सरकारों को सोनदरय व छाया मात्र वाले जल्दी बडे होने वाले पोधों की अपेक्षा जडीबुटी व फलों के पेड़ लगवाने चाहिए ताकि देश का कोई भी वरग का नागरिक भुखे या पुरण पोषण पुरा ना हो पाने की वजह से कूपोषण के कारण दुखद दर्द भरी असमय मौत से मरने की अपेक्षा अपना पुरा पोषण अपने व अपने परिवार का कर सकें आप व आप की टीम को सपरेम धन्यवाद🙏💕
@@LUCIFER_alt nikal libarandu. Phle apne jaati ke naam par arakshan khatam kar. Hindu dharm hi brahmano se hai. Bilkul proud hai or rahega jaati ka. Vidvan ke vanshaj hai. Muft me mewa nhi khaate hain.
Lol I opened the comment to write that. Only who knows Brahman not by books. Modern books and interpretations are written by kalyugi brahmans for there own gains.
3%wala jaati ke log apna jaati bhagwan ko puje 80%obc mahan samrat Chatrapati Shahoo ji maharaj ke jay jay kare kyo kalyan Singh uma bharti ashok singhal bainay katiyar ye log ko apne bhagwan ko nahi pujkar aaj pachta rahe hai trustee aur cm uma bhakti ko nahi banaya?
गुरु जी को सादर प्रणाम आपने अच्छा काम किया जो लोगों को जानकारी दे दिया और मुझे भी जानकारी दे दिया मुझे जानकारी था पर 50% तक था आपने 50% को 100% करके बता दिया धन्यवाद बताने के लिए
अति सुंदर रूप में आपने ब्राह्मण वर्ग की जानकारी दी।कोटिशः प्रणाम। राजस्थान में छह न्याति ब्राह्मण का जो समूह समुदाय ,जिसमें सारस्वत गोड़, गुज़र गोड़ दायमा ,पारीक व खंडेलवाल आते हैं के अतिरिक्त पुष्टि कर या पुष्करणा ,पालिवाल ,व औदीच्य, और सिखवाल इत्यादि ब्राह्मण समुदाय हैं ,इनकी सृजना व उतपत्ति की जानकारियां भी देने की कृपा करें।प्रणाम।
ब्राह्मणोत्पत्ति मार्तण्ड में ब्राह्मणों के प्रकार और गौत्र की विस्तृत जानकारी है। नेट पर भी उपलब्ध है । स्थानीय तौर पर भी पुराने बड़े बुजुर्ग भी विस्तार पूर्वक समझ सकते हैं । पर अधिकतर युवा पीढ़ी इन सब से बहुत कम परिचित है।
हर मनुष्य में चारों वर्णों के गुण होते है, और जीवन भर हर मनुष्य चारों वर्णों को समय समय पर अपनाता है, परिवार की सेवा -शुद्र परिवार का भरण पोषण - वैश्य परिवार की शिक्षा एवं ईश्वर भक्ति - ब्राम्हण परिवार की रक्षा क्षत्रियशुद
ब्राह्मणोत्पत्तीमार्तण्ड ‘ ग्रंथ जो ब्राह्मणों की जगत प्रसिद्ध पुस्तक है उसके लेखक पं.हरिकृष्ण शास्त्री जी थे। यह पुस्तक लगभग 100 वर्ष पुरानी है। जिसमें समस्त विश्व के मुख्य ब्राह्मणों का उल्लेख है उसमें पृष्ठ ५६२ - ५६८ तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों का उल्लेख ‘ अथ पांचालब्राह्मणोंत्पत्ती प्रकरण ‘ बताकर दिया गया है। जिसमें शिल्प कर्म करने वाली पांचों शिल्पी उपजातियों जिसमें लौहकार(लोहार) , काष्टकार(बढ़ई), ताम्रकार, शिल्पकार औऱ स्वर्णकार को ब्राह्मण मानकर उन्हें ब्राह्मणों के प्रमुख कर्म षटकर्म एवं अन्य ब्राह्मण कर्मो के करने का अधिकारी कहा गया है। ब्राह्मण विद्वान पं.ज्वालाप्रसाद मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘ जाति भास्कर ‘ के पृष्ठ २०३-२०७ में शिल्पकर्म को ब्राह्मणों कर्म मानते हुये एवं विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों को ब्राह्मण जाति कुल का स्वीकार करते हुये उन्हें षटकर्म अर्थात यज्ञ करना , यज्ञ कराना , वेद पढ़ना , वेद पढ़ाना , दान देना औऱ दान लेने के अधिकार के साथ अन्य ब्राह्मणों के कर्म करने का अधिकारी माना है। ‘ब्राह्मणवंशेतिवृत्तम’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक जिसके लेखक वेदरत्न पं.परशुराम शास्त्री विद्यासागर थे। जिसमें मुख्य ब्राह्मणों का प्राचीन एवं अर्वाचीन इतिहास का उल्लेख है। इसमें भी विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को मूलरूप से ब्राह्मण माना गया है। आप लोग इसमें जांगिड़ ब्राह्मण (विश्वकर्मा ब्राह्मण) का विस्तृत परीचय पृष्ठ 116 से 130 में हैं इसे पढ़ सकते हैं। इसी प्रसिद्ध पुस्तक में पृष्ठ 182 से 186 के बीच शिल्प कर्म करने वाले मत्स्य पुराण के अनुसार 18 शिल्पकर्म के उपदेशक ऋषि ब्राह्मणों का भी उल्लेख है। त्वष्टा विश्वकर्मा अर्थात देवों के आचार्य देवशिल्पी विश्वकर्मा का भी विस्तृत परिचय है। साथ ही इसमें वैदिक शिल्पी ब्राह्मण अर्थात रथकार ब्राह्मण ,पांचाल ब्राह्मण तक्षा ब्राह्मण आदि शिल्पियों को ब्राह्मण मानते हुए उनका प्रमाण है। ‘ब्राह्मणोंत्पत्ति दर्पण ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक डॉ पंडित मक्खनलाल मिश्र ‘मैथिल ‘ जी है। जिनकी पुस्तक में विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण उत्पत्ति में पृष्ठ क्रमांक 358 से 361 तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति बताई गई है जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख आया है कि विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण समाज मूल रूप से ब्राह्मण समाज है और इन्हें षटकर्म के साथ-साथ ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृ यज्ञ ,भूत यज्ञ और जप यज्ञ का पूर्ण रूप से अधिकार है। ‘ ब्राह्मण गोत्रावली ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र देवलाल जो उत्तराखंड से छपी थी। इस पुस्तक के पृष्ठ 114 से 117 के बीच विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों में जांगिड़ ब्राह्मणों की उत्पत्ति एवं पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति का वर्णन है। ‘ वंश मल्लिका ‘ नामक ग्रंथ जिसके रचयिता प्रसिद्ध विद्वान पंडित मन्नूलाल शर्मा थे। यह पुस्तक भी लगभग 80 से 100 वर्ष पुरानी है। इसमें विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों के अनेक वर्गों का उल्लेख है। जैसे विश्वकर्मा ब्राह्मण , रथकार ब्राह्मण, पांचाल ब्राह्मण, जांगिड़ ब्राह्मण, धीमान ब्राह्मण , आचार्य ब्राह्मण, ओझा या झा मैथिल ब्राह्मण आदि। इस पुस्तक में इनकी शास्त्रो के अनुसार उत्पत्ति ,वंशावली एवं गोत्रावली का विस्तृत वर्णन है। इस पुस्तक में विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को वेदों के अनुसार एवं अन्य शास्त्रों के अनुसार सभी प्रकार के ब्राह्मणों के मूल कर्म का पूर्ण अधिकारी शास्त्रीय प्रधानों के आधार पर बताया गया है।
@@karmabeliever3542Salle tu pdha nhi h to hmari koi galti nhi h or tu Salle pandit h padhi Patra wala smjhe brahman ka arth pta h tum jaiso ne badal h Salle dimag chahiye smaaj ko bdaaya h hmane or pahle padh k aa
@@karmabeliever3542 ब्राह्मणोत्पत्तीमार्तण्ड ‘ ग्रंथ जो ब्राह्मणों की जगत प्रसिद्ध पुस्तक है उसके लेखक पं.हरिकृष्ण शास्त्री जी थे। यह पुस्तक लगभग 100 वर्ष पुरानी है। जिसमें समस्त विश्व के मुख्य ब्राह्मणों का उल्लेख है उसमें पृष्ठ ५६२ - ५६८ तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों का उल्लेख ‘ अथ पांचालब्राह्मणोंत्पत्ती प्रकरण ‘ बताकर दिया गया है। जिसमें शिल्प कर्म करने वाली पांचों शिल्पी उपजातियों जिसमें लौहकार(लोहार) , काष्टकार(बढ़ई), ताम्रकार, शिल्पकार औऱ स्वर्णकार को ब्राह्मण मानकर उन्हें ब्राह्मणों के प्रमुख कर्म षटकर्म एवं अन्य ब्राह्मण कर्मो के करने का अधिकारी कहा गया है। ब्राह्मण विद्वान पं.ज्वालाप्रसाद मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘ जाति भास्कर ‘ के पृष्ठ २०३-२०७ में शिल्पकर्म को ब्राह्मणों कर्म मानते हुये एवं विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों को ब्राह्मण जाति कुल का स्वीकार करते हुये उन्हें षटकर्म अर्थात यज्ञ करना , यज्ञ कराना , वेद पढ़ना , वेद पढ़ाना , दान देना औऱ दान लेने के अधिकार के साथ अन्य ब्राह्मणों के कर्म करने का अधिकारी माना है। ‘ब्राह्मणवंशेतिवृत्तम’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक जिसके लेखक वेदरत्न पं.परशुराम शास्त्री विद्यासागर थे। जिसमें मुख्य ब्राह्मणों का प्राचीन एवं अर्वाचीन इतिहास का उल्लेख है। इसमें भी विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को मूलरूप से ब्राह्मण माना गया है। आप लोग इसमें जांगिड़ ब्राह्मण (विश्वकर्मा ब्राह्मण) का विस्तृत परीचय पृष्ठ 116 से 130 में हैं इसे पढ़ सकते हैं। इसी प्रसिद्ध पुस्तक में पृष्ठ 182 से 186 के बीच शिल्प कर्म करने वाले मत्स्य पुराण के अनुसार 18 शिल्पकर्म के उपदेशक ऋषि ब्राह्मणों का भी उल्लेख है। त्वष्टा विश्वकर्मा अर्थात देवों के आचार्य देवशिल्पी विश्वकर्मा का भी विस्तृत परिचय है। साथ ही इसमें वैदिक शिल्पी ब्राह्मण अर्थात रथकार ब्राह्मण ,पांचाल ब्राह्मण तक्षा ब्राह्मण आदि शिल्पियों को ब्राह्मण मानते हुए उनका प्रमाण है। ‘ब्राह्मणोंत्पत्ति दर्पण ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक डॉ पंडित मक्खनलाल मिश्र ‘मैथिल ‘ जी है। जिनकी पुस्तक में विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण उत्पत्ति में पृष्ठ क्रमांक 358 से 361 तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति बताई गई है जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख आया है कि विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण समाज मूल रूप से ब्राह्मण समाज है और इन्हें षटकर्म के साथ-साथ ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृ यज्ञ ,भूत यज्ञ और जप यज्ञ का पूर्ण रूप से अधिकार है। ‘ ब्राह्मण गोत्रावली ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र देवलाल जो उत्तराखंड से छपी थी। इस पुस्तक के पृष्ठ 114 से 117 के बीच विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों में जांगिड़ ब्राह्मणों की उत्पत्ति एवं पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति का वर्णन है। ‘ वंश मल्लिका ‘ नामक ग्रंथ जिसके रचयिता प्रसिद्ध विद्वान पंडित मन्नूलाल शर्मा थे। यह पुस्तक भी लगभग 80 से 100 वर्ष पुरानी है। इसमें विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों के अनेक वर्गों का उल्लेख है। जैसे विश्वकर्मा ब्राह्मण , रथकार ब्राह्मण, पांचाल ब्राह्मण, जांगिड़ ब्राह्मण, धीमान ब्राह्मण , आचार्य ब्राह्मण, ओझा या झा मैथिल ब्राह्मण आदि। इस पुस्तक में इनकी शास्त्रो के अनुसार उत्पत्ति ,वंशावली एवं गोत्रावली का विस्तृत वर्णन है। इस पुस्तक में विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को वेदों के अनुसार एवं अन्य शास्त्रों के अनुसार सभी प्रकार के ब्राह्मणों के मूल कर्म का पूर्ण अधिकारी शास्त्रीय प्रधानों के आधार पर बताया गया है।
I'm stunned. My horizons of knowledge have opened. Aap apne karm se define hote ho naa ki apne janam se. Just wow. This means I can be anything if I work for it. My work and actions will define who I am and not my place of birth and background.
@@aamchasindhudurgaparivar7914aur jo mas machhi to dur pyaj ar lasan bhi nahi khate,,, nit Puja path satvik jivan jite hai,,,aise logo ko aap kya kahenge jo Brahman nahi balki sc jaat kahte hai,,, bataya
are bahen tu samjhi hi nhi phir video brahman ka khoon toh brahman rahega kul tumhara brahman hi rahega chaye phir tum chandal kyu na banjao buss krm tumhare pandit wale nhi honge brahman ek race hai race jisse tum badal nhi sakte kyuki ye 8 brahmrishi or manasputr ke bache hai haa agr tum intercaste shadi krti ho toh tumhare bache brahman race ke nhi honge vo phir apne pita ke khoon ke honge
दीपोत्सव के पवित्र अवसर पर आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं... आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि सदैव स्थापित रहे। 🪔🪔 🙏🙏Regards 🙏 SC SHARMA
Bhagwat Geeta me Likha hai ki Insaan Apne Karam aur gun se Brahmin Kshatriya Vyash aur shudra hota hai Janam se Nahi 🙏🏻 Bhagwat Geeta chapter 4 shlok 13 🕉️
वैद्य ब्राह्मण, बंगाल के सेनगुप्ता दासगुप्ता सेनशर्मा दासशर्मा इत्यादि वैद्य ब्राह्मण की श्रेणि में आते हैं। ये प्राचीन काल से आयुर्वेद विशेषज्ञ और चिकित्सा शास्त्र में पारंगत थे| जय श्री धन्वन्तरि नारायण की जय 🙏🌺🌺🌺
Very Right.Absolute TRUTH.Brahman is always ONE.Yeh BHED Samasyaon ko utpann karta hai.No Category after one pls.The ONE is Top Power and not to be called GOD.The Supreme One ,MLIK of Entire COSMOS.Is Top Power ke liye kaha gaya hai..JIN KHOJA TIN PAHIYA..GAHRO PANI PAITH.Jisko jankar saari vikritian dosh samapt ho jate hai.Number jaal nahin hai yeh,n 2 n 10.Lets grasp it as ONE and ONLY ONE.Remain Happy plus Bblessed.
जाति के आधार पर ऊंच नीच का भेद भाव मिटाओ. (ये समाज को आदत मे लाना पड़ेगा) जन्म से ही उसके कर्म की सीमाए ना बांधी जाये (संविधान ने खुली छुट दी है) व्यक्ति अपनी रुचि के अनुसार कर्म चुन सकता है. (अपने वर्ण का निर्धारण करेगा और जाति कुछ भी हो) यदि किसी व्यक्ति को संविधान मे निचले बर्ग मे रखे जाने पर शर्म महसूस हो रही है तो वह अपना cast Certificate ना बनवाकर सामान्य वर्ग के दायरे मे आ सकता है, संविधान नीचे के बर्ग को समान्य वर्ग मे आने से नही रोक सकता बस आपको तय करना है की निचले वर्ग मे रह कर लाभ लेने हैं या नही . आर्थिक रूप से मजबूत हो चुके लोगो को स्वत: की समान्य वर्ग मे आ जाना चाहिए ताकि आरक्षण का फायदा आपके अन्य भाईयो को मिल सके जो अभी भी पीछे रह गए हैं
@@vve2059 किसी के कहने ना कहने से कोई फरक नहीं पड़ता जिसको जो काम करना हो करे, bramhan का कार्य कर पाना भी आसान नहीं है, पढ़ लिख कर gov officer, Business man आदि बनने का प्रयास करना चाहिए
Thanapati jati ka kanha se utpatti hui please bataiye . Ham log jati thanapati surname mahapatra likhte h shiw sankar ki puja karte h. Please bataiye please
Me ek dusnam sanyasi brahhman goswami hu mere samaj me dusnam hote hai giri,puri ,van ,parvat saraswati,Sagar,aranya, teerth ,yati ,aashram humari samaaj shiv ji ki pooja krte hai hmare Aradhya shiv ji hai aur humare samaaj nirmata Sri aadi guru Shankaracharya ji 🙏🏼🙏🏼
Hum jagat k uchh barahman kul k thea fir aaj ke 2500 sal pahale bhagwan jagat guru shree adi shankaracharya ji ne dasnami sanyasi /goswami sampradaye aur upadhi ka banaya dharm sanatan ko bachane k liye. 🕉️🙏
Advaita vedanta padhlo phle kyunki ekbaar agar koi tumko bewkoof aur nafrat bhar dega toh tum bhi bheem chilaoge Aur bhai Sufism islam ke saint an Al haq mansour ke story sunlo please aur advaita vedanta nirakar bhagwan Jaan lo aur asli Sanatan dharm me kuch bura nhi Mai to Sufism islam Jo hai usko bhi apna samjha Mai ek bhagwan ko manta hu lekin jo bhot murti ko mante unse problem nahi Reality to hai ki there is no other only one Krishna ekmam satyam - iam only truth Aur Advaita srif ek bhagwan ko mante jiska koi roop nhi but hume koi dikkat nahi Jo krishna ko mante hai ulta mujhe to bhot accha lgta hai but mujhe Advaita vedanta sahi lgta hai Aur jo Advaita vedanta hai aise log agar Mane ek bhagwan ko akar wale bhagwan ko lekin unka mtlb samjho There is no other only one ka mtlb sab ek hai toh ladna kya bewkofo ki trah aur daita vedanta accha hai aur sabse accha form Krishna bhakti hai Mujhe kafi accha lgta jab weh nachte hate Khushi baatte but mujhe pta hai Bhagwan ek hai uska koi akar nahi hai lekin yeh bhi krishna ne bola hai ki jis bhi roop se manoge use roop me dekhege Toh Advaita vedanta merr hisab se mannewale ne sabse acche ideal worshipper ko pujne wake ban sakte Har dharm me galt likha hai kuch dusro ne jaise ish vedio me bhi bataya karm se hota hai Toh Maine pta Kiya Hinduism me bhot fakt cheez likhi mujhe sabse accha religon buddhism laga aur uske baad phir maine Jaan bus ke burai dhudi Buddhism ki toh woh bhi mil gaya toh mai Maan Gaya ki koi asli nahi sab corrupt krdiya Gaya religion but ab dubara revive kar rahe hai sab sanatan ko 🛐 Aur asli Buddhism hinduism koi alag nahi
@@Trish21_ kisi ke manne se kuch nhi hota agr hum sab dharmik karm kand kre yag kre puja kre ved pade sastra pade sikha rakhe toh hum brahmin h wiase brahmin toh hum h hi
@@Trish21_ brahminuttpati darpan ,brahminuttpati marktand ye do sastra main panchal brahmin main bhagwan panch mukhi shiv se utpaann hue panchal jinke up panchal hue lohar lohe kaam krne wale , badhai lakdi ka kaam krne wale ,sonar sone ka kaam krne wale ,or shilpkar mandir or bhagwan ki murti banane wale ,or tamrkar tambe ka kaam krne wale ye sab panchal brahmin h or ye sikha rakhne,sastra padne (jo krm bhagwan ne batya )or yagyopabit dharan krne ke adhikari h Or astang yug or sathkarm bhi krna batya gya h Isme gotra ka bhi barnan milta h (koudiya gotra,bharatdwaj gotra,atri gotra,kasyap gotra, bharatdwaj gotra) aadi gotra aate h Jo ye niyam mane samajhna wahi panchal brahmin h