गीतों के रचनाकार भी और गायक भी, विलक्षण संयोग था पंडित जी में। अहीरवाटी बोली का टच उन्हें मौलिक और लोकप्रिय कवि बनाता है। आर्यसमाज की सुधारवादी और शास्त्रार्थ की शैली ने उनके भजनों या गीतों को एक अलग ही धार प्रदान की है जिससे विलासी और रंगीन मिजाज के लोगों को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। धन्य हो अहीरवाल के कबीर।
बहुत सुन्दर काम कर रहे हो जी पण्डित जी के सारे गाने उनकी आत्मा आवाज में यू ट्यूब पर डाले जाए इसमें हमारे किसी प्रकार के सहयोग की आवश्यकता हो तो हमें खुशी होगी जी