आमा का स्नेह - वात्सल्य , जोशी दम्पति का अटूट - परिश्रम तथा ब्यवहारिकता , मोनू और कबीर की विनम्रता अपनों को अपने पुश्तैनी घर में आने के लिये निरन्तर प्रेरित करेगी । सुन्दर ब्लॉग ।😊😊
पहाड़ी में पंचांग प्रभावशाली है,मैडम की भाषा भी प्रभावित करती है,हिन्दी में मजा नहीं आया सब अपनी भाषा जानते हैं ,मिट्टी की मूर्तियों को डेकरे कहते हैं यह भी बताना था,अब हरेले की पूजा दिखाते हुए हरेले में रखे डेकरों का जिक्र अवश्य कीजियेगा।शुभम्
राम राम ❤❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉🎉 अम्मा को प्रणाम पूरा परिवार को नमस्कार शुभ आशीष रुद को प्यार रुद्र बेटे हमेशा गांव में आते रहना अगली बार एक बहन के लिए मा पिताजी को कहना राम राम
कमला जी🙏 पहाड़ी भाषा में भी पंचाग का उल्लेख कीजियेग दोनों भाषा में बोले तो अच्छा - लगेगा तथा पंचांग की तरह हर रोज गांव का पता तहसील आदि सव बताने का कष्ट करे क्योंकि नये लोग भी देखते है - हम टिहरी गढवाल🙏