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|जब निराकार ब्रह्म का दर्शन होने लगता है तब चित्त की अवस्था कैसी होती है |UTSAHI IMPERSONAL ENERGY| 

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साधारतया, जहाँ उलझन होती है, वहां गाँठें पड़ने की संभावना अधिक होती है. इसी तरह उलझनों में पड़े मन में भी गांठें बन जाती हैं.
ये गाँठे मन में घर करने वाले तरह-तरह के विकार जैसे स्वार्थ, ईर्ष्या, द्वेष व् क्रोध इत्यादि हैं. इसी तरह जीवन भर अनेकों संशय इन्सान को घेरे रहते हैं.
कौन से कर्म करने योग्य हैं, कौन से नहीं ; क्या ठीक है और क्या गलत है- इस तरह के अनेकों संशय जीवन के हर पहलू में, जीवन के हर मोड़ पर साधारण मनुष्य को दुविधा में डाल देते हैं.
लेकिन जब ब्रह्मज्ञान के द्वारा सभी शक्तियों के एक स्वामी का पता चल जाता है, तब सभी भय दूर हो जाते हैं.
कौन सा कर्म ज्ञान के अनुकूल है और कौन सा कर्म ज्ञान का विरोधी है, यह समझ आ जाने से सभी दुविधाए दूर हो जाती हैं, सभी उलझनें सुलझ जाती हैं.
हमारा पक्का यकीन है कि कोई भी मनुष्य अगर अंत तक इस विडियो को देखता है तो वह यह समझने में सक्षम होगा कि ज्ञानप्राप्ति के फलस्वरूप जब सर्वत्र निराकार ब्रह्म का दर्शन होने लगता है तब चित्त की अवस्था कैसी होती है .
चित्त की अवस्था के बारे में कहा है-
भिद्यते हृदयग्रंथिश्छिद्यन्ते सर्वसंशयाः . श्रीयन्ते चास्य कर्माणि तस्मिन् दृष्टे परावरे .
अर्थात मन की गांठें खुल जाती हैं, सभी संशय दूर हो जाते हैं और सभी कर्म क्षीण हो जाते हैं जब कारण और कार्य रूप परमात्मा के दर्शन होते हैं.
इस मन्त्र में यह भी स्पष्ट कह दिया गया है कि निराकार परमात्मा का साक्षत्कार करने से जन्म मृत्यु बंधन से भी मुक्ति मिल जाती है. इस बंधन में बाधने वाले कर्मों से छुटकारा मिल जाता है
क्योंकि इस सृष्टि की डोरी को धारण करने वाले सूत्रधार को ज्ञानदृष्टि के द्वारा देख लेने से मनुष्य को पता चल जाता है कि जो भी कार्य हो रहा है, वह सब एक कर्ता के आदेश से हो रहा है
और साथ में यह भी समझ आ जाती है कि इसी कर्ता की कृपा से तन, मन, धन अपने कर्म में समर्थ होते हैं.
अगर इसकी कृपा से तन, मन व धन की शक्ति हो तभी मनुष्य के द्वारा इनसे कर्म करना संभव है.
जो विचारवान हैं, जिन्होंने सत्य को जान लिया है और यह समझ लिया है कि संसार के सभी सुख नाशवान हैं, मुट्ठी में से रेत की तरह न जाने कब ये हाथ से निकल जाएं. वे विवेकी लोग इनको नाशवान और अंत में दुखदायी जानकर, इनकी कामना नहीं करते.
जहाँ बीज नहीं, वहां फिर वृक्ष कैसे उत्पन्न हो सकता है. जिस ह्रदय में संसार के पदार्थों की इच्छा नहीं, उसका इस संसार में फिर आवागमन कैसे हो सकता है.
मुंडकोपनिषद में ऋषि अंगीरा कह रहे हैं कि - कामान यः कामयते मन्यमानः, स कामभिर्जायते तत्र तत्र.
पर्याप्तकामस्य क्रितात्मनसित्व- हैवं सर्वे प्रविलीयन्ति कामाः ..
अर्थात जो भोगों की कामना करता है, वह उन कामनाओं के कारण, जहाँ वे भोग उपलब्ध हो सकें, वहां उत्पन्न होता है.
लेकिन जो भगवान के भक्त पूर्णकाम हो गए हैं, जिनकी समस्त कामनाएँ इस शरीर में ही विलीन हो जाती हैं, उन्हें पुनः जन्म नहीं लेना पड़ता.
जिस परमात्मा को जाना व देखा, उस पर दृढ़ विश्वास रहे और माया का प्रभाव ज्ञान पर हावी न हो इसी में ज्ञानी के बल का परिचय मिलता है.
ज्ञान तो प्राप्त हो गया, अब भला कुछ करने की आवश्यकता नहीं है, ऐसा सोचकर जो इस संसार में अपने कर्तव्यों को छोड़ बैठते हैं वे अपने लक्ष्य से चूक जाते हैं.
श्रीमद्भागवद्गीता में श्री कृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि यद्यपि तीनों लोकों में उनके करने के लिए कुछ भी नहीं है, न ही कोई ऐसी अप्राप्त वस्तु है जिसे वे प्राप्त करना चाहते हैं, फिर भी वे निरंतर कर्म कर रहे हैं -
अर्जुन के लिए और हर इन्सान के लिए भी श्री कृष्ण का यही उपदेश रहा - नियतं कुरु कर्म त्वं, कर्म ज्यायोत्द्यकर्मणः .
अर्थात निरंतर कर्म करते जाओ क्योंकि कर्म ही महान है .
इस सन्दर्भ में श्री कृष्ण स्पष्ट कहते हैं कि कर्म को छोड़कर जो सन्यास धारण करते हैं, उन्हें अपने लक्ष्य में सफलता नहीं मिलती. न च संन्यसनादेव सिद्धिं समधीगच्छति.
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Опубликовано:

 

6 сен 2024

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Комментарии : 14   
@tarajethwani5370
@tarajethwani5370 Месяц назад
Om namho narayan ati uttam
@UTSAHIIMPERSONALENERGY-yg3ok
@UTSAHIIMPERSONALENERGY-yg3ok Месяц назад
ॐ नमः नारायण । शुक्रिया प्रभु जी
@VipinJoshi-kb1cj
@VipinJoshi-kb1cj Месяц назад
Ati uttm vichar🎉🎉
@UTSAHIIMPERSONALENERGY-yg3ok
@UTSAHIIMPERSONALENERGY-yg3ok Месяц назад
ये आपका प्रेम है प्रभु जी
@SadhanaSingh-iw9by
@SadhanaSingh-iw9by Месяц назад
Brahm ki anubhuti hoti hai ji❤❤
@UTSAHIIMPERSONALENERGY-yg3ok
@UTSAHIIMPERSONALENERGY-yg3ok 5 дней назад
जी प्रभु जी ❤
@user-rh3rp6uz6t
@user-rh3rp6uz6t Месяц назад
उत्तम अतिउत्तम❤❤❤🎉🎉🎉
@UTSAHIIMPERSONALENERGY-yg3ok
@UTSAHIIMPERSONALENERGY-yg3ok 5 дней назад
Thanks 🙏💕
@d.rchantola9158
@d.rchantola9158 Месяц назад
धर्म ग्रंथ का उदाहरण देते हुए ब्रह्म के बारे में ज्ञान का स्पष्टीकरण किया है।
@UTSAHIIMPERSONALENERGY-yg3ok
@UTSAHIIMPERSONALENERGY-yg3ok Месяц назад
कृपा है प्रभु जी
@user-rh3rp6uz6t
@user-rh3rp6uz6t Месяц назад
शानदार ❤❤
@UTSAHIIMPERSONALENERGY-yg3ok
@UTSAHIIMPERSONALENERGY-yg3ok 5 дней назад
Thanks 🙏❤️
@Maanvikadoliya224
@Maanvikadoliya224 Месяц назад
❤️🪷🙏🏻
@UTSAHIIMPERSONALENERGY-yg3ok
@UTSAHIIMPERSONALENERGY-yg3ok Месяц назад
🙏💐💕💕🌹
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