मुकेश भाई मेरा एक प्रश्न है जो आदिवासी भाईयो से जरूर पूछिए जब बस्तर में सड़कें नहीं है और आने जाने के रास्ते भी बहुत खराब है बीच में नदी नाले भी पड़ते हैं तो इन माओवादियों के बुत स्तंभ बनाने के लिए सीमेंट और बाकी के मैटीरियल की सप्लाई क्या हैलीकॉप्टर से होती है? जिंदा आदमी के लिए कच्चे मकान और मुर्दे की यादगार के लिए पक्के बुत स्तंभ क्या यह हैरान करने वाली बात नहीं है।जब माओवादियों के पास मुर्दे आदमी की यादगार बनाने के लिए पैसे है तो वो इन मजबूर आदिवासी भाईयो के लिए पीने का पानी, तालाब स्कूल व अस्पताल क्यो नही बनवा देते। माओवादी अपने आपको आदिवासियों का हितैषी बताते हैं तो वो हथियार, गोला बारूद खरीदने की बजाय इन मजबूर आदिवासी भाईयो के सुख सुविधा पर अपने पैसे क्यो नही खर्च करते। ज्यादा भावुकता दिखानें की बजाय यह भी पत्रकारिता में दिखानें की बात है कि माओवादी इन गरीब आदिवासीयों की इस दुर्दशा के लिए पूर्ण रूप से जिम्मेदार है। माओवादियों को सरकार के साथ शांति वार्ता कर इन आदिवासी भाईयो को अपनी बंदूक के डर से आजाद करना चाहिए।
जिन सरकारों ने 70 साल में अबूझमाड़ की सुध नही ली। जो सिर्फ और सिर्फ पूंजीवादी कार्पोरेट घरानों की चाकरी के अलावा कुछ नही करती। जो अरबों खरबों रुपये डकार कर विदेशों में भाग जाने वालों की पूंछ का एक बाल भी नही हिला सकी। उन सरकारों की प्रशंसा करने वालों की बुद्धि पर तरस खाने के अलावा और किया भी क्या जा सकता है ????
माओवादी तो 10-20-30 साल से होंगे। सरकार 75 साल से क्या झख मार रही थी। अगर सरकारों ने जनता की सुध ली होती तो देश मे कम्युनिस्ट, सोशलिस्ट या माओइस्ट बिल्कुल भी नही पनप सकते थे। अपने हालातो से दुःखी लोग ही मरने मारने पर उतारू होते हैं। जिन्हें कुछ नही मिला वही जोशो खरोस हैं, जिन्हें सब मिल गया वो चुप और खामोश हैं। हँसदेव के जंगलों की कटाई हो या बैलाडीला खदानों का दोहन हो यह सब कार्पोरेट घरानों के लिए ही किया जा रहा है।
🙏 बहुत अच्छा रिपोर्टिंग सर, छत्तीसगढ़ में नर्सिंग कर लाखों बच्चे तैयार है भर्ती कर ऐसे जगह अस्पताल खोले, जिसमें बच्चे को नौकरी और आम जनता को स्वास्थ्य लाभ सरकार इस पर विचार करे धन्यवाद 🙏
मैं यू .पी. से हू।आपके कई video देख चुका हूँ।मैं इस निष्कर्ष पहुँचा हूँ कि ये आदिवासी माओवादियों की भाषा बोलते हैं।माओवादियों का कहना कि सड़कें और पुल नहीं बनना चाहिए ।इनका भी यही कहना है।यदि सड़कें और पुल नहीं बनेंगे तो विकास और शिक्षा भी नहीं पहुंचेगी। शायद ये माओवादियों के डर से विकास के खिलाफ हैं।
Mineral ka lia logo ko waha sa nikal dia jata ha . Aur ya Mineral jata kha ha Jara pata lagao. Company final good ka nahi Banta bas mines Company bana kar waha ka resources gujrat mahabharat lekar chala jata ha samjhe. Aur haa govt pura ka pura mountain private company ko chilar ka fao ma bech deta ha badle ma party fund ma crore rs leta ha.
Iske piche maowad he jinke dar se in gramin ka jeevan star nahi sudhar paya Me madhya pradesh pithampur ka niwasi hu industrial devrlopment se humari taqdeer badal gai