गया,इससे धृतराष्ट्र को सदा अपनी नेत्रहीनता पर क्रोध आता और पाण्डु से द्वेषभावना होने लगती।पाण्डु ने सम्पूर्ण भारतवर्ष को जीतकर कुरु राज्य की सीमाओ का यवनो के देश तक विस्तार कर दिया।एक बार राजा पाण्डु अपनी दोनों पत्नियों - कुन्ती तथा माद्री - के साथ आखेट के लिये वन में गये। वहाँ उन्हें एक मृग का प्रणयरत जोड़ा दृष्टिगत हुआ। पाण्डु ने तत्काल अपने बाण से उस मृग को घायल कर दिया। मरते हुये मृगरुपधारी निर्दोष ऋषि ने पाण्डु को शाप दिया, राजन तुम्हारे समान क्रूर पुरुष इस संसार में कोई भी नहीं होगा। तूने मुझे प्रणय के समय बाण मारा है अतः जब कभी भी तू प्रणयरत होगा तेरी मृत्यु हो जायेगी।
इस शाप से पाण्डु अत्यन्त दुःखी हुये और अपनी रानियों से बोले, हे देवियों अब मैं अपनी समस्त वासनाओं का त्याग कर के इस वन में ही रहूँगा तुम लोग हस्तिनापुर लौट जाओ़ उनके वचनों को सुन कर दोनों रानियों ने दुःखी होकर कहा, नाथ हम आपके बिना एक क्षण भी जीवित नहीं रह सकतीं।
आप हमें भी वन में अपने साथ रखने की कृपा कीजिये। पाण्डु ने उनके अनुरोध को स्वीकार कर के उन्हें वन में अपने साथ रहने की अनुमति दे दी।इसी दौरान राजा पाण्डु ने अमावस्या के दिन ऋषि-मुनियों को ब्रह्मा जी के दर्शनों के लिये जाते हुये देखा। उन्होंने उन ऋषि-मुनियों से स्वयं को साथ ले जाने का आग्रह किया। उनके इस आग्रह पर ऋषि-मुनियों ने कहा, राजन् कोई भी निःसन्तान पुरुष ब्रह्मलोक जाने का अधिकारी नहीधृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुर के लालन पालन का भार भीष्म के ऊपर था। तीनों पुत्र बड़े होने पर विद्या-अध्ययन के लिए भेजे गए। धृतराष्ट्र बल विद्या में, पाण्डु धनुर्विद्या में तथा विदुर धर्म और नीति में निपुण हुए। युवा होने पर धृतराष्ट्र अन्धे होने के कारण राज्य के उत्तराधिकारी न बन सके। विदुर दासीपुत्र थे इसलिये पाण्डु को ही हस्तिनापुर का राजा घोषित किया गया। भीष्म ने धृतराष्ट्र का विवाह गांधार की राजकुमारी गांधारी से कर दिया। गांधारी को जब ज्ञात हुआ कि उसका पति अन्धा है तो उसने स्वयं अपनी आँखों पर पट्टी बाँध ली। उन्हीं दिनों यदुवंशी राजा शूरसेन की पोषित कन्या कुन्ती जब सयानी हुई तो पिता ने उसे घर आये हुये महात्माओं के सेवा में लगा दिया। पिता के अतिथिगृह में जितने भी साधु-महात्मा, ऋषि-मुनि आदि आते, कुन्ती उनकी सेवा मन लगा कर किया करती थी। एक बार वहाँ दुर्वासा ऋषि आ पहुँचे। कुन्ती ने उनकी भी मन लगा कर सेवा की। कुन्ती की सेवा से प्रसन्न हो कर दुर्वासा ऋषि ने कहा, पुत्री मैं तुम्हारी सेवा से अत्यन्त प्रसन्न हुआ हूँ अतः तुझे एक ऐसा मन्त्र देता हूँ जिसके प्रयोग से तू जिस देवता का स्मरण करेगी वह तत्काल तेरे समक्ष प्रकट हो कर तेरी मनोकामना पूर्ण करेगा। इस प्रकार दुर्वासा ऋषि कुन्ती को मन्त्र प्रदान कर के चले गये।
एक दिन कुन्ती ने उस मन्त्र की सत्यता की जाँच करने के लिये एकान्त स्थान पर बैठ कर उस मन्त्र का जाप करते हुये सूर्यदेव का स्मरण किया। उसी क्षण सूर्यदेव वहा प्रकट हो कर बोले, देवि मुझे बताओ कि तुम मुझ से किस वस्तु की अभिलाषा करती हो। मैं तुम्हारी अभिलाषा अवश्य पूर्ण करूँगा। इस पर कुन्ती ने कहा, हे देव मुझे आपसे किसी भी प्रकार की अभिलाषा नहीं है। मैंने तो केवल मन्त्र की सत्यता परखने के लिये ही उसका जाप किया है। कुन्ती के इन वचनों को सुन
[Thank you for watching🎥🎥 video please support me and like subscribe now share]
Inquiry e-mail munnuonline84gmail. com
Whatsaap contat :- 9939626892

Опубликовано:

 

21 сен 2024

Поделиться:

Ссылка:

Скачать:

Готовим ссылку...

Добавить в:

Мой плейлист
Посмотреть позже
Комментарии    
Далее
How A Poor Boy Built Oberoi Hotels
17:18
Просмотров 1,8 млн