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☀️"निर्विचार समाधि का अर्थ"☀️ भाग 1🌹 🌹22 मार्च 1993🌹Scouting Camp🌹नई दिल्ली🌹🙏 

Sahajyoga way of salvation
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🙏🌹परम पूज्य श्री माताजी की दिव्य वाणी🌹🙏
🌹सहजयोग का ज्ञान सूक्ष्म ज्ञान है और सूक्ष्म ज्ञान को प्राप्त करने के लिए हमें ही सूक्ष्म होना है और ये सूक्ष्मता क्या है कि हमें आत्मा स्वरूप होना है, क्योंकि आत्मा का अपना प्रकाश है, जब ये प्रकाश हमारे ऊपर प्रगटित होता है तो उस आत्मा के प्रकाश में ही इस सूक्ष्म ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं, आत्मा परमात्मा का प्रतिबिम्ब है और कुण्डलिनी जो है वो आदिशक्ति का प्रतिबिम्ब है।*
जब तक हम वर्तमान में नहीं रहेंगे तब तक हमारी आध्यात्मिक उन्नति नहीं हो सकती है क्योंकि जो पीछा था गत वो तो खत्म हो गया और आगे का तो अभी है ही नहीं, पता नहीं क्या है, असलियत है वो है वर्तमान, पर इसमें बुद्धि ठहर नहीं सकती, इसमें मन ठहर नहीं सकता है, ये विचार ऐसे उठते हैं लहरों जैसे, कुण्डलिनी जब आपकी उठती है तो क्या होता है कि विचार लंबा खिंच जाता है, इन दोनों विचारों के बीच में जो स्थान है उसे विलंब कहते हैं, इस विलंब स्थिति में आप आ जाते हैं और विलंब की स्थिति बहुत संकीर्ण होती है और ये बढ़ जाती है, यही वर्तमान है, इसमें आप निर्विचार हो जाते हैं।
*आप जब अपने चक्रों और दूसरों के चक्रों के बारे में जानने लगते हैं तो स्वयं को और दूसरों को ठीक कर सकते हैं।🌹
☀️"निर्विचार समाधि का अर्थ"☀️
भाग 1
22 मार्च 1993
Scouting Camp
*नई दिल्ली*🙏

Опубликовано:

 

15 сен 2024

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