डा. गंगाराम राजी अब तक 300 से अधिक कहानियां लिख चुके हैं। इनके अब तक 22 कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें युगों पुराना संगीत, सिंहावलोकन, चक दे इंडिया, प्रेम पत्र, रिमझिम बरसे, मेरी मुंबई प्रवास की कहानियां, चलती का नाम गाड़ी है, एक और मुक्ति वाहिनी, उल्लू न बनाओ, पांच बीघे जमीन, जीवन एक पहेली, कोने का बुहारा हुआ कुड़ा, एक भीगी सुबह, नटखट भयो राम जी, भीगी-भीगी रे चदरिया, बुलेट ट्रेन, करोना काल की कहानियां, ऐ मालिक तेरे बंदे हम, मैं उसकी आंख का तारा था, कहानी पागल होने की, भाग ओए भाग और सूत्रधार शामिल हैं।
राजी ने स्वतंत्रता सेनानी स्वामी कृष्ण नंद और रानी खैर गारी के जीवन पर एक उपन्यास ‘ सिंध का गांधी ’ लिखा, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया.
सम्मान
डा. गंगाराम राजी को भैरों कभी नहीं मरा के लिए भारतीय वाङ्मय पीठ कोलकाता की ओर से साहित्य शिरोमणि सारस्वत सम्मान प्रदान किया गया। वहीं पर इसके उर्दू अनुवाद, जो अब्दुल एमके बारी द्वारा किया गया है, को भी उर्दू अकादमी लखनऊ, बिहार ने पुरस्कृत किया है। वहीं पर व्यंग्य यात्रा सम्मान, गंगेश्वर उपाध्याय कहानीकार सम्मान गहमर उत्तर प्रदेश, साहित्य समर्था जयपुर द्वारा डा. कुमुद टिक्कू कहानी पुरस्कार, हिंदी साहित्य भूषण 2020 रायपुर छत्तीसगढ़, प्रतिभा पुष्प सम्मान यूएस और भारतीय सांस्कृतिक निधि मंडी अध्याय द्वारा सांस्कृतिक विरासत के लिए सम्मानित 2021 सम्मानित किया गया है।
#हिमाचल, #himachal, #himachalpradesh, #हिमाचल_प्रदेश
हिमाचल के साहित्यकार
15 сен 2024