विनय आर्य जी बहुत स्पष्ट व तार्किकता पुर्ण बात की है आगे भी ऐसी चर्चा होनी चाहिए. आज जिस तरह चरणामृत की पुंगी बजी है वैसे ही लोगों को पता चले कि समाज में ऐसी अनेक प्रथा चल रहें हैं जिसका धर्म से दुर दुर तक नाता नहीं है.
नेहा राजपूत जी जी आप बहुत अच्छा काम कर रही हैं पर जिस तरह से आप यहाँ अपने मेहमान के साथ बैठी हैं ये🤨 कहीं से भी कोई शालीन तरीका नहीं है, एक विद्वान और धार्मिक लोगों के सामने इस तरह की गंभीर चर्चा में 🙏🙏
Wo kaunse shaastr hai jisne sari facilities izzat paisa akele brahman ko he de diya. Desh ki president ram mandir mein nahi ja sakti kyuki shaastro k anusaar wo shoodr hai?? Kaunsa bhagwaan hai jo insaan mein bhedbhav krta hai?? Shaatr Kabhi lund ki pooja ki pooja krne ko bolte hai kabhi choot ki. Shivlinh kya hai?? Ramayan k anusaar shivji ka ling hai , kamakhya mandir choot ko pooj rhe hain. And shoodr ki baat kre wo ved puraan nahi pad sakta education nahi le sakta kyu bhai?? Wo education kyu nhi le sakta??
Chandugya upnishad mai kya likha hai pad lo निधिर्वाकोवाक्यमेकायनं देवविद्या ब्रह्मविद्या भूतविद्या क्षत्रविद्या नक्षत्रविद्या सर्पदेवजनविद्या नामैवैतन्नामोपास्स्वेति ॥ ७.१.४ ॥ ऋग्वेद नाम है, तथा यजुर्वेद, सामवेद, चौथा अथर्वण वेद, पाँचवाँ वेद इतिहास-पुराण, वेदों का वेद (व्याकरण), श्राद्धकल्प, गणित, उत्पातज्ञान, निधिज्ञान, तर्कशास्त्र, नीतिशास्त्र, निरुक्त, देवविद्या, भूतविद्या, धनुर्वेद, ज्यौतिष, गारुड़, संगीतादि कला और शिल्पविद्या- ये सब भी नाम ही हैं, तुम नाम की उपासना करो ।4
चार वेद और पुराण भी भगवान से उत्पन्न हुयेः ऋचः सामानि छन्दांसि पुराणं यजुषा सह । उच्छिष्टाज्जज्ञिरे सर्वे दिवि देवा दिविश्रितः ।। (अथर्व वेद 11.7.24) अनुवाद ऋक् साम, छन्द और यजुर्वेद के साथ ही पुराण भी उस अच्छिष्ट जगत पर शासन करने वाले यज्ञमय परमात्मा से उत्पन्न हुवे।
पूरा न्याय दर्शन तर्क सिखाता है , चारों वेद तर्कसंगत हैं और तर्क से ही सत्य का अंकुर फूटता है ! अत: प्रमाणहीन, तर्कशून्य , युक्तिहीन और जनता को वेदादि ग्रन्थों के अध्ययन से विमुख करने वाली सभी परम्पराएं अथवा वार्ताएं मिथ्या ,पाखण्ड को बढ़ाने वाली एवं अधर्म हैं ! 🙏
वेदो का ही अधय्यन कर के धर्म के बाद के जो ग्रहंथो का भी अध्य्यान जरूरी है,आप क्रम से पीछे अर्थात पूर्व मैं धर्म किस रूप था उसके बाद ईश्वर ने अपने दूतों संदेश वाहको के इस धरती पर कब कैसे अपनी बात पहुंचाई है,,जब खोज करोगे तो पाओगे की इस धरती का रचियता एक ही है,जिसने सूरज चांद अग्नि वायु जीवन मृत्यु को बनाया है,सबसे पहले आप मूर्ति को छोड़कर,निराकर ईश्वर की तरफ बढ़े,,
En brahmno ne desh ko andvisvasho mein daal kr logo ko beda gark kra huya hai. Lekin ab log educated hain sab kuj dekh rhe hain. Wo kaise shaastr jo insaan mein bhedbhav krte hain.
नेहा राजपूत जी जी आप बहुत अच्छा काम कर रही हैं पर जिस तरह से आप यहाँ अपने मेहमान के साथ बैठी हैं ये🤨 कहीं से भी कोई शालीन तरीका नहीं है, एक विद्वान और धार्मिक लोगों के सामने इस तरह की गंभीर चर्चा में 🙏🙏
योगी जी और इस्कॉन के गुरु जी ने अन्य दोनों विद्वानो को तार्किक उतर नही दिया। दोनों विद्वानो विनय आर्यजी और लाजपत राय ने धर्म इत्यादि विषयों को सीधा सीधा अच्छी और सरल तरीके से समझाया। जबरदस्त डिबेट थी
चार वेद और पुराण भी भगवान से उत्पन्न हुयेः ऋचः सामानि छन्दांसि पुराणं यजुषा सह । उच्छिष्टाज्जज्ञिरे सर्वे दिवि देवा दिविश्रितः ।। (अथर्व वेद 11.7.24) अनुवाद ऋक् साम, छन्द और यजुर्वेद के साथ ही पुराण भी उस अच्छिष्ट जगत पर शासन करने वाले यज्ञमय परमात्मा से उत्पन्न हुवे।
@@sougataghoshनाम वा ऋग्वेदो यजुर्वेदः सामवेद आथर्वण- रचतुर्थ इतिहासपुराणः पञ्चमो वेदाना वेद उपास्वेति । (छान्दोग्य उपनिषद 7.1.4) अनुवाद ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद और चौथा अर्थवेद तथा पांचवां वेदों का वेद इतिहास पुराण यह सब ब्रह्मरूप है, इसकी उपासना कर ।
ऋग्वेद के कुछ मन्त्र का 8/33/17 स्त्री की बुद्धि या मन कैसा होता है,. 10/95/15 स्त्री का हृदय कैसा होता है और स्वभाव कैसा होता है, यजुर्वेद से 23/ 19 मंत्र से आगे के मन्त्रो का ज्यान विज्यान बताये???
Vijay ho ye kya huya?? Ye kya yudh ho rha hai?? Sare desh ko andvisvasho mein daal kr logo ko beda gark kiya huya hai. Wo kaise shaastr hai sari facilities akele brahmon ko he dete hain?? Desh ki president ram mandir nahi ja sakti kyuki shaastro k anusaar wo shoodr hai hadd hoti hai. Sare dhong k pool khul chuki hai tum brahmno ki.
@@iayush07vedo mai greeb ko shoodr kyu bola jata hai?? Vedo purano mein shivji k ling ki pooja hoti hai kamakhya mandir mein choot ki pooja hoti hai. To rape kaise rukenge jab lund choot ki pooja hogi??
Aarya Samaji to Narak Jayege kyoki Bhagvaan Ram-Krishna ko bhagvaan Savikar Nahi Karte . Unko sirf Mahapursh kahte hai . Chrsitains aur muslims ki trah Murti puja se nafrat karte hai , Bhagvaan ki shakti ko kam aankte hai iss liye aarya samaji sabhi narak jayege
नेहा राजपूत जी जी आप बहुत अच्छा काम कर रही हैं पर जिस तरह से आप यहाँ अपने मेहमान के साथ बैठी हैं ये🤨 कहीं से भी कोई शालीन तरीका नहीं है, एक विद्वान और धार्मिक लोगों के सामने इस तरह की गंभीर चर्चा में 🙏🙏
@ahvaancallofdharma ne in Arya samjiyon ki Puri pol Patti khol kr rkh di hai 😂😂, kbhi unko mauka mile yahan aane ka to in sudo Vedic arya namjiyon ka sb kutark fail ho jayega.
विनय आर्य जी को बहुत बहुत बधाई हो.....सभी प्रश्नों का आपने तर्क पूर्ण उत्तर दिया है ......सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय हो.....यह वैदिक धर्म ही हमारे देश में महाभारत काल तक विद्यमान था......ऋषि दयानंद की जय हो जिन्होंने वेदों की ओर लौटो का नारा दिया और वेदों के सही अर्थ को हमारे सामने रख कर समाज पर बहुत परोपकार किया ....हम ऋषि दयानंद का ऋण कभी नहीं चुका सकते
@@RiteshKumar-nl8uu वेद को पूर्णत: पढ़ो, पता चलेगा कि वेद को मानने से ही सम्पूर्ण सत्य का ग्रहण हो जाता है ! इसलिए जो वेद को नहीं मानता उसी को मनु महाराज ने नास्तिक कहा है- नास्तिको वेद निन्दक: !
@@devendrashastri9221 बिल्कुल सच कहा आपने , वेदों को नहीं मानने वाला अवश्य हि नास्तिक है। श्री रामानुजाचार्य, वल्लभाचार्य, विष्णु स्वामी, निम्बारकाचार्य तथा आदि शंकरचार्य जी ने भी इस बात कि पुष्टि कि है कि श्रीमदभगवदगीता समस्त् वेदों का सार है । गीता में श्री कृष्ण कहते हैं कि वही परम सत्य और परम ईश्वर हैं, समस्त वेदों को जानने वाले भी वही हैं। समस्त वेदों का लक्ष्य भी उन्हें जानना है। पुनः कहते हैं कि केवल भक्त हीं उन्हें जान सकता है। अर्थात् वेद से भी भगवान को प्राप्त करना है और भक्ति से भी। यह भी बताते हैं कि भक्ति मार्ग अधिक सुगम है। और अंततः आज्ञा देते हैं कि सभी धर्मों का परित्याग करके एक मात्र उनकी शरण ग्रहण कर ली जाये। किन्तु आर्य समाज के माननीय प्रवक्ता तो इस बात को मानते हि नहींं । अवश्य हीं वेद पूजनीय और अनुसरनीय है, किन्तु कलियुग के जीवों कि जैसी बुद्धि और् आयु है, वे समुपर्ण वेदों को समझ पाएं ये बहुत कठिन है, अतः ऐसी स्थिती में क्या हम जैसे कलियुगी जीवों को वेदों के सार श्रीमद भगवदगीता कि शरण ग्रहण नहीं करनी चाहिए? कृपया मेरे शंशय का समाधान प्रदान करें 🙏🏻 यदि प्रश्न पुछने में भूल हुई हो तो क्षमा करें 🙏🏻
(वेद स्वत प्रमाण्यं) महर्षि कपिल -----ईश्वरीय ज्ञान होने से वेद स्वत प्रमाण हैं संसार में कोई भी कार्य सिद्ध करना हो तो इसमें वेद ही प्रमाण है अन्य मनुष्य कृत ग्रंथ नहीं क्योंकि मनुष्य अल्पज्ञ वाला है इसलिए उसका ज्ञान भी अल्पज्ञ है वेदोSखिलों धर्म मूल अर्थात वेद सब धर्मो का मूल है।
धर्म की परिभाषा सृष्टी के पुजक मानवता के हितैशी, सभी प्राणी, पशु, पक्षी, जीव, जंतु की भलाई चाहने वाले लोगो का समुह है. ये लोग सभी सज्जनो का भला चाहते है. जो आहिंसा वादी होते है. मगर आज धरती पर पापी, दुराचारी, हिंसा करने वाले मानवता के रुप मे सैतान बने लोगो की जनसंख्या बहुत तेजी से बढ रही है. जो सृष्टी के विनाशक है. ऐसे अधर्मीयों का नाश होना जरुरी है. सनातनी हिन्दु, बौध्द, शिख, ईसाई, यहुदी, पारशी लोग एक होकर धरती की रक्षा करे.
नेहा राजपूत जी जी आप बहुत अच्छा काम कर रही हैं पर जिस तरह से आप यहाँ अपने मेहमान के साथ बैठी हैं ये🤨 कहीं से भी कोई शालीन तरीका नहीं है, एक विद्वान और धार्मिक लोगों के सामने इस तरह की गंभीर चर्चा में 🙏🙏
जिन गुरुओं की कुण्डली जाग्रत हो रखी है, उन गुरुओं का अबोध बच्चों पर सफल परीक्षण करके दिखाओ, केवल चरण रज से ज्ञान मिलने की भ्रान्ति फैला कर हाथरस काण्ड की तरह श्रद्धालु जनता को कष्ट नहीं दिए जाने चाहिए जी
मैंने पूरा कमेंट सेक्शन चेक कर लिया सबसे ज्यादा विनय आर्य जी की बात से सब सहमत है क्योंकि उन्होंने तार्किक रूप से सभी को समझाया है क्योंकि आर्य समाज शुरू से ही पाखंड का खंडन करता रहा है 🕉🕉जय आर्यावर्त 🕉🕉 जय श्री राम 🕉🕉जय श्री कृष्ण 🕉🕉जय महर्षि दयानंद सरस्वती🔱🔱
चार वेद, छ: शास्त्रों के ईश्वरीय ज्ञान के विरुद्ध आज सैंकड़ों फर्जी ग्रन्थ बनाकर उन्हें शास्त्र बताकर जनता को वेद विरुद्ध मार्ग पर धकेला जा रहा है, किंतु परमात्मा सब मनुष्यों को उनके कर्मों का फल केवल वेद विधान के अनुसार दे रहे हैं, यही मनुष्य के दुखों का मूल कारण है ! 🙏
ABP DHARMA LIVE एक बहुत ही क्रांतिकारी और सत्यनिष्ठ शुरुआत है। इसे ऐसे ही कैरी ऑन करते रहिए।। आपसे विनम्र निवेदन है कि जब भी कोई चर्चा लाएं तो उसमें ऐसे ही आर्य विद्वानों और आर्य समाज के आचार्य लोगों को किसी एक तो अवश्य ही आमंत्रित किया करें। वैसे आप उन्हें बुलाते भी हैं। इसके लिए आपका हार्दिक धन्यवाद।। एक बार आचार्य योगेश भारद्वाज जी को और आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक जी को भी अवश्य बुलाइए ❤❤❤❤❤
अवतारवाद की प्रमाणिकता ऋग्वेद 6:47:18 परमात्मा अपनी माया द्वारा अनेक रूप बनाकर विचरता है। ऋग्वेद 3:3:27:3 परमात्मा बार-बार मत्स्य कूर्म आदि नाना रूप बनाता है। यजुर्वेद 31:19 भगवान के गर्भ के मध्य में विचरताता है यद्यपि वे अजन्मा है तथापि अनेक प्रकार से उत्पन्न होता है। भगवद्गीता 4:6 आह्वान प्राकृतिकं स्वामधिष्ठी ज्ञानाध्यात्ममय्या ।। अजोऽपिसनव्यय प्राणी भूतनामीश्वरोऽपि सन । मैं अजन्मा अविनाशी होते हुए भी संपूर्ण प्राणियों का ईश्वर होते हुए भी, अपनी प्रकृति को अधीन करके योग माया से प्रकट होता हूं। भगवद्गीता 4:7 यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभियुत्थानंधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ।। जब-जब धर्म का ह्रास होता है और अधर्म की वृद्धि होती है, हे अर्जुन, उस समय में प्रकट होता हूँ। तैत्तिरीयारण्यक 1:23:3 कूर्म अवतार का वर्णन अथर्ववेद 12: 1:48 वाराह अवतार का वर्णन ऋग्वेद 1:12:17 वामन अवतार विष्णु ने इस जगत को तीन चरणों से आक्रांत कर पद धरे हैं। ऐतरेय 7:5:34 परशुराम अवतार का वर्णन तैत्रिय 1:1:31 नृसिंह अवतार का वर्णन श्री रामचंद्र अवतार का वर्णन अथर्ववेद 10:2:31 अयोध्या नगरी ऋग्वेद 10:5:64:9 सरयू नदी ऋग्वेद 2:1:11 महाराज दशरथ नाह्वान ऋग्वेद 3:8:9 शक्ति रूप सीता की वंदना ऋग्वेद 3:3:22 विश्वामित्र यज्ञ रक्षा ऋग्वेद 4:6:1 रावण यजुर्वेद 12:117 रामराज्य श्री कृष्णचंद्र अवतार का वर्णन ऋग्वेद 7:1:9 छांदोग्य उपनिषद 3:17:6 यह उपदेश गौरंगी रस ने देवकी पुत्र कृष्ण के लिए कह कर सुनाया था। तैत्तिरीयारण्यक 10:1:6 वासुदेव के पुत्र नारायण के अवतार श्री कृष्ण जी का हम ध्यान करते हैं वह विष्णु हमें सन्मार्ग प्रेरित करें। मूर्ति पूजा की प्रमाणिकता यजुर्वेद 14:65 सहस्त्रस्य प्रतिमा असी ऋग्वेद 5:58:8 अर्चत प्राचर्त प्रियमेधासो अर्चत श्वेताशतरोपनिषद 3:5 हे रूद्र ! आपकी जो मंगलमई शांत और पुण्य प्रकाशनी मूर्ति है, हे गिरीशंत उस पूर्ण आनंदमई रूप के द्वारा आप हमारी देखो । आह्वान अथर्ववेद 2:13:4 तुम आकर इस पाषाण में विराजमान हो जाओ यह आपका शरीर बन जावे और देवता सैकड़ों वर्ष पर्यंत उसमें आपकी को स्थिर करें। अथर्ववेद 16:2:6 मूर्ति को नमस्कार अथर्ववेद 5:30:12 प्राणप्रतिष्ठा पुराणों की प्रमाणिकता अथर्ववेद 11.7.24 अथर्ववेद 15.6.11 अथर्ववेद 15.6.12 छांदोग्य उपनिषद 7.1.2 छांदोग्य उपनिषद 7.1.4 तेतरीय आरण्यक 10:1:6 बृहदारण्यक उपनिषद 2.4.10 महाभारत आदिपर्व 1.253, 1.267, 268, 1.2, 1.16, 1.17, 1.65, 1.63, 1.238, 2.82, 2.193 2.271, 4.1 5.1, 5.2, 5.4, 5.6 आह्वान ईश्वर सर्वशक्तिमान है बृहदारण्यक उपनिषद 5.1.1 तैत्तिरीय उपनिषद 2.1 आर्य समाज के ग्रंथों में ईश्वर के लिए सर्वशक्तिमान और अनंत सामर्थ्यवान जैसे शब्दों का उपयोग ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका अथर्ववेद वेदोत्पत्तिविषयः सत्यार्थ प्रकाश सप्तमसमुल्लासः पृष्ठ संख्या 149
Murkhata ki bhi ek sima hota he, He mahanuvab app to Mahamurkha nikle ; lagta he app mexmular ke ved vasya padlie he or murkho ki dwara kie geye annaya grannoto ki vasya,he mahanuvab kripeya ek bar in sab grantho ki Vedik arya Samaj ki vasya padhe tab app ko pata chalega ki asal me in mantro ke asal arth kia he : kher chodiye me to (Nirakar) Iswspar ko Manta hu or us Nirakar Parampita Parmattama ko hi manta hujo ki sare sansar ka ek hi NIRAKAR, NIRBIKAR ,ANADI ,ANNATH , sare Jag loklokantaro ki EK hi Swami he JISE Me (OM) ke rup me Janta hu , Pravu app ka Sat Gyan or Sath Buddhi de Om Sam
@@subratnayakarya7646 dekhiye main mungerilaal ke haseen sapno se, aur santon ke khandan karne wale ahankaari gyaan se vanchit hu aur khush hu. Kisi cheez ka Satyaarth prakash naam rakh dene se woh satya ka prakaash nhi hota jaise kisi insaan ka naam satyawaan hone se yeh siddh nhi hota ki woh sach hi bolta hai.. Waise aap pehle apne hi grantho ka swadhayan kre aur soche kahin dayanand Ji muller se inspired nhi the na. Unke maata pita aarya samaji the? Unke guru parampara ke pichle 10 guru arya samaji the? Aur kya dayanand ke pehli 10 guru parampara mein kisi murti poona nhi ki? Aur maine pramaan diye hain, jinn sanataniyo ko 4 ved, 6 shastra, 18 puran, balmiki ramayan, bhagwat , ramcharit manas, manu smriti mein shraddha hai ye praman unke liye the .. Jai Siya Ram 🙏
@@subratnayakarya7646 bhai PhD kiye hue logo ne b sabne milte julte arth thoda fark hoga pr Sayan acharya , sanvotlakar ji , Shri Ram acharya Gita press k ved bhashya k yhi arth pr Dayanand Saraswati k hi bhashya me antar kyu hai matlab sare vidwan galat ek tmhare guru sahi
@@mayankagnihotri8646 bilkul bhai 😂 bas ek dayanand Ji hi toh jinse arth karte aata tha 😂aur dharma wale bhi kam nhi almost arya samaj ka hi channel hai yeh
वृंदावन चंद्र दास ❤❤❤जी वास्तिविक धर्म के बारे बता रहे है , क्युकी हम शरीर नही आत्मा है और आत्मा का धर्म है भगवान की सेवा करना, आर्य जी नैमितिक धर्म शारीरिक धर्म के बारे बता रहे है
Bina sharir ke atma kya kary Kar sakti Hai? Atma ka lakshya Ishwar prapti arthat moksh hai. Par dharm- arth- kaam- moksh me last me hai . Yahan chrcha dharm ki hai, moksh ki nahi.
आपने बहुत अच्छा कहा आदरणीय आचार्य विनय आर्य जी, बहुत ही सरलता, कुशाग्रता, बुद्धिमत्ता से समझाया है और अच्छा तर्क। आपका बहुत बहुत धन्यवाद जी नमस्ते जी ओ३म् ओ३म् ओ३म्
आर्य समाज ही भारत का भविष्य है। इस पौराणिक विचारधारा के भरोसे बैठ ते तो भारत स्वतंत्र ही नहीं होता। इन पाखंडियों के तर्क सुनकर वैदिक गुरुकुल का 10-12 वर्ष का बच्चा भी हसने लगे 😂। ओ३म्
मेने इस चर्चा से ये निष्कर्ष निकाला है कि काली जेकेट वाला धूर्त है प्रभुजी चालाक हैं नीली जेकेट वाले महानुभाव तार्किक है ओर लाजपतराय जी समझदार ज्ञानवान है ! यदि किसी को हर्ट हुआ है तो मुझे क्षमा करें 🙏 ये मेरा विशलेषण है !
विनय आर्य ने जो कहा वह धर्म का सच्चा स्वरूप दिया है , जय आर्य जय आर्यावर्त महर्षि दयानंद सरस्वती जी महाराज की जय सभी राष्ट्रवादियों से मेरा विनम्र 🙏 निवेदन सत्य को जानने के लिए "सत्यार्थ प्रकाश" अवश्य पढ़ें
श्री वृन्दावन चंद्र दास जी आत्मा के धर्म की बात करते हैं क्योंकी हमारी असली पहचान यही है कि हम शरीर नहीं आत्मा हैं और आत्मा का धर्म शरीर के धर्म से ज्यादा महत्वपूर्ण है । अर्जुन भी शरीर के धर्म और कर्तव्यों कि बात कर रहे थे तब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को आत्मा का ज्ञान दिया। श्री वृन्दावन चंद्र दास जी इसी ज्ञान को सामने रखते हैं। हरे कृष्ण।।
मैं एक आर्य पुत्र आर्य उप नाम हिन्दू मेरा देश आर्य वर्त भारत हिन्दू स्थान इण्डिया मेरा गुरु माता पिता आचार्य वेद भगवान् गुरु मंत्र गायत्री। नित्य पंच महा यज्ञादि षट कर्म। प्रेरणा महर्षि दयानन्द सरस्वती गुरु ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश। ओउम् शान्तिः शान्तिः शान्तिः।। आर्य पुत्र।।
हमनें तो हमारे गुरुदेव से जो सीखा व जो ज्ञान मिला वह अनमोल है. । हम उसी से काम लेंगे। ये महागुरुओं के शिष्य है। हममें ,अल्पज्ञता है, हम समझ नहीं पातें ,संस्कृत के क्लिष्ट विचारों व वेद की रिचाओं को व अन्य सिद्ध बातों को । जिस किसी को समझ आयेंगी ,ये विद्वता पूर्ण प्रवचन ,वे निश्चित रुपसे लाभान्वित होंगे। हमें क्षमा करियेगा। कुछ अधिक ,अज्ञानता वश व अवस्था लिखा हो तो भी दक्षमा । व.नागरिक, नरपत,,भारत।
प्रयास सराहनीय है । ये बात सच है की आज के समय में धर्माचार्यों और पंथ आचार्य अनेकों हो गए हैं । इसलिए सभी धर्माचार्यों को और पढ़ें लिखे बुद्धजीवियों को एक साथ बैठाकर चर्चा करवाएं । सिर्फ चार व्यक्ति को बैठाकर इस महा समस्या का समाधान नहीं हो सकता ।
विनय जी 100% ठीक बात कह रहे हैं धर्म के बारे में और धर्म तो सब मनुष्यों के लिए सारे संसार में एक ही होगा एक ही हो सकता है जैसे सूर्य एक है चंद्रमाएक है