आपको अभी एकदम से सूर्य त्राटक नहीं करना चाहिए, ऐसा करना हानिकारक हो सकता है, पहले आप बिंदु त्राटक का अभ्यास करे और बिंदु त्राटक सिद्द होने के बाद दीपक त्राटक करे और सब से अंत मे बहुत सी सावधानियों को ध्यान मे रखते हुए सूर्य की बिल्कुल कम गर्मी वाली किरनों पर त्राटक करना चाहिए और वो भी गुरु के निर्देशन के साथ।
स्वप्नदोष कोई बीमारी नहीं है, य़ह शरीर के रसायनों की अपनी एक व्यव्स्था है, अगर युवावस्था मे माह मे एक दो बार ऐसा हो जाये तो घबराना नहीं चाहिए क्यूंकि कई बार शरीर मे गर्मी की अधिकता के कारण सोते समय वीर्य पात हो जाता है, इसमे कोई दोष नहीं है, लेकिन दोष तब होता है जब अज्ञानता वश आप अपने अंदर अपराध बोध करने लगते है की कुछ गलत हुआ जा रहा है, स्वप्नदोष से तो कुछ गलत नहीं होता लेकिन ये धारणा की य़ह चीज गलत है, इस धारणा से जरूर आपके शरीर पर मनोविज्ञानीक दबाव पड़ने के कारण आपका नुकसान होने लग जाएगा, जैसा आप मान लेगे शरीर वैसा ही करने लगेगा, आपकी ये सोच की स्वप्नदोष से शरीर खराब होता है, इसी कारण से आपको नुकसान हो रहा है, आप अपनी धारणा बदले और इस चीज से इतने परेशान ना हो, क्यूंकि अक्सर एक खास उम्र मे ऐसा होता है। फिर भी मैं आपको कुछ सुझाव दे रहा हू, इन का पालन करे और आपकी स्थिति सामान्य हो जायेगी। 1) आयु : यदि आपकी आयु 16 वर्ष से 24 वर्ष के बीच है अथार्त आप नवयुवक है तो आपके साथ ऐसी स्थिति बीच बीच मे बनती रहेगी क्युकी इस आयु मे शरीर अपनी पूरी कामुकता से जुड़ी व्यवस्था को गतिशिल करता रहता है । अतः यदि माह मे 1 या 2 बार यदि आपको स्वप्नदोश हो भी जाता है तो उसके लिये मन मे अपराध भाव ना लाये, इस आयु मे इतनी मात्रा मे ऐसा हो जाना स्वाभविक व प्राकृतिक होता है अतः इसे स्वीकार करे । 2) आहार : अपने आहार मे उतेजक, गर्म तासिर वाला, तला भुना, मादक व खट्टा पदार्थो का सेवन ना करे व ठण्डी तासिर की खाध वस्तुएं व हरि सब्जियां, सलाद, फल आदि का सेवन अधिक करे । खुब पानी पिये । 3) योग : कुछ आसन जैसे सिद्ध आसन, वज्रासन, पद्मासन, सर्वांग आसन, हलासन, शीर्षासन, मयूर आसन आदि का नित्य अभ्यास करे । इन आसनो के अभ्यास से हमारा शरीर का मध्य भाग मजबूत बनता है जिससे स्वप्नदोश जैसी समस्या खत्म हो जाती है । इसके इलावा अश्वनी मुद्रा, मूलबंध दो ऐसी शक्तिशाली योग की क्रियाएं है जो काम उर्जा को ऊर्ध्वगामी बना देती है और हर प्रकार के यौन रोगो को समाप्त कर देती है । कपालभाति, अनुलोम-विलोम, चंद्र भेदी, भ्रामरी, शीतली, सित्कारि प्राणायाम भी अति उतम लाभ करते है । विपश्यना ध्यान का अभ्यास भी लाभकारी है । 4) सामजिक परिवेश : अपने आसपास के सूचना प्रसारण के माध्यमों, मित्रों आदि के प्रति सजग रहे । देखे की सारा दिन आप अपने चेतन मन मे किन विचारों को इकठा कर रहे है क्युकी यही सब विचार अवचेतन मन मे चले जायेगे और फिर स्वप्न मे प्रकट होगे । 5) व्यक्तित्व निर्माण : अपना पुरा ध्यान हर समय अपने लक्ष्य को पाने मे व अपना विकास करने मे लगा कर रखे, खाली ना रहे, कुछ ना कुछ सृजनात्मक करते रहे । 6) ओषधि : आर्युवेद के अनुसार पित की अधिकता, पेट की खराबी व कब्ज आदि के कारण स्वप्नदोश की शिकायत हो जाती है अतः इसके निवारण के लिये वैध से परामर्श करके आवला, सफेद मूसली, कोच पाक, शिलाजीत, अश्वगंधा, श्तवर आदि औषधियों का सेवन करना चाहिये । 7) रोज ठण्डे पानी से स्नान करे, प्रातकाल जल्दी उठे व सैर करे, रात को सोने से पहले अपने हाथ पैर धो ले, पेट के बल ना सोये ।
Mai jab bhi dhyan karti hu ..mere jibh halka halka hilne lagta hai...aur muh khul jata hai ...muh bhi yesa lagta hai jaise ki pout type ban gaya hai ..kya karu ..dhyan chhod du kya ..dar lagta hai .....
आपके सूक्ष्म शरीर मे जहा पर आपको य़ह अह्सास हो रहा है वहा पर ऊर्जा कुछ काम कर रही है, यहा पर कोई एनर्जी ब्लॉक हैं जो धीरे-धीरे खुल रहा है अथवा अन्य किसी प्रकार की रिपेयर आपकी ऊर्जा यहा पर कर रही है, धीरे-धीरे जब मार्ग खुल जाएगा तो आपका य़ह स्थिति ठीक हो जाएगी, इसलिए चिंतित ना हो और ध्यान जारी रखे।
Gurudev dhyan karane ki kitni bidhi hai,jaise ki 1.tratak, 2 mantra jaap, 3 swash or kitne hai Kirpya batane ki kirpa kare Agar aapka koi contact no. Hai to dene ka kast kare ek pyasha bhakt