अति सुन्दर जलगान , बहुत ही सुन्दर पानी गीत । मनभावन था बादल गान , उतना ही सुन्दर सावन गीत । आपके कण्ठ में मां सरस्वती विराजती हैं । थोड़ा सा आपकी बोली में कहना चाहूं तो आप बहुत कर्ण प्रिय स्वर पाई हैं । बच्चे तो बच्चे , यहां तक कि बड़ों के कानों में मिसरी सी घुल जाती है । अवधि , भोजपुरी के अतिरिक्त इस गायन शिक्षण शैली का प्रचलन बाकी सभी भाषा बोली की शैलियों में जोर पकड़ना चाहिए , जैसे हरियाणवी , राजस्थानी , पंजाबी , कश्मीरी , कुमाऊनी , गुजराती , उड़िया , बंगला आदि ।
1.उत्तम सन्देश पूर्ण गीत । 2.इतने अद्भुत काव्य गीत प्रस्तुति पर मुझ से पहले केवल पांच छः टिप्पणी / कमेंट्स देखकर बहुत अजीब भी लगा । इतने सार्थक , शिक्षाप्रद एवम् सुमधुर गीत पर तो टिप्पणियों की झड़ी लग जानी चाहिए थी । दर्शक श्रोतागण कृपया ध्यान धरें और इस ओर कुछ कम करें । 3. एक विशेष असग्रहपूर्ण निवेदन । गीत / काव्य प्रस्तुति के उपरांत बच्चों से वार्तालाप के अंतर्गत सुंदर संदर्भ और प्रसंगवश पूछने पर बताया गया कि पानी न हो तो हम मर जाएंगे । कृपया नोट करें , यहां पर कहा जाना चाहिए था कि पानी के बिना हम जीवित नहीं रह सकते । ऊपरी तौर पर देखने में बात बराबर है किन्तु बाल मनोविज्ञान के मुताबिक बहुत बड़ा अन्तर है । मौत या मर जाने जैसे शब्द बहुत भारी और नकारात्मक इंपैक्टकारी शब्द हैं जो बहुत छोटे , अबोध और मासूम बच्चों के अवचेतन में भय रोपित कर देते हैं । बड़े होने पर तो इन्हें जीवन मृत्यु के कॉन्सेप्ट से अवगत होना ही है । आई थिंक यू हैव गॉट व्हाट आई said.
दो एक टाइपिंग त्रुटियां हुई हैं , कृपया उन्हें सही करके पढ़ें । 2.अनुच्छेद संख्या 2 के अन्त में कुछ कम करें की बजाय कुछ काम करें पढ़ा जाए । 3. अनुच्छेद क्रमांक 3 के शुरू में ही आग्रहपूर्ण शब्द को ही समझा जाय । धन्यवाद ।