सुकरात.... हर युग में सत्य का विरोध हुआ है. लोग सत्य को स्वीकार नहीं करते. असत्य में जीते और मर जाते हैं. प्रहलाद का पिता भी सत्य का विरोधी रहा है. सत्य कभी बदलता नहीं. जो बदल जाये उसकी सत्ता नहीं. बुद्ध को देखिए, अर्थी को जाते हुए जब पहली बार देखा तो अपने सारथी से पूँछा कि ये क्या है? लोग बूढ़े हैं, कमर झुक गई. मृत्यु हो गई. तब वह इस सत्य की खोज में निकले कि सत्य क्या है? और उन्होंने सत्य का बोध प्राप्त किया. सिद्धार्थ से बुद्ध हो गए. ऐसे ही बुद्धत्व का संदेश समाज में दिया. एक राजा के बेटे को क्या ज़रूरत थी? सुन्दर पत्नी, बेटे को सोता हुआ छोड़कर राजमहल से चले गए. आज तो लोग सुख और धन का अधिक से अधिक उपभोग करना चाहते हैं. मीरा बाई राजा की बेटी राजा से ब्याह हुआ, उसने भी महल और सुखों का त्याग कर दिया. बहुत कम लोग इस ओर कदम बढ़ाते हैँ. धन्यवाद
सभी लोभी लालची नफ़रत फैलाने वाले बेईमान नास्तिक अर्ध नास्तिक लोगों की आंखों को सत्य का प्रकाश चुभता है सच्चाई को राज सत्ता के भूखे नंगे चापलुस लोग बर्दास्त नहीं कर पाते है सूर्य उदय होने से अन्धकार भाग जाता है ऐसे ये अपने को अन्धकार में रखते है उजाला इनको रास नहीं आता है परन्तु सत्य तो सत्य ही है और सदा रहेगा
शब्दहीन हूँ , सुकरात के बारे में जब भी और जो भी जाना है, हर बार यही महसूस किया है कि हमारे इतिहास में ऐसे भी विद्वान हुए हैं है क्या? आपने वृत्तांत में भावनाओं की जान डाल दी है। साधुवाद है आपको।
कबीरने कहा हे जगत है उफराटे झुठको साहिब कयु भेटे भगवान ओशो कहते हे गहरी नींद से जगाया तो लोगों को गुस्सा आता है अज्ञानरुपी निंद से जगाया तो जहर देते है!!!
Sir, aaj phir se Socrates jaise mahaan insaan ki zarurat hai samaaj ko dekhte huye jis tarah samaaj me andhbhakti aadambar lagatar badhte chale ja rahe hai.
सतासीन लोग एक नेक इन्सान की जान तो ले सकते है परन्तू उस बुधिजीवी के आदर्शों, विचारों, सामाजिक कार्यों को केसे दफन करोगे क्युंकि एक ना एक दिन उसके आदर्श विचार समाज में प्रस्तुत तौ होने ही है। I am proud of Doctrate Socrates and Salute from the bottom of my heart.
थोर विचारवंत शुक्रात सारखी महामानव कधीही मरत नसतात शरीर जरी गेली असली तरी यांचे विचार आजही जनतेचा आहे जनता सुक्राम ला मानते त्यांना वीस पाजून मारणाऱ्या ला मानत नाही त्रिकाल सत्य सत्य कभी मरता नही पराजित हो सकता है
भारतीय ऋषि ,मुनि, मनीषी वर्ग का जीवन और दर्शन बहुत ऊंचा था। जहां पाश्चात्य वर्ग कभी नहीं पहुंच सकता । आजकल अज्ञानी , ज्ञान बांट रहे हैं। शुक्रत से पूर्व भी दर्शन था और बाद भी है और आगे भी रहेगा ही।
भारत के प्रधानमंत्री की हालत कुछ ऐसी ही है सालो बाद भारत को एक नये सोच विचारक प्रधानमंत्री मिले हैं, जो उन्नति के पंथ पर भारत को ले जाना चाहते हैं फिर भी कोई एक पक्ष नहीं चाहता के वो देश के हित में काम करे ओर देश को आगे लाये,
Yes , this is happened in our country - India also with Dr. BABASAHEB AMBEDKAR in another form. This GREAT person given lot of to India but unfortunately the most of Hindu people given him the cup of poison of castisum, hateful behaviour in his entire life to till his death. He was constrained to leave Hindu Religion.
Mujhe to aap bhi bhakt lag rhe ho aap ek test 1 piyala bhagwan aapko bacha lega aapko jiyada visvas hai bhagwan par aap logo ki baja pure desh mai aandh visvas bhara drty mind
Naman karne se kuchh nahi hoga sathio unhi ke jaise kuchh logo ko jagruk kariye.ek akela insan ka itna logo ko jaga gaya.or aap log padh lete hai sun lete or dekh lete hai.or so jate hai.age ayiye sukrat jaise baniye.
अवश्य दार्शनिक सुकरात अति महान्, एक वीर, याेद्धा, समाजसुधारक, पूर्ण लाेकतान्त्रिक दार्शनिक थे परन्तु उनसे पहले थेल्स, डेमाेक्रिटस (जिनके नाम से एक शासन व्यवस्था का नाम "डेमाेक्रेसी" रखा गया अाैर लाफिङ्ग फिलाेशाैफर भि कहा जाता है) अाैर ए दाेनाें सुकरात अाैर डेमाेक्रिटस मेरे असली हिराे हैं परन्तु सुकरात से हि दर्शन का शुरूवात हुअा यह कहना बिल्कुल गलत हाेगा जाे ईस ईपिसाेड के शुरूवाती वचन है ! डेमाेक्रिटस पहला दार्शनिक थे जाे, सुकरात से पहले, पूरे विश्व का भ्रमण पैदल कर सभि देश का शासन व्यवस्था का अनुसन्धान किया था, झाेले में सत्तु लेकर घुमते थे, हमेशा हँसते थे ! क्या यह दु:ख नहिं था ? अाज हमारे जेनेरेशन के लाेग मानव कल्याण पर रिसर्च के लिए कितने दु:ख उठाते हैं ? मेरे विचार में सुकरात का जीवनगाथा अतुलनीय अपना हि ढंग से है ! ❤️🌼🌷🙏🙏🙏🙏🙏
प्रिय सज्जनों! भगवान श्री कृष्ण कहते हैं- यह मेरी ऋगुनमई प्रकृति गर्भधारण करनेवाली माता और मैं परम चेतन ही बीज रूप से पिता हूं| संसार के माता-पिता तो निमित्त मात्र हैं| इसलिए जब भजन का अभ्यास इतना उन्नत हो की सूरत( मन दृष्टि) का संबंध परमात्मा से जुड़ जाए तत्क्षण व प्रभु हृदय से जागृत होकर आत्मा से रती हो जाते हैं| उन्हीं के निर्देशन में जीव संसार से लौटकर अपने उद्गम यानी परमात्मा की ओर स्वरूप की और गमन करने लगता है| जहां परमात्मा प्रभु का नाम आया है वही अरबी भाषा में खुदा कहते हैं
मनुष्य को अपने जीवन का सत्य पता होता है लेकिन उसमे धूल जम जाता है अपने आस पास के माहौल की वजह से आप अच्छे से जानते हो सही क्या है और गलत क्या है किन्तु लोगो की देखा देखी वो ऐसा कर रहा है तो मै क्यू सही करु मै तो उससे भी बेहतर बुरा कर सकता हु बस और आज जो आप देख रहे हो इसी का नतीजा है
Reality hai uss mahan sukrat may saja dene wala krur raja ko nahi janta kintu sukrat ko janker aaj v unse prem ho jata hai ye asli satya ki pahchan jise mitaya nahi ja sakta ye satya ki takat