नागनाथ पोखरी के सुप्रिया सुप्रसिद्ध कवि श्री मुरली दीवान जी को नमन करती हूं। आपकी जो गढ़वाली भाषा पर पकड़ है वह लाजवाब है। मेले में तो आपके हास्य व्यंग सुनती थी। बहुत साल हो गए आपको लाइव नहीं देखा। पर आपके यूट्यूब पर वीडियो देख कर मन बहुत खुश हुआ।हम पूरे परिवार के साथ बैठकर आपकी हास्य व्यंग सुनते थे बहुत याद आते हैं वह दिन।आपके यह हास्य व्यंग हमने हजार बार सुन लिए होंगे लेकिन फिर भी उतनी ही हंसी आती है और उतना ही अच्छा लगता है जैसे कि पहली बार सुन रहे होंगे 🙏
मुरली दीवान जी अद्भुत रचनाकार हैं। वे गढ़वाली लोकभाषा के एक उत्कृष्ट कवि तो हैं ही वे उतने ही अच्छे मंचीय प्रस्तोता भी हैं । काश संचार की यह सुविधाएं कुछ वर्ष पूर्व मिल गई होतीं तो ऐसे रचनाकार पर्वतीय ग्राम्य अञ्चल के साहित्य और गीत सङ्गीत को आज तक न जाने कितनी बुलन्दियों तक पहुंचा दिए होते। दीवान जी के साथ साथ इन कवि सम्मेलनों के आयोजकों को भी हृदय से नमन।
ये कौन बतमीज है जिन्होंने वीडियो डिसलाइक किया है 😠😠😠😠😠😠 दीवान जी ये वीडियो फेसबुक पे इतनी वायरल करूँगा की हर उत्तराखंडी के मोबाइल मैं होगी आपकी रचना ने आज मुझे काव्य की हस्य कवि की मेहनत समझा दी है ❤️❤️❤️❤️
Ye bhootni ka kavita Madaari aur Jamboora. Ye jamboora hi hai, har baat par hoonkara nahin chahiye, ghatiya lagta hai. Aage se kripaya aisa mat karein.