गीता अध्यय 17 श्लोक 23 के अनुसार ॐ, तत, सत ये तीन मन्त्र हैं पूर्ण परमेश्वर को पाने के लिए। Sant Rampal Ji Maharaj #पवित्रहिन्दूशास्त्रVSहिन्दू Sant Rampal Ji Maharaj
पुरण भेदी शब्दगुरु बंदिछोड मेरे मालिक अकाल पुरुष नितिन साहेबजी कें चरणों में बारामती से अपनें चरणोंका दासानुदास सेवक तुकारामदास का कोटी कोटी प्रणाम दंडवत मेरे मालिक को साहिब बंदगी सतनाम🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹
पिछले जन्म में हम क्या थे। ऐसा बताया गया है कि हम चौरासी लाख योनियों में कर्म भुगत कर आये।जब पाप पुण्य सम होते तब मानव जीवन मिलता है।जब सब भुगत कर आये तो पिछले जन्म का भुकतना रह ही नहीं जाता।कुछ सत्य के आधार पर भी सोचना चाहिए।
सत्य श्री मन नारायण है । कबीर साहब ने एक दोहा कहा है सुन लो। तन पवित्र सेवा किए धन पवित्र दिए दान । मन पवित्र हरि भजन से इस विधि हो कल्याण पंक्तियां क्यों लोगों को भरमार रहे हो 12 पंथ बन के
कर्म अपने से नहीं कटता मित्र एक काम कटने की दूसरी कर्म बन जाता है कर्म छोर देने पर काम हो जाता है पर कटता नही है जी पुण्य भी कर्म करने से बनता है जी तो जन्म बंद होना muskil हैं जी। कर्म तो जिस डेही गुरु में शब्द परगट है अगर ओ गुरु सिर पर हाथ रख देता है तब अपना पाप पुण्य कट जाता है जैसे सुखी घास के समान जी साहिब जी। इस परकार पाप पुण्य अपने से नही कट सकता जी। जब तक ये कट नहीं जाता शब्द प्रगट होना असंभव जी इस लिए नकली गुरु न बनाए जी सतसंग से आप फसते जाते है चुकी सत्य ज्ञान ज्ञान और अज्ञान से परे है जी। या जिस शिष्य के शब्द प्रगट है अगर गुरु की आदेश से किसी के सिर पर बिबेकी के सिर पर हाथ रख दे तो शब्द प्रगट हो सकता है जी।