"भगवान ने कहा- 'फिर अन्तर्यामी को सुनाने के लिए लाउडस्पीकर क्यों लगवाते थे? क्या मैं बहरा हूँ? यहाँ सब देवता मेरी हंसी ऊङाते हैं |मेरी पत्नी मजाक करती है कि यह भगत तुम्हें बहरा समझता है|' "
जन्म --22 अगस्त, सन् 1954 ई.
जमानी, होशंगाबाद, मध्यप्रदेश
अवसान --10 अगस्त, सन् 1995 ई.
कहानीकार -- "हरिशंकर परसाई" जी हिंदी व्यंग्य के आधार स्तंभ थे| इन्होंने हिंदी व्यंग्य को नई दिशा प्रदान की| "विकलांग श्रद्धा का दौर" के लिए इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया| फ्रांसीसी सरकार की छात्रवृत्ति पर उनहोंने पेरिस प्रवास किया| हरिशंकर परसाई उपन्यास एवं निबंध लेखन के बाद भी मुख्यतः व्यंग्यकार के रूप में विख्यात रहे| परसाई जी नियमित रूप से "साप्ताहिक हिंदुस्तान", "धर्मयुग", तथा अन्य पत्रिकाओं के लिए अपनी रचनाएँ लिखते रहे |
3 фев 2024