सत्रहवी और अठारवी शताब्दी तक अमेरिका के लोग काफी पिछड़े और अंधविश्वासी थे। यहाँ के निवासी आकाश में किसी उल्का पिंड को देख कर डर जाते थे, क्योंकि उन्हें लगता था के ईश्वर उनपर क्रोधित है, उस समय तक भयानक रूप से फैली महामारी चेचक को बुरे कर्मो का नतीजा माना जाता था, हालंकि ये एक समय था, जब यूरोप में नित नए वैज्ञानिक प्रयोगों की कोशिशे होने लगी थी, इसीलिए फ्रेंक्लिन अमेरिका से निकल कर लंदन चले गए, पुरे यूरोप में ऊर्जा के नए स्रोतों को लेकर काफी जिज्ञासा बनी हुई थी, लोग इस बात को लेकर खोजबीन कर रहे थे, के क्यों किसी गुब्बारे जैसी वस्तु को कुछ देर कपड़ो आदि पर रगड़ने से, वो गुब्बारा, हल्की वस्तुओ को अपनी और खींचने लगता है, या कभी कभार अँधेरे में, मोटे कम्बल के अंदर से, हल्की चिंगारीयां क्यों उठती है, साल 1752 में फ्रेंकलिन ने यह बता दिया था, कि कम्बल या ऊनि कपड़ों में उतपन्न होने वाली चिंगारी और चटचट की आवाजे, वास्तव में आसमानी बिजली जैसे ही घटना है
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11 сен 2024