ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ Wahe guru ji Wahe guru ji. Wahe guru ji Wahe guru ji Wahe guru ji Wahe guru ji वाहेगुरु जी वाहेगुरु जी वाहेगुरु जी वाहेगुरु जी वाहेगुरु जी वाहेगुरु जी वाहेगुरु जी वाहेगुरु जी वाहेगुरु जी ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਕਾ ਖਾਲਸਾ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਕੀ ਫਤਿਹ ਜੀ
महात्मा कबीर साहिब जी का वचन है, पारस और संत में बड़ो अंतरो जान वो लोहा कंचन करे , गुरु कर ले आप समान, सच्चा गुरु , जीवित गुरु का यह परसाद होता है , कि वह अपने शिश को अपने समान कर लेता है, यानि शब्द समान , शब्द में ही मिला लेता है, और शब्द रूप ही हो जाता है। सच्चे गुरु का परसाद इसको कहते हैं। जुगो जुग चलंदी गुरु पीढ़ी , यह गुरु नानक देव जी के वचन है, गुरु पीढ़ी जुगों से चलती आ रही है आज भी है और आगे के जुगों में भी रहेगी, गुरु नानक देव जी से पहले से ही चली आ रही है, उनके बाद भी चलती रहेगी, जब से सृष्टि की रचना हुई है ,तभी से चली आ रही है, शब्दै धरती शब्दै आकाश शब्दै शब्द भया परकाश सगली सृष्ट शब्द के पाछै नानक शब्द घट ए घट आछै वह शब्द घट घट में मौजूद है हर शरीर में मौजूद हैं घट घट मेरे साईंयां सूनी सेज़ ना कोए बलिहारी वा घट के जिस घट परगट होए। यह कबीर साहिब जी के वचन हैं
Badlav insan de andar hunda hai, subaah vich , nek karm de kaarn , Karmi aapo aapni ke nere ke dooor, Jo beejai so luney , karma sandra khet , jo karm kraangey , usda fal hi milega dunia apne apne keetey hoye karma naal chaldi hai,