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बॉलीवुड ‘काउब्वॉय’ के ये हैंधमाकेदार किरदार, आखिरी वाले का तो नाम ही था ‘आरडीएक्स’ 

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बॉलीवुड ‘काउब्वॉय’ के ये हैंधमाकेदार किरदार, आखिरी वाले का तो नाम ही था ‘आरडीएक्स’
हिंदी सिनेमा के पहले काउब्वॉय यानी कि अभिनेता फिरोज खान को भारतीय सिनेमा में उनके स्टाइल के लिए जाना जाता है। जब इन्होंने हिंदी फिल्मों में कदम रखा, उसके बाद फिल्मों के अभिनेताओं की स्टाइल और अभिनेत्रियों के कपड़े पहनने का ढंग बदल गया। एक तरह से कहा जाए तो फिरोज खान ने हिंदी सिनेमा को मॉडर्न बना दिया। वह खुद तो इतने स्टाइलिश थे ही, अपने आसपास के सभी लोगों को भी वह स्टाइलिश बना दिया करते थे। अपने काम के लिए फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड जीत चुके शानदार अभिनेता की पुण्यतिथि पर आज हम उनके कुछ बेहतरीन किरदारों के बारे में बताते हैं।
किरदार : जय किशन
फिल्म : आदमी और इंसान (1969)
फिरोज खान का किरदार पहले राज कुमार को ऑफर किया गया था। लेकिन, फिल्म में कुछ ऐसे सीन थे जिन्हें करने में राज कुमार को आपत्ति थी। जैसे; फिल्म के मुख्य कलाकार धर्मेंद्र फिरोज खान के किरदार को चांटा लगाने वाले थे। फिल्म इंडस्ट्री में यह बात बहुत मशहूर है कि राज कुमार कभी ऐसी कोई फिल्म नहीं करते थे जिसमें उन्हें बेइज्जत किया गया हो। इसलिए उन्होंने इस फिल्म को करने से मना कर दिया। यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में फिरोज खान धर्मेंद्र के दोस्त के किरदार में नजर आए। फिल्म में शानदार अभिनय के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया।
किरदार : शेखर कपूर
फिल्म : सफर (1970)
फिल्म में शेखर कपूर का किरदार निभाने के बाद फिरोज खान से राजेश खन्ना जलने लगे थे। दरअसल इस फिल्म में शानदार अभिनय के लिए जितनी तारीफ राजेश खन्ना की हुईं, उतनी ही तारीफें फिरोज खान ने भी बटोरीं। राजेश खन्ना 1970 में ही हिंदी फिल्मों के सुपरस्टार बन चुके थे। उन्हें फिरोज खान से हालांकि कोई खतरा नहीं था। इसलिए फिर उन्होंने फिरोज खान को नजरअंदाज किया। फिरोज की पिछली फिल्म 'आदमी और इंसान' के बाद यह दूसरा मौका था जब फिरोज ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। फिल्म में फिरोज के साथ राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर मुख्य भूमिकाओं में नजर आए।
किरदार : शक्ति सिंह
फिल्म : मेला (1971)
फिल्म के निर्माता गफ्फार नाडियाडवाला इस फिल्म के लिए फिरोज खान की जगह प्राण को संजय खान का भाई बनाकर पेश करना चाहते थे। संजय खान को लगा के प्राण उनके भाई नहीं बल्कि फिल्म में पिता लगेंगे। तो उन्होंने गफ्फार को अपने सगे भाई फिरोज खान का नाम बताया। तब गफ्फार ने संजय से पूछा कि अगर वह फिल्म में फिरोज को लेते हैं तो क्या संजय मुफ्त में काम करेंगे? इस पर संजय ने जवाब दिया कि जो उनका बाजार भाव है वह उसी हिसाब से पैसे लेंगे। यह मजाक में था इसलिए गफ्फार ने संजय की बात मान ली। प्रकाश मेहरा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में फिरोज एक दबदबेदार खूंखार डाकू के किरदार में नजर आए। उनके साथ फिल्म में संजय खान और मुमताज ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं।
किरदार : दिलबर
फिल्म : खोटे सिक्के (1974)
फिरोज खान के अंदर स्टाइलिश दिखने का गुण कहां से आया? ये राज तो उन्हीं के साथ चला गया। हम तो सिर्फ इतना बता सकते हैं कि अपने स्टाइल मारने के अंदाज की वजह से वह स्कूल में भी कई बार दंडित हो चुके थे। उनकी फिल्में भी पश्चिमी सभ्यता से प्रेरित होती थीं। उनकी ये फिल्म भी वर्ष 1960 में आई हॉलीवुड फिल्म 'द मैग्नीफिसेंट सेवेन' का मिक्स्चर थी। और उनका किरदार सर्गियो लियॉन के बनाए चरित्र 'मैन विद नो नेम' से प्रेरित था। कहा जाता है कि हिंदी सिनेमा की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'शोले' भी इसी फिल्म से प्रेरित है। फिरोज खान के साथ इस फिल्म में डैनी डेंजोंगपा, रंजीत, अजीत आदि कलाकारों ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं।

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27 апр 2021

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