बाजारू फिल्मों की धुन पर बना भजन मे भक्ति का भाव नही जग पाता है और यह एक साधारण मनोरंजन भर रह जाता है। पैसे के खातिर बिकाऊ भजन-गायक किसी भी धुन पर भजन बना देते हैं। इससे हमारी संस्कृति का पतन होता है। सनातन धर्मियों सावधान।
बुन्देली भाई साहब आपने सारी टेन्शन दूर कर दी मेरी बदकिस्मती है जो मै यूपी से हू बुन्देलखण्ड के सभी भाइयो को मेरा प्रणाम पहुचे जय बुन्देलखण्ड शालिनी सिंह मूसानगर उत्तर प्रदेश
आदरणीय गीत बहुत ही सुन्दर है.. पर एक शिकायत हैं । ये गीत कानपूर के प्रसिद्ध कीर्तनकार स्वर्गीय,, जबाहर लाल जिद्धी,,, जी का लिखा हुआ है,, कृपया गाने से पहले ये जरूर जरूर बताये. कि गीत किसका लिखा हुआ है...! "
भाई साहब सिर्फ मुखिया जी ही एक मात्र ऐसे कलाकार हैं जो गीत के पहले या गीत के बीच में गीतकार का नाम जरूर बोलते हैं शायद भूल बस इस गीत में ऐसा हो गया हो आपने हमारा इस ओर ध्यान आकर्षित कराया इसके लिए हम आपके बड़े आभारी हैं