Тёмный

दिल मेरा उलफते शब्बीर से भर दे या रब | Marsia- e -Syed Mirza Tashshuk | Urdu Marsiya | Urdu Poetry | 

Sunil Batta Films
Подписаться 285 тыс.
Просмотров 5 тыс.
50% 1

Channel- Sunil Batta Films
Documentary on Marsia (Urdu Poetry) - Marsia - e - Syed Mirza Tashshuk
Produced & Directed by Sunil Batta, Voice- Navneet Mishra, Camera-Chandreshwar Singh Shanti, Production- Dhruv Prakesh, Camera Asst.- Runak Pal, Kuldeep Shukla,
Synopsis-
सैय्यद मीरज़ा तअश्शुक़ का सबसे नुमायां कारनामा मरसिया में तग़ज़्जुल का समोना है। उन्होंने उस के ज़रीये उर्दू मरसीया को एक नई कैफ़ियत आता की। वह अपने अहद के मरसिया कहने वालों की सफेअव्वल में नज़र आते हैं। जब उन के मुआसिरीन पर नज़र पड़ती है और उन में अनीस, दबीर, इश्क़ मोनिस जैसे बाकमाल और नामवर मरसियागो दिखाई देते हैं तो ऐसे वक़्त में उन का यह कारनामा कम नहीं समझना चाहिए कि ऐसे बाकमाल लोगों के सामने उन्होंने अपना एक मक़ाम पैदा कर लिया।
तअश्शुक़ का अस्ल नाम सैय्यद मीरज़ा है। तअश्शुक़ उन का तख़ल्लुस है। लखनऊ में सैय्यद साहब के लक़ब से मशहूर थे। मीर इश्क़ के छोटे भाई थे और अपने आबाई मकान वाके़ रकाबगंज, दाल मंडी, लखनऊ में 03 मार्च 1823 ईस्वी को पैदा हुए, मीर तअश्शुक़ के वालिद सैय्यद मीरज़ा उन्स है। तअश्शुक़ की तालीम व तरबियत उन के वालिदैन की ज़ेरे निगरानी हुई। उन के वालिद सैय्यद मोहम्मद मीरज़ा उन्स, अरबी फारसी की इल्मी तालीम तीर अंदाज़ी, स़ैफ ज़नी के भी उस्ताद थे।
तअश्शुक़ के मरसियों की एक बड़ी खूसूसियत तग़ज़्जुलआमेज़ पैराया बयान है। उन्हें ख़ुद भी ग़ज़ल के मज़ामीन से बड़ी दिलचस्पी थी। इस मज़मून के मुतअल्लिक़ उन का इनतेख़ाब पेश है -
दिल मेरा उलफते शब्बीर से भर दे या रब
जो हंसे अब्र पे वह दीदऐ तरदे या रब
जिस में महबूब का सौदा हो वह सर दे या रब
रश्के खुर्शीद हो वह दाग़े जिगर दे या रब
ख़ानऐ मातमे शब्बीर बने घर मेरा
ज़लज़ले आयें जो तड़पे दिल मेरा
उन की ख्वाहिश थी कि वाके़आते करबला की तसवीरकशी इतनी कामयाबी से करें कि वह तस्वीर ग़मो अलम का मज़हर बन जाये। उन का मुसद्दस पेश है-
खींच एै क़लम मरक़ऐ सहराये करबला
हर एक की निगाह में फिर जाये करबला
खुब जायें सब की आंख़ों में गुलहाये करबला
लहरा रहा हो सामने दरयाऐ करबला
सुरख़ी के मदहों, दोश पे एैसे पड़े हुए
मक़तल में जिस तरह से हों लाशे पड़े हुए
तअश्शुक़ की उम्र का एक बहुत बड़ा हिस्सा हिन्दुस्तान से बाहर गुज़रा। करबला के अपने आखि़री सफर की वापसी के कुछ सालों तक कई छोटे बड़े सदमे उठाये और इस दरमियान बड़े भाई मीर इश्क़ की मौत का सदमा भी मिला, जिस का बहुत असर कुबूल किया। और इस ग़म की वजह से धीरे धीरे सेहत ख़राब होती गई और आखि़रकार बतारीख़ 1 अप्रैल 1891 ईस्वी को इस दारेफानी से कूच कर गये और अपने आबाई क़ब्रिस्तान वाके रकाबगंज बाग़ मीर इश्क़ में मद़फून हुए।
#UrduPoetry
#MarsiyaKhwaniLucknow
#ImamHussain
#Muharram
#MarsiyaUrdu
#MarsiaSyedMirzaTashshuk
#IMAMBARA

Развлечения

Опубликовано:

 

3 сен 2019

Поделиться:

Ссылка:

Скачать:

Готовим ссылку...

Добавить в:

Мой плейлист
Посмотреть позже
Комментарии    
Далее
Daastane Karbala In Urdu // Stone X Official
1:10:31
Просмотров 1,5 млн
Crossing the Most Dangerous Crosswalk
00:24
Просмотров 8 млн
Shaheed e karbala movie in urdu
44:35
Просмотров 26 млн
Yazeed kon tha by Dr Israr Ahmad
9:34
Просмотров 339 тыс.
ЖВАЧКИ!!!
0:47
Просмотров 3,4 млн
Они нас подслушивают😁
0:52
Просмотров 3 млн