@@VaidicRastra इस समय वेदों को पढ़ने का अधिकार शुद्र की तो छोड़ो किसी ब्राम्हण को भी नहीं है इस संसार में कोई भी व्यक्ति वेदों को पढ़ने का अधिकारी नहीं है तो वेद के मार्ग पर चलने की तो दूर की बात रही
महर्षि दयानंद सरस्वती जी हमारे हिन्दुत्व के संवाहक और सर्वाधिक सनातन वैदिक धर्म संस्कृति के रक्षार्थ जो घरवापसी का अनूठा अभियान चलाया वैसा उदाहरण प्रस्तुत करने वाला कोई भी नही हुआ महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के श्री चरणकमलों में हमारा कोटिशः नमन हर हर महादेव जयश्रीराम जय जय श्री ज्ञानवापी काशीविश्वनाथ की जय जय श्री कृष्ण जन्म भूमि की वन्दे मातरम्
@@PD130470 What about mahamanav Modi Auliya who had destroyed thousands of hindu temples all across India? What about Dayananda who attacked Murti pooja the very foundation of Hindu dharma with same zeal as an abrahmic fanatic do. Modi is the most brutal jihadi in Indian history who destroyed more hindu temples than even aurajeb Ghori Ghazanavi combined.
@@sujitkumarsaurava9207 मान्यवर बुद्धि का सही प्रयोग करो। आर्य समाज कोई , मत पंथ सम्प्रदाय नहीं है। यह एक संस्था का नाम है। रामायण गीता, महाभारत से लेकर किसी भी ग्रन्थ को पढ़ो। सब में आर्य शब्द ही मिलेगा। क्योंकि आर्य मतलब है। श्रेष्ठ। ऋषि दयानन्द जी ने वेदों की ओर लौटो यह कहकर लोगों को वेदों के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। बहुत सारे काम किए-- || संसार के महान पुरुषों में महर्षि दयानन्द की शान निराली है। अन्य महापुरुषों में किसी में एक गुण है तो किसी में दूसरा । जैसा कोई विद्वान् है तो वक्ता नही, कोई वक्ता है तो सत्य वादी नहीं। कोई सत्य वादी है तोनिर्भीक नही। कोई निर्भीक है तो सुधारक नही, कोई सुधारक है तो ब्रह्मचारी नही, कोई ब्रह्मचारी है तो तपस्वी नही। कोई तपस्वी है तो संयमी नही । कोई संयमी है तो योद्धा नही, कोई योद्धा है तो त्यागी नही, कोई त्यागी है तो सन्यासी नही। कोई सन्यासी है तो वेदज्ञ नही, कोई वेदज्ञ है तो दयालु नही । कोई दयालु है तो परोपकारी नही, कोई परोपकारी है तो याज्ञिक नही। कोई याज्ञिक है तो कर्मठ नही, कोई कर्मठ है तो राष्ट्रभक्त नही, कोई राष्ट्रभक्त है तो दुष्ट संहारक नहीं। कोई दुष्ट संहारक है तो दृढ़ता नही, और किसी में दृढ़ता है तो सत्य पर विश्वास नही। किसी को सत्यपर विश्वास है तो। किसी ने पाखंड को छेड़ा नही, किसी ने पाखंड को छेड़ा तो ईश्वर का भक्त नही। कोई ईश्वर भक्त है तो उन्हें ईश्वर की पहचान नही | ये सभी गुण अगर किसी एक में देखना हो तो सिर्फ महर्षि दयानंदजी में देखा जाना सम्भव है ||
दोनों ही विद्वान आचार्यों को नमन है। स्वामी रामदेव जी को विशेष धन्यवाद हिन्दुओं को एकजुट करने के प्रयास के लिए। स्वामी जी आप लगे रहिए , आपका यह पुनीत कार्य जरूर एक दिन सुखद परिणाम लाएगा।
परम पूज्य बाबा रामदेव जी को और राम भद्राचार्य जी को कोटि कोटि प्रमाण प्रातः स्मरणीय महर्षि दयानंद सरस्वती महान तेजस्वी महापुरुष के बताए मार्ग का हम सभी को अनुसरण करने की जरूरत है वर्तमान परिपेक्ष्य में 🌹🌹❤️❤️❤️🙏🙏🙏🙏🙏👍👍👍💪
ओ३म् यह एक बेहतरीन साक्षात्कार संवाद था। जिस तरह से उन्होंने प्रश्नों को संभाला उसके लिए योग ऋषि स्वामी रामदेव जी को बहुत-बहुत धन्यवाद। स्वामी रामभद्राचार्य जी ने जिस तरह से विषय को स्पष्ट किया, हम उसकी भी सराहना करते हैं । मुझे यकीन है कि कुछ प्रमुख लोगों ने सभी हिंदुओं की एकता के लिए इसे पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की होगी इसलिए सभी लोगों को बहुत-बहुत धन्यवाद, महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती जी की जय मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र की जय हो योगीराज श्री कृष्ण की जय हो,महर्षि दयानंद की जय हो ,आर्य समाज अमर रहे वेद की ज्योति जलती रहे ओ३म् का झंडा ऊंचा रहे ओ३म् भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ओ३म् ओ३म् ओ३म्
Mere prabhu bagwan shree krishna ji ki jai ho sada jai ho Sabhi vashnav mahapurusho ke charno me koti koti pranam Satya sanatan dharm ki jai ho sada jai ho
रामदेव जी महाराज सबके समक्ष विनम्रतापूर्वक संवाद हेतु सदैव तत्पर एवं समर्पित रहते हैं।वे सभी सनातनधर्मियों को एकसूत्र में पिरो सकते हैं। उन्हें आगे बढ़ाने हेतु सभी ने हर प्रकार से समर्थन देना चाहिए।
Ramdev ji ne bahut hi विनम्रतापूर्वक rambhdracharya ji ke age arya samaj ke पक्ष को रखा और rambhadracharya ji ne bhi utni shalinta se dayanand ko apna Acharya sweekar kiya... dono manubhavo ka dhanyawad... is vartalap se hindu dharam ko jarur bal milega
परम पूज्य स्वामीजी महाराज जी ने स्पषटता से बात कही राष्ट्र हित मे है तथा जगत गुरु श्री राम भद्राचार्य महाराज जी के श्री चरणों में शत-शत नमन वंदन है। तथा पुरे संत समाज ने एक होकर नेक बनकर कार्य करना चाहिए क्योंकि विधर्मी तभी हारेंगे, पराजित होंगे। सनातन धर्मी एक हो जायें
मान्यवर बुद्धि का सही प्रयोग करो। आर्य समाज कोई , मत पंथ सम्प्रदाय नहीं है। यह एक संस्था का नाम है। रामायण गीता, महाभारत से लेकर किसी भी ग्रन्थ को पढ़ो। सब में आर्य शब्द ही मिलेगा। क्योंकि आर्य मतलब है। श्रेष्ठ। ऋषि दयानन्द जी ने वेदों की ओर लौटो यह कहकर लोगों को वेदों के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। बहुत सारे काम किए-- || संसार के महान पुरुषों में महर्षि दयानन्द की शान निराली है। अन्य महापुरुषों में किसी में एक गुण है तो किसी में दूसरा । जैसा कोई विद्वान् है तो वक्ता नही, कोई वक्ता है तो सत्य वादी नहीं। कोई सत्य वादी है तोनिर्भीक नही। कोई निर्भीक है तो सुधारक नही, कोई सुधारक है तो ब्रह्मचारी नही, कोई ब्रह्मचारी है तो तपस्वी नही। कोई तपस्वी है तो संयमी नही । कोई संयमी है तो योद्धा नही, कोई योद्धा है तो त्यागी नही, कोई त्यागी है तो सन्यासी नही। कोई सन्यासी है तो वेदज्ञ नही, कोई वेदज्ञ है तो दयालु नही । कोई दयालु है तो परोपकारी नही, कोई परोपकारी है तो याज्ञिक नही। कोई याज्ञिक है तो कर्मठ नही, कोई कर्मठ है तो राष्ट्रभक्त नही, कोई राष्ट्रभक्त है तो दुष्ट संहारक नहीं। कोई दुष्ट संहारक है तो दृढ़ता नही, और किसी में दृढ़ता है तो सत्य पर विश्वास नही। किसी को सत्यपर विश्वास है तो। किसी ने पाखंड को छेड़ा नही, किसी ने पाखंड को छेड़ा तो ईश्वर का भक्त नही। कोई ईश्वर भक्त है तो उन्हें ईश्वर की पहचान नही | ये सभी गुण अगर किसी एक में देखना हो तो सिर्फ महर्षि दयानंदजी में देखा जाना सम्भव है ||
अगर आप में तार्किक बुद्धि और कड़वा सत्य स्वीकार करने की क्षमता है तो एक बार सत्यार्थ प्रकाश पढ़िए। रामभद्राचार्य जैसे धूर्त और पाखंडियों का पाखंड समझ आ जायेगा। इनके मुख से उनकी तारीफ सुनकर घोर आश्चर्य हो रहा है। दोनों के विचारों की तुलना आग और पानी से ही की जा सकती है। जिनका मेल असंभव है।
जय सनातन जय भारत जय जय सभी सनातन धर्म के साकार व निराकार मत के आचार्यों की और अनुयायियों की स्वामी रामदेव व जगतगुरु रामभद्राचार्य जी के इस संवाद से मेरा हृदय अत्यंत प्रसन्न हुआ इस प्रसन्नता को शब्दों में बांधना मेरे लिए असंभव है 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
🕉️🚩🇮🇳🙏 सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय । ईश्वर और सभी देवी देवताओं ऋषियों गुरुजनों मुनियों संतों और वर्तमान महापुरूषों को मैं बारम्बार सादर प्रणाम करता हूं 🙏🙏🙏🙏🙏
क्रान्तिकारी योग ऋषि रामदेव को कोटिश: नमन वंदन अभिनन्दन , मध्यस्थता व संशय दूर करने के लिए , सनातन परम्परा के आध्यात्मिक गुरुओं को एक मंच पर आकर भारत ही नहीं वरन सम्पूर्ण विश्व के मानवता की रक्षा के लिए कार्य करना चाहिए, ..... मनुष्य कृत नहीं वरन ऋषि कृत ग्रन्थों व शास्त्रों को प्रमाण मानना चाहिए , उसी को अंगीकार करना चाहिए , यही उपाय है सनातनियों की तनी तनियों को दूर करने का .... और कोई मार्ग नहीं है . हमारे सभी ऋषि मुनियों की जय हो ..... ,🙏🙏🙏
स्वामी जी गीता को अपनाये बिना धर्म की स्थापना नहीं हो सकती, स्वामी जी जी से आग्रह है गीता का उपदेश सभी सनातनियो तक पहुचाये, और सभी सनातनियो को अपनाने की प्रेरणा दे। यति महाराज, गाजियाबाद, इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं, आप सभी उनका साथ दे। हर हर महादेव।
मै देश के एक नागरिक के नाते आप दोनो महानुभव सनातनी महापुरुषों को प्रणाम करता हूं. और खूब खूब धन्यवाद देता हु. इस व्हिडिओ से हमे बहुत आनंद हुआ इसी एकता की हम सभी देशवासियों को जरूरत है 🙏🇮🇳🙏🕉️🕉️🕉️ आप एक हो गये तो सारा देश एक हो जायेगा
रामभद्र जी, ऋषि-परम्परा के प्रतिनिधि ऋषि महर्षि देव दयानन्द की वेदार्थ में ऋषि-दृष्टि को तथा भगवान श्री राम एवं योगेश्वर श्री कृष्ण भगवान के प्रति ऋषि दयानन्द के आप्त वचनों का श्रवण कर क्षमा याचना करके अपनी उदारता व विनम्रता का परिचय दीजिए। स्मरण कीजिए--नमन्ति गुणिनो जनाः ,शुष्कवृक्षाश्च मूर्खाश्च न नमन्ति कदाचन।
क्षमा मांगने का नैतिक साहस विरलों में ही होता है। ये दोनों व्यक्ति एक दूसरे की प्रशंसा करते हुए डैमेज कंट्रोल का प्रयास कर रहे हैं। दोनों में राजनेताओं जैसी चालाकी विद्यमान है, बस वेश भिन्न है, वैसे भी दोनों को राजसंगति का चस्का है, 'सन्तन को क्या सीकरी से काम' का विलोम। सरलता और सज्जनता को शब्दाडम्बर की आवश्यकता नहीं होती, जिसके दोनों विशेषज्ञ और प्रयोक्ता हैं। -- डाॅ. रामवीर
महर्षि दयानंद सरस्वती की सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक पढ़ी है, जबरदस्त बेहतरीन बुक है, उन्होंने इस बुक में ईसाइयों मुस्लिमो बौद्ध जैन पुराणियो नास्तिको सभी से शास्त्रार्थ किया और जीता ,पूरी पुस्तक लिखी, किसी भी जटिल हिंदू को घेरने वाले प्रश्न के उत्तर दिए🙏👍👍
आर्य समाज का विरोध करना महर्षि दयानंद से हुई भूल बताना तत्पश्चात आर्य समाज के द्वारा तेवर एवं उग्र रूप से रामभद्राचार्य का विरोध करना रामभद्राचार्य को कड़ा अनुभवहुआ। सभी आर्य समाज के विद्वानों का मैं धन्यवाद ज्ञापित करते हुए साधुवाद देता हूं ।परंतु इस कार्य को पूर्ण करने में स्वामी रामदेव जी का अपूर्व सहयोग भी प्रशंस नीय है। आर्य समाज के सभी लोगों की भावनाओं को स्वामी रामदेव जी ने बहुत हीकुशलता धैर्य और सम्मान के साथ रामभद्राचार्य के समक्ष प्रस्तुत करते हुए महर्षि दयानंद पर उठाई गई कीचड़ को साफ किया। और रामभद्राचार्य के मुख से महर्षि दयानंद की प्रशंसा करवाई। यह बात अलग है कि उनमें वार्ता करते हुए कुछ बातें सिद्धांत के विपरीत फिर भी कही गई परंतु हिंदुओं की एकता पर आकर के सभी एक मत हूं यह अच्छी बात है जैसे स्वामी श्रद्धानंद और पंडित मदन मोहन मालवीय दोनों ने मिलकर हिंदुत्व के लिए कार्य किया हमें ऐसा ही कार्य करना चाहिए वह समय हमारे सामने उपस्थित है
स्वामी रामदेव जी एवं पूज्य श्री रामभद्राचार्य जी महाराज के द्वारा जो संवाद हिंदू एकता के बारे में हो रहा है वह सराहनीय है आप दोनों को मेरा कोटि कोटि प्रणाम
@@vikramsaini864 Mufti pooja is the very foundation of the Hindu dharma and Dayananda attacked it with same zeal as an abrahmic fanatic. Arya samaj is the 1st step towards dehinduisation of hindus and then convert them to abrahmic mlechchha cults.
आदरणीय दोनो संतों को मेरा सादर नमन।आपका एक मंच पर उदय हुआ हर्ष का विषय है और संत श्री रामदेव जी ने तो एक कदम आगे आकर देश को जो स्वदेशी और आत्म निर्भर होने का पाठ पढ़ाया अपितु कर्मठता से करके भी दिखाया इसके लिए हम अपने को गौरवानुभूत मानते हैं उन्होंने ये कारनामा तब किया जबकि देश में प्रतिष्ठित कंपनियां पहले से ही जमी हुई है और गलत हटकंडे अपनाकर उनके व्यवसाय में बाधा पहुंचती हैं।
विनम्रता पूर्वक कहना चाहता हूं कि पूज्य रामभद्राचार्य जी सभी सनातन धर्म के गुरुओं को " सत्यार्थ प्रकाश " सहित अन्य सभी वैदिक ग्रंथों का अवश्य स्वाध्याय करना चाहिए ......🙏🙏🙏
@@navinchandra4032 Dayananda bhi mlechchha tha aur bhadra bhi mlechchha. Hinduon ko in mlechhon se kya lena dena. Daya was a british stooge and a crypto christian. Bhadra is a sanghi stooge and mlechha.
Swami rambhadracharya ko हर चीज़ का ज्ञान है. चारों वेद, 108 उपनिषद, दर्शन, मार्क्सवास, बुद्ध, चार्वाक कुरान, बाइबिल, jain dharm सभी का ज्ञान है। लेकिन बुद्धीमान अपनी प्रशंसा नहीं करता. वह चुप रहता है।
Vashnav mahapurush sabhi jeev Aatma se Prem karte hai vo Maya se pare hote hain hirrday minder me Siya Ram hai unke Sabhi vashnav mahapurusho ke charno me koti koti pranam hai Satya sanatan dharm ki jai ho sada jai ho Bhram mad Nayak shree krishna ji ki jai ho sada jai ho
स्वामी जी जिस तरीके से इनसे चर्चा की सभी आर्य बंधुओ को इससे सीख लेना चाहिए । इनके उत्तर से क्षमा मांगने का भाव दिख रहा है । आर्य समाज कठोरता से अपनी बात रखते है इसलिए लोग रूष्ट हो जाते है । सही तरीके से बात रखने पर सभी को सत्यार्थ प्रकाश की मार्ग पर लाया जा सकता है
❤ यदि वैदिक धर्म के अनुयाई हिन्दू समाज तथाकथित स्वघोषित धर्मगुरुओं के चक्कर में पड़ कर आपस में ही लड़ना छोड़कर वेदानुकूल परस्पर प्रेम से रहना शुरू कर दे तो वास्तव में विश्व में किसी की मजाल नहीं जो उसका सामना भी कर सके।सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय हो।।
@@shahajishinde7164 सही मुझे बाबा रामदेव जी का तरीका बहुत अच्छा लगा बात करने का बाकी आर्य समाज तो कटाक्ष करते रहे और उल्टा सीधा बोलते रहे बाबा रामदेव जी ने जिस तरह से बात की सारे मैटर और विवाद समाप्त हो गए स्वामी राम देव जी ने अपनी बात भी कह दी और श्री रामभद्राचार्य जी का अपमान भी नहीं किया बहुत सुंदर
परम आदरणीय हमारे पूजनीय संत महात्माओं के श्री चरणों में कोटि कोटि नमन साधुवाद सकल विश्व को ज्ञान की ज्योति और प्रभु के सभी अमृत पुत्र पुत्रियों को अर्थात प्रभु ने बिना भेद भाव के सभी मानव की समान उत्पति की के तत्व दृष्टा अधबुध ज्ञान दृष्टा पूज्य ऋषि देव दयानन्द गुरुकुल के सभी आचार्यों के श्री चरणों में नमन कोटि कोटि नमन
@@satishyadav7246 arya samaj .ko target karna bahut asan hai . Lekin koi bhakt muh nahi kholega .rambhadracharya ko konsi khujli thi jo aisa jhutha bayan diya tha .