दुर्मति और दुर्जन राक्षस ने तपस्या करके ब्रम्हा जी को ख़ुश करके अमर होने का वरदान मांग लेते हैं दोनों भाई फिर उसके बाद ये दोनों भाई महादेव जी के पास कैलाश जाते हैं और इन दोनों को जाते ही शिव जी अदृश्य हो जाते हैं तो दुर्मति और दुर्जन को लगता है कि महादेव डर गए फिर विष्णु जी के पास जाते हैं और विष्णु जी भी अदृश्य हो जाते हैं तो दोनों भाई को लगता है कि विष्णु भी डर गए फिर क्या नारद मुनि उन दोनों को भगवान दुर्वासा ऋषि के बारे में बोलते हैं तो ये सब वहीं चले जाते हैं दोनों को पता नहीं होता है कि दुर्वासा शिव का ही रूप है |
श्री ब्रह्मा विष्णु महेश ऐसा कहने से लगता है जैसे यह तीन अलग-अलग देव अथवा शक्तियां हैं परंतु यह सत्य नहीं है वास्तव में यह तीनों एक ही शक्ति के तीन रूप हैं असल में एक ही परम ब्रह्म परमात्मा है जिसकी इच्छा अथवा संकल्प से इस जगत की सृष्टि होती है उस सृष्टि का पालन होता है और फिर उसी सृष्टि का संघार हो जाता है एकमत ए भी है कि सारा संसार एक माया है यह उत्पत्ति का पालन या फिर सारा नाटक केवल माया का भ्रम है जैसे स्वप्न में देखा हुआ सत्य नहीं होता उसी प्रकार यह सारा संसार मिथ्या है केवल स्वप्न मात्र है |
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25 май 2023