असम में प्रवासी मधुमक्खी पालन का उद्योग बढ़ रहा है, जहाँ मधुमक्खी पालक खिले हुए फूलों की तलाश में पूरे राज्य में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं। स्थान बदलकर मधुमक्खी पालन का चलन भारत में कम है, लेकिन यह एक पुरानी वैश्विक पद्धति है जो शहद उत्पादन को बढ़ाती है। इसमें मधुमक्खियों के बक्सों को अधिक फूलों वाले क्षेत्रों में ले जाया जाता है। यह तरीका अब पूरे भारत में अपनाया जाता है। दक्षिण भारत में मधुमक्खी पालक मधुमक्खियों को लेकर सूरजमुखी, कुसुम, कपास और तिल के खेतों वाले स्थानों पर आते-जाते रहते हैं। इसी प्रकार, सर्दी आने पर कश्मीर से मधुमक्खी पालक राजस्थान और गुजरात जैसे गर्म क्षेत्रों की ओर पलायन कर जाते हैं।
इस वीडियो में
0:09- लीलाचरण मधुमक्खी के बक्सों के साथ
1ः00- शहद की तलाश
1ः40- फूल खिलने के साथ यात्रा
2ः05- शहद के लिए बिहार के किशनगंज से असम आए मदन मंडल
3ः08- पूरे भारत में फैला शहद उत्पादन का यह तरीका
4ः00- क्या जमा हुआ शहद नकली होता है?
4:15- यूरोपियन मधुमक्खी
5ः47- मधुमक्खी पालन के लिए कैसा मौसम चाहिए?
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5 июн 2024