नरेन्द्रं फणीन्द्रं सुरेन्द्रं अधीशं,
शतेन्द्रं सु पूजैं भजै नाय शीशं ॥
मुनीन्द्रं गणेन्द्रं नमो जोडि हाथं,
नमो देव देवं सदापार्श्वनाथ। ॥1॥
गजेन्द्रं मृगेन्द्रं गह्यो तू छुड़ावै,
महा आगतैं नागतैं तु बचावै॥
महावीरतैं युध्द में तू जितावै,
महा रोगतैं बंधतैं तू छुड़ावै ॥2॥
दु:खी दु:खहर्ता सुखी सुक्खकर्ता,
सदा सेवकों को महानन्द भर्ता ॥
हरे यक्ष राक्षस भूतं पिशाचं,
विषं डांकिनी विघ्न के भय अवाचं ॥3॥
#श्रीपारसनाथस्त्रोत्र
21 авг 2024