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"वो तेरा घर ये मेरा घर"|| a story by मालती जोशी || स्वर- आशा रघुदेव
चालीस पैंतालिस साल का साथ जब एकाएक छुट जाता है तो आदमी टूट ही जाता है।
मालती जोशी
जन्म - 4 जून 1934 औरंगाबाद
शिक्षा - - एम० ए०
अब तक अनगिनत कहानियां, बालकथाएं और उपन्यास प्रकाशित हो चुकी है। इनकी अनेक रचनाओं का विभिन्न
भारतीय व विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी किया गया है।
कई कहानियों का रंगमंचन रेडियो व दूरदर्शन पर नाटय रुपांतरण भी प्रस्तुत किया जा चुका है। पद्म पुरस्कार से सम्मानित मालती जोशी को हिंदी तथा मराठी की विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा वर्ष 1998 में भवभूति अलंकरण से विभूषित भी किया गया है।
18 апр 2024