Jai Shri gopinath ji ki hkm Kachhwaha vansh ki MOKAWAT shakha ke bare me video banaye. Mokawat kachhwaha:- Maharaj Mokaji ke vanshaj Mokawat kahlate hai.Maharaj Mokaji Balaji ke putra or Maharaj udaikaranji ke potra the.rav shekhaji Maharaj Mokaji ke bhatije the.
राजा उदयकरण के पुत्रो से कछवाहों की मोकावत, शेखावत, नरुका व राजावत नामक शाखाओं का निकास हुवा |उदयकरण जी के तीसरे पुत्र बालाजी जिन्हें बरवाडा की 12 गावों की जागीर मिली मोकावतों के आदि पुरुष थे |बालाजी के पुत्र महाराज मोकमजी हुए, जिन्हें महाराज मोकाजी के नाम से भी जाना जाता है।मोकावत वंश के प्रवर्तक थे।महाराज मोकाजी के वंशज उनके नाम पर मोकावत कहलाये।जिनमें अनेकानेक वीर योध्दा हुए।महाराव शेखा जी के पिता राव मोकल जी के देहांत के बाद महाराज मोका जी के सानिध्य में राव शेखा जी का पालन-पोषण हुआ।राव शेखा जी रिश्ते में महाराज मोका जी के भतीजे थे। महाराज मोका जी व उनके वंशज(मोकावतों) ने आजीवन राव शेखा जी व उनके वंशज(शेखावतों) का साथ दिया।इसलिए कुछ मोकावत अपने आप को शेखावत भी लिखते हैं, जिनमें से एक नौसेना अध्यक्ष एडमिरल विजय सिंह जी मोकावत भी हैं।मोकावतों में नवलसिंह मोकावत बड़े वीर हुए।वि. सं. 1831 में नजफकुली के नेतृत्व में शाही फौज शेखावाटी पर हमला करने चली।वह सिंघाना आकर रूकी वहां से वह भूपालगढ़(खेतड़ी) पर आक्रमण करना चाहती थी।उस समय नवलसिंह मोकावत भूपालगढ़ के किलेदार थे। उन्होंने उस समय तोपों का धमाका किया। शाही फौज के तोपखाने का प्रभारी समरू ने नजफकुलीखां को भूपालगढ़ पर आक्रमण नहीं करने की सलाह दी।समरू ने समझाया कि इस दुर्ग को हम जीत नहीं सकेंगे।समरू की सलाह मानकर नजफकुलीखां भूपालगढ़ को छोड़कर सुल्ताना की तरफ बढ़ गया। वि. सं. 1860 में खेतड़ी की सेना ने मराठों के विरुद्ध लासवाडी के युद्ध में जब अंग्रेजों की सहायता की तब खेतड़ी की सेना का नेतृत्व बाघसिंह गोपालजी का व नवलसिंह मोकावत ने किया।इस लड़ाई में दोनों सेनानायक बड़ी वीरता से लड़े और अनेक शत्रुओं को मारकर रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए।शेखावाटी में मणकसास, केरपुरा, पूनिया,बिरमी,सोटवारा, सिरोही,झाझड़,बेरी, नारी,कारी,भगेरा,चितौसा,ईस्माइलपुर की ढाणी(चिड़ावा),नयासर,सिरियासर,रामसिसर,मोमासर, खारिया,मंडावा, मुकुंदगढ़,चिराणी,पिलानी, नवलगढ़,सुरजगढ़,चाचीवाद,ठेडी समेत 100 से भी अधिक गांवों में मोकावत कछवाह निवास करते हैं।
मोकावत कछवाह:- महाराज मोका जी के वंशज मोकावत कछवाह कहलाते है।महाराज मोकाजी बालाजी के पुत्र व महाराज उदयकरणजी के पौत्र थे।राव बालाजी महाराज उदयकरणजी के तिसरे पुत्र थे। महाराज मोका जी को मोकम जी के नाम से भी जाना जाता है। मोकावत कछवाहोँ का पीढी क्रम इस प्रकार है :- मोकमजी(मोकाजी) - बाला जी - उदयकरण जी - जुणसी जी (जुणसी, जानसी, जुणसीदेव जी, जसीदेव) - जी - कुन्तलदेव जी - किलहन देवजी (कील्हणदेव,खिलन्देव) - राज देवजी - राव बयालजी (बालोजी) - मलैसी देव - पुजना देव (पाजून, पज्जूणा) - जान्ददेव - हुन देव - कांकल देव - दुलहराय जी (ढोलाराय) - सोढ देव (सोरा सिंह) - इश्वरदास (ईशदेव जी)
दादा जय माता दी हुक्म आप से निबेदन है की मध्यप्रदेश मै जो नरवर के कछवाहा और सागर जिला मै गडपेहरा का किला है दांगी कछवाहा के बारे आप वीडियो बनाये बहां पर राजस्थान से 360 सरदार आये थे जिन्हें 360 गाँव की जागीर दी थी आप से निबेदन है कि आप जानकारी दे हम सभी को
आपने कुँवर गंगाराम पर विडिओ नहीं बनाई 1 साल होगया आपने बोलै था बन रही हे आप मात्र रास्थान के राजपूतों पर विडिओ बनाते हो नहीं बनानी तो साफ मना कर देते बोलते योन बनाएंगे