Award to this film Gave it after 27 years | #foryou | #sholay #amjad_khan | #creatingforindia
15 अगस्त 1975 को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रिलीज हुई इस फिल्म के बाद कुछ ही हफ्तों में अमजद खान शोहरत की बुलंदियों पर पहुंच चुके थे.... चारों ओर गब्बर के चर्चे होने लगे... और देखते ही देखते उनके बोले डायलॉग्स लोगों की जुबान पर चढ़ने लगे...
शोले...जो फिल्म सालों बाद भी बेहतरीन फिल्मों में शुमार की जाती है... इस फिल्म की कहानी हो... किरदार हों या डॉयलॉग्स... आज भी इनका कोई मुकाबला नहीं... हर किरदार को इस तरह गढ़ा गया कि लगभग 50 साल बाद भी लोग उन्हें याद करते हैं...
जिस फिल्म को 27 साल बाद 50वें फिल्मफेयर अवॉर्ड में 50 साल की सबसे बेहतर फिल्म करार दिया गया...और जिसे बीबीसी ने फिल्म ऑफ मिलेनियम के खिताब से नवाजा...
क्या आप सोच सकते हैं कि गब्बर सिंह के दमदार रोल को जानने के बाद इसे फिल्म के तीनों लीड एक्टर भी निभाना चाहते थे और बड़ी मुश्किल से अमिताभ, संजीव कुमार और धर्मेंद्र को इसे ना करने के लिए राजी किया गया...इन किरदारों का जादू ऐसा रहा कि ये उन्हें निभाने वाले कलाकारों की पहचान बन गए... जय वीरू के रुप में अमिताभ और धर्मेंद्र की जोड़ी तो सुपरहिट रही वहीं बाकी किरदार भी इतने दमदार थे कि आज भी असल जिंदगी में कई बार उनका इस्तेमाल किया जाता है... इनमें सबसे लोकप्रिय किरदार था डाकू गब्बर सिंह का...
15 अगस्त 1975 को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रिलीज हुई इस फिल्म के बाद कुछ ही हफ्तों में अमजद खान शोहरत की बुलंदियों पर पहुंच चुके थे.... चारों ओर गब्बर के चर्चे होने लगे... और देखते ही देखते उनके बोले डायलॉग्स लोगों की जुबान पर चढ़ने लगे...
दरअसल सलीम-जावेद ही नहीं निर्माता निर्देशक रमेश सिप्पी भी डेनी डेंजोंगपा से गब्बर का रोल कराने के इच्छुक थे... उस समय विलेन के तौर पर डैनी रुपहले पर्दे पर छाए हुए थे. वह पहले ही कई फिल्मों में शानदार अभिनय का लोहा मनवा चुके थे... 1973 की मर्डर मिस्ट्री फिल्म धुंद में ठाकुर रंजीत सिंह के किरदार की कामयाबी के बाद वह भी लगातार फिल्में कर रहे थे..
शोले की शूटिंग शुरू होने में कुछ ही सप्ताह का समय रह गया था ऐसे में डैनी के मना करने से फिल्म के निर्माता निर्देशक के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया... इसके बाद गब्बर के लिए नए कलाकार की तलाश शुरू हुई... गब्बर जैसे खास किरदार को निभाने के लिए ऐसे दमदार कलाकार की तलाश थी जो किरदार के साथ तो इंसाफ करे ही साथ ही अपने करिश्माई व्यक्तित्व से जय, वीरू और ठाकुर जैसे दमदार किरदारों और अमिताभ, धर्मेद्र और संजीव कुमार जैसे मंजे हुए कलाकारों पर भी भारी पड़े....
अमजद खान के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने कुछ ही दिनों में अपना वजन बढ़ाया और आवाज में भी काफी बदलाव किए... ऑडीशन से पहले उन्होंने अपनी दाढ़ी बढ़ा ली और दांत भी काले कर लिए थे... आखिरकार गब्बर के रोल के लिए उनका ऑडिशन हुआ और उन्होंने वह कर दिखाया जिसकी रमेश सिप्पी को तलाश थी... 20 सितंबर 1973 को उन्हें गब्बर के रोल के लिए साइन कर लिया गया...इतनी बड़ी सुपरहिट ब्लॉकबस्टर होने के बावजूद केवल फिल्म के एडिटर एम एस शिंदे को उनकी लाजवाब एडिटिंग के लिए ही अवॉर्ड मिला... बाद में बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के लिए अमजद खान को, सिनेमेटोग्राफी के लिए द्वारका दिवेचा और बेस्ट आर्ट डायरेक्शन के लिए राम यादेकर को अवार्ड दिया... इसके 27 साल बाद 50 वें फिल्मफेयर अवॉर्ड में शोले को पिछले 50 सालों की सबसे बेहतर फिल्म के रूप में दोबारा नॉमिनेट किया गया और इस बार फिल्म ने अवॉर्ड भी जीता... बीबीसी ने 1999 में इस फिल्म ऑफ मिलेनियम का अवॉर्ड दिया...वहीं ब्रिटिश फिल्म इंस्टीट्यूट ने इसे सर्वश्रेष्ठ 10 भारतीय फिल्मों में शुमार किया…
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DHEERAJ BHARDWAJ JEE (DRAMA SERIES INDIAN),
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31 окт 2023