नक्सल प्राभावित क्षेत्र के चौखड़ा गांव से तीन किलोमीटर जंगल से पहाड़ों के बीच में पंचशील दरी (ठाड़पथड़) के नाम से मशहूर है। झरने के गिरते पानी की कलकल की आवाज लोगों को मंत्रमुग्ध करती है। पहाड़ के चारों तरफ हरे पेड़ों की हरियाली व मनोरम दृश्य लोगों को अपनी ओर खींचती है। सावन व भादों माह के अलावा अन्य दिनों पर्यटकों की भीड़ जुटती है।
जिला मुख्यालय से दरी की दूरी लगभग 65 किलोमीटर और चुनार से इसकी दूरी 40 किलोमीटर है। पंचशील दरी पर मनमोहक दृश्य देखते ही मन खिल उठता है जो कि जंगलों के बीच में बसा यह बहुत ही अनोखा है। चारों तरफ बड़े-बड़े पत्थर हैं और इसी के बगल में एक और दरी है, जो घने जंगलों के बीच में बसा है। पूरे वर्ष यहां पर पानी बहता ही रहता है, नहाने खाने की उत्तम व्यवस्था हैं। जंगल के आसपास मोर, लंगूर और भालू जो कुंड के आसपास नीचे रहते हैं। जंगल में जड़ी बूटी पाई जाती हैं, जो किसानों के लिए वरदान साबित हो रही हैं।
कुंड ऐसा है कि मानो कहीं भी न हो लेकिन खतरा भी कम नहीं है। यहां पर मोबाइल से सेल्फी लेन के चक्कर में तीन साल में तीन घटनाएं हो चुकी हैं लेकिन प्रशासन को दरी पर आने जाने वालों की भनक नहीं लगा पाती है।
जंगल से काट ले जा रहे पेड़ों से लकड़ियां - दरी के आसपास जंगल के पेड़ों को काटकर अवैध रूप से अपना मकान बनाने में लगे हुए हैं। तीन साल पहले पुलिस ने अवैध कब्जाधारियों को हटाया था लेकिन फिर से लोग कब्जा कर जंगलों की लकड़ियां काट रहे हैं। वन विभाग अवैध कब्जा से अनजान बना हुआ है। हर साल इस जंगल से लाखों रुपये की बेसकीमती लकड़ियां काट ली जाती हैं। वन विभाग सुब कुछ जानते हुए अनजान बना हुआ है। बताया कि पंचशील की दरी धीरे धीरे ़खत्म होने के कगार पर पहुंच गई है। अगर समय रहते पुलिस प्रशासन, वन विभाग ने ध्यान नहीं दिया तो जंगली जानवर गांव की ओर पलायन करेंगे।
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11 окт 2024