🌹 परम पूज्य श्री माताजी की दिव्य वाणी 🌹
कलियुग में क्षमा के सिवाय और कोई भी बड़ा साधन नहीं है और जितनी क्षमा की शक्ति होगी, उतने ही आप शक्तिशाली होंगे, सबको क्षमा कर दें, क्षमा वही कर सकता है जो बड़ा होता है, छोटा आदमी क्या क्षमा करेगा।
धर्म को जानिये, अपने अंदर के जो धर्म है उसको जानिये, हम धर्म में खड़े हैं, जो अधर्म खड़ा है उससे हमारा कोई मुकाबला नहीं है, अंतर धर्म कुछ नहीं सिर्फ प्रेम है, जब प्रेम ही सब कुछ है तो क्षमा उसका एक अंग है।
कोई सा भी decision लेने से पहले निर्विचारिता में जाओ, अपने आप decision जो सामने आ जाये वही करियेगा, वो कभी गलत हो ही नहीं सकता, पर decision निर्विचारिता में जो कर लिया वो spontaneous होगा और जो निर्विचारिता में नहीं किया वो bios होगा, क्योंकि उसमें आपके Ego और Super Ego दोनों काम कर रहे हैं।
इस नश्वर देह के अंदर कितनी अनश्वर चीज बह रही हैं जैसे कि गंगा, सरस्वती और जमुना तीनों के संगम की धारा बह रही हो।
*इस बात को जान लें कि सहजयोग में आप समष्टि में हैं।🙏🌹
"क्षमा की शक्ति का महत्व"
20 दिसम्बर 1975
मुम्बई
15 сен 2024