रडम छोड़ ओशो के आश्रम में माली बन गए थे अभिनेता, टॉयलेट तक किया था साफ
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता विनोद खन्ना की गिनती सदाबहार कलाकारों में होती थी। उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दी हैं। आज भले ही वो हमारे बीच नहीं लेकिन अपनी फिल्मों के जरिए वो दर्शकों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे। विनोद खन्ना का जन्म छह अक्तूबर 1946 को पाकिस्तान के पेशावर (तब ब्रिटिश इंडिया में) में हुआ था। 27 अप्रैल को विनोउन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 1969 में फिल्म 'मन का मीत' से की थी। इस फिल्म में विनोद खन्ना ने विलेन का किरदार निभाया। सुनील दत्त से ऑफर मिलने के बाद जब ये बात विनोद खन्ना ने घर पहुंचकर अपने पिता को बताई तो वे बहुत गुस्सा हुए। यहां तक कि उनके पिता ने उन पर पिस्तौल भी तान दी और कहा कि यदि तुम फिल्मों में गए तो तुम्हें गोली मार दूंगा। कहा जाता है कि विनोद खन्ना के पिता उन्हें बिजनेसमैन बनाना चाहते थे।
विनोद खन्ना ने अपने करियर में 150 से ज्यादा फिल्में कीं। 70-80 के दौर में अमिताभ बच्चन अपनी करियर की ऊंचाईयों पर थे। उस वक्त उनकी स्टारडम को केवल एक ही अभिनेता टक्कर देने वाला माना जाता था वो थे विनोद खन्ना। शशि कपूर के बाद वो दूसरे अभिनेता थे जो रविवार को काम नहीं करते थे लेकिन उन्हें अपनी जिंदगी में एक खालीपन सा लगता था
विनोद बॉलीवुड के इकलौते ऐसे एक्टर कहे जाते हैं जिन्होंने अपने करियर की चोटी पर आकर रिटायरमेंट ले लिया और आश्रम चले गए। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि भले ही उनके पास दौलत-शोहरत है लेकिन एक कमी सी लगती है। इसी वजह से संन्यास का फैसला किया और अमेरिका में आध्यात्मिक गुरु ओशो के आश्रम चले गए।
27 апр 2021