नारद जी अपने को भगवान समझ कर एक राजा के घर जाते हैं उनके पुत्री को देख मोहित हो जाते हैं और उसके भविष्य के बारे में बताने लगते हैं लोग बहुत खुश होते हैं और नारद उस लड़की को देख मोहित होकर शादी के लिए भगवान विष्णु के पास जाते हैं बोलते हैं हरि रूप मांगते हैं और मिल भी जाता है फिर जाते हैं उस लड़की के वरों में शामिल हो जाते हैं तो इन्हें देख सभी हँसने लगते हैं क्योंकि इनका रूप बानर का रूप होता है I
श्री ब्रह्मा विष्णु महेश ऐसा कहने से लगता है जैसे यह तीन अलग-अलग देव अथवा शक्तियां हैं परंतु यह सत्य नहीं है वास्तव में यह तीनों एक ही शक्ति के तीन रूप हैं असल में एक ही परम ब्रह्म परमात्मा है जिसकी इच्छा अथवा संकल्प से इस जगत की सृष्टि होती है उस सृष्टि का पालन होता है और फिर उसी सृष्टि का संघार हो जाता है एकमत ए भी है कि सारा संसार एक माया है यह उत्पत्ति का पालन या फिर सारा नाटक केवल माया का भ्रम है जैसे स्वप्न में देखा हुआ सत्य नहीं होता उसी प्रकार यह सारा संसार मिथ्या है केवल स्वप्न मात्र है I
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8 сен 2024