महाभारत के खिल-भाग हरिवंश पुराण में वसुदेव को गोप ही कहा गया है। और कृष्ण का जन्म भी गोप (आभीर) जन-जाति में हुआ था; एेसा वर्णन है । प्रथम दृष्ट्या तो ये देखें-- कि वसुदेव को गोप कहा है। यहाँ हिन्दी अनुवाद भी प्रस्तुत किया जाता है । "इति अम्बुपतिना प्रोक्तो वरुणेनाहमच्युत । गावां कारणत्वज्ञ:कश्यपे शापमुत्सृजन् ।२१ येनांशेन हृता गाव: कश्यपेन महर्षिणा । स तेन अंशेन जगतीं गत्वा गोपत्वमेष्यति।२२ द्या च सा सुरभिर्नाम अदितिश्च सुरारिण: ते८प्यमे तस्य भार्ये वै तेनैव सह यास्यत:।।२३ ताभ्यां च सह गोपत्वे कश्यपो भुवि संस्यते। स तस्य कश्यस्यांशस्तेजसा कश्यपोपम: ।२४ वसुदेव इति ख्यातो गोषु तिष्ठति भूतले । गिरिगोवर्धनो नाम मथुरायास्त्वदूरत: ।२५। तत्रासौ गौषु निरत: कंसस्य कर दायक:। तस्य भार्याद्वयं जातमदिति सुरभिश्च ते ।२६। देवकी रोहिणी देवी चादितिर्देवकी त्यभृत् ।२७। सतेनांशेन जगतीं गत्वा गोपत्वं एष्यति। __________________________________________ गीता प्रेस गोरखपुर की हरिवंश पुराण 'की कृति में श्लोक संख्या क्रमश: 32,33,34,35,36,37,तथा 38 पर देखें--- अनुवादक पं० श्री राम नारायण दत्त शास्त्री पाण्डेय "राम" "ब्रह्मा जी का वचन " नामक 55 वाँ अध्याय। अनुवादित रूप :-हे विष्णु ! महात्मा वरुण के ऐसे वचनों को सुनकर तथा इस सन्दर्भ में समस्त ज्ञान प्राप्त करके भगवान ब्रह्मा ने कश्यप को शाप दे दिया और कहा ।२१। कि हे कश्यप अापने अपने जिस तेज से प्रभावित होकर उन गायों का अपहरण किया । उसी पाप के प्रभाव-वश होकर भूमण्डल पर तुम अहीरों (गोपों)का जन्म धारण करें ।२२। तथा दौनों देव माता अदिति और सुरभि तुम्हारी पत्नीयाें के रूप में पृथ्वी पर तुम्हरे साथ जन्म धारण करेंगी।२३। इस पृथ्वी पर अहीरों ( ग्वालों ) का जन्म धारण कर महर्षि कश्यप दौनों पत्नीयाें अदिति और सुरभि सहित आनन्द पूर्वक जीवन यापन करते रहेंगे । हे राजन् वही कश्यप वर्तमान समय में वसुदेव गोप के नाम से प्रसिद्ध होकर पृथ्वी पर गायों की सेवा करते हुए जीवन यापन करते हैं। मथुरा के ही समीप गोवर्धन पर्वत है; उसी पर पापी कंस के अधीन होकर वसुदेव गोकुल पर राज्य कर रहे हैं। कश्यप की दौनों पत्नीयाें अदिति और सुरभि ही क्रमश: देवकी और रोहिणी के नाम से अवतीर्ण हुई हैं २४-२७।(उद्धृत सन्दर्भ --) पितामह ब्रह्मा की योजना नामक ३२वाँ अध्याय पृष्ठ संख्या २३० अनुवादक -- पं० श्रीराम शर्मा आचार्य " ख्वाजा कुतुब संस्कृति संस्थान वेद नगर बरेली संस्करण) अब कृष्ण को भी गोपों के घर में जन्म लेने वाला बताया है । ____________________________________ गोप अयनं य: कुरुते जगत: सार्वलौकिकम् । स कथं गां गतो देशे विष्णुर्गोपर्त्वमागत: ।।९। अर्थात्:-जो प्रभु भूतल के सब जीवों की रक्षा करनें में समर्थ है । वे ही प्रभु विष्णु इस भूतल पर आकर गोप (आभीर) क्यों हुए ? ।९। हरिवंश पुराण "वराह ,नृसिंह आदि अवतार नामक १९ वाँ अध्याय पृष्ठ संख्या १४४ (ख्वाजा कुतुब वेद नगर बरेली संस्करण) सम्पादक पण्डित श्री राम शर्मा आचार्य . गीता प्रेस गोरखपुर की हरिवंश पुराण की कृति में वराहोत्पत्ति वर्णन " नामक पाठ चालीसवाँ अध्याय इतना कुुछ शास्त्रीय प्रमाण होने को बावजूद भी रूढ़ि वादी लोग चिल्ला चिल्ला कर कहते रहते हैं कि अहीरों को बुद्धि 12 बजे आती है । इतना ही नहीं अहीरों के सीधेपन को मूर्खता सहन शीलता को कमजोरी समझ कर इनका उपहास उड़ाने वाले भी समाज में चौराहे चौराहे पर खड़े मिल- जाते हैं नि:सन्देह जिस यदु वंश में गायत्री सदृश्या ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी का जन्म नरेन्द्र सेन अहीर के घर में हुआ हो । और उन्हीं अहीरों के समाज में कृष्ण का जन्म हुआ हो । फिर अहीरों को मूर्खों की उपाधियाँ क्यों दी गयी ? अहीरों को पृथ्वी पर ईश्वरीय शक्तियाँ का रूप माना गया है । समस्त ब्राह्मणों की साधनाऐं गायत्री अहीरों की कन्या को प्रसन्न करने के लिए हैं । परन्तु अहीरों को द्वेष की दृष्टि से ब्राह्मण समाज द्वारा शूद्र अथवा दस्यु कहना कहाँ तक संगत है ? पृष्ठ संख्या (182) श्लोक संख्या (12)अब निश्चित रूप से आभीर और गोप परस्पर पर्याय वाची रूप हैं। यह शास्त्रीय पद्धति से प्रमाणित भी है । गो-पालन यदु वंश की परम्परागत वृत्ति ( कार्य ) होने से ही भारतीय इतिहास में यादवों को गोप ( गो- पालन करने वाला ) कहा गया है ।
प्रभु श्री कृष्ण जी की कृपा समस्त यादव लोगों पर बनी रहे जय यादव जय माधव जय यदुवंश जय हो इस चैनल का सदैव स्वागत सादर धन्यवाद एवं आभार बहुत सुंदर अच्छी बात सुनने सीखने देखने को मिलता है जय हो ❤🇮🇳🙏
All yadav community se request hain ki jaha bhi ye rahe sada peace maintain kare taaki apne kul ka maan hamesaa bade aur vishnu ,krishna aadi prasan rahe ... Thank you sir Thanks madhaw..I love u madhaw..
यदि गोप अर्थात अहिर जाती की उत्पत्ति सृष्टि के साथ हो गई थी तो जो महाराज यदु के वंशज अहिर है वो कौन हैं फिर तो दोनों अलग होंगे क्योंकि महाराज यदु चंद्रवंशी थे और महाराज यदु के वंशज गोप अहीर और यादव हुए ।
@@YADAVSAMMAN apke charno me koti koti pranam mai bihar se hu aur yadav hai apke dwara video bankar dalne se mujhe jankari aur jagrukta hui apne gaurausali otihas ke bare me janne ka apse niwedan hai ki iska aur prachar kare failaye
देवता ही जब उत्पन नही हुए तो अहिर कैसे उत्पन हुए । अगर उत्पन हुए तो शुद्र कैसे बन गए । अगर इतने महत्व थे इनको आज तक तुछ क्यों समझा जाता है । आप ऐसा बता कर अंध बिस्वास पाखंड जो बाभन के हथियार को मजबूत कर रहे हो ।
आप शुद्र का नाम भी ले रहे हो और वेद पुराण को पाखंड बता रहे हो इससे सिद्ध होता है कि तुम्हारी मानसिकता ठीक नहीं है क्योंकि शूद्र शब्द इन पुराणों में ही है तो फिर उस पाखंड द्वारा बताए गए शुद्र को क्यों ग्रहण कर रहे हो शूद्र तो समाज में बलपूर्वक थोपा गया है और तुम उसी की दुहाई दे रहे हो। एक ही जगह रहो। रही बात कौन कब पैदा हुआ तो इस वीडियो को देखो ru-vid.com/video/%D0%B2%D0%B8%D0%B4%D0%B5%D0%BE-4vHg9bUJeic.html