All students had wore uniforms & their footwears had kept at outside of classrooms. Such government school must have desks & benches instead of carpets.
Shikshak ki sankhya shi anupat me nhi h ..bihar ke sch me ..10 varsho se khi Matra 40-50 bachhe vha 7 teacher h vhi usi pancjayat me 140 bachho pr 3 teacher prabhari sahit..sb brc aur brp ke kushal netritva me hota h ..
विश्वास ही नहीं हो रहा है कि सरकारी स्कूल में इस तरह का अनुशासन एवम विद्यार्थी बिना हिचक अपनी बात रख रहे है।बहुत अच्छा लगा।शिक्षक एवम विद्यार्थी का अनुशासन सराहनीय है। हर सरकारी स्कूल को इस तरह का अनुकरण करना चाहिए।
क्या अच्छा बिजनेस है।कभी बुराई ही बुराई दिखती है।अब अच्छाई ही नजर आ रही ।बुराई दिखती तो चप्पल की दूकान नजर आती ।हिम्मत नहीं दिखाई है सिखाया गया है ।बच्चे क्या जाने शिक्षक किन किन कामों में लगाए जाते हैं । ।
कार्यक्रम पूर्णतया प्रायोजित है ।शिक्षक क्लास में भी धूप से परेशान नजर आए ।क्या समय आ गया है ।शिक्षक की मर्यादा नहीं रोजी-रोटी का नाता है ।नाचना गाना शिक्षक के गुण हो गये ।राष्ट्र गान का अभ्यास ही नहीं बंगाल तिरंगा का ताल बैठाया जा रहा है ।मानक लय मालूम नहीं ।पता नहीं अध्यापको को पूरे कार्य काल में राष्ट्रगान याद हो जाता है या नहीं उसका अर्थ और परिस्थिति कौन पूछे।
प्राइवेट स्कूल में जूता चप्पल खोलने की जरूरत नहीं पङती है क्योंकि वहां बेंच पर बैठने की व्यवस्था होती है।आप स्कूल में जाकर वैसा व्यक्ति का उदाहरण दे रहे है जो एक ब्राह्मण के कहने पर एक शुद्र को पढ़ने पर गर्दन काट दिया था।