देख ली हजार बार साम तो सुहानी पर एक बार सुबह सवेरे में बुलाइये, दूर रहकर मन नही मानता है आस-पास खास किसी घेरे में बुलाइये, मान मेरी बात कर मुलाकात उजाले को छोड़कर अंधेरे में बुलाइये, ओर एक-आध हनिप्रित मै भी देख लूंगा कभी ढेर वाले बाबा मुजे ढेर में बुलाइये
5 сен 2019