बिहार: काशी धाम बनते-बनते रह गया कहलगांव का बटेश्वर, पुराणों में है उल्लेख
भागलपुर का कहलगांव किसी जमाने में ऋषियों की तपोभूमि रही है. इस इलाके में गुरु वशिष्ठ ऋषि दुर्वासा और ऋषि कोहल ने तपस्या की थी. ऋषि कोहल के नाम से इस क्षेत्र का नाम कहलगांव पड़ा.
ऋषियों की तपोभूमि रही है कहलगांव की धरती
न्याय दर्शन और तंत्र विद्या के अध्ययन की विशेष व्यवस्था
कोहल ऋषि के नाम पर पड़ा गांव का नाम
बिहार का एक मंदिर जिसकी वजह से विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना हुई. ये वो भी जगह है जहां काशी नगर को बसाया जाना था लेकिन एक जौ बराबर (थोड़ी) जगह कम पड़ने के कारण काशी को बनारस जाना पड़ा. गुरु वशिष्ठ ने इस स्थान पर महादेव की पूजा की थी इन्हें वशिशेश्वर महादेव कहा जाता है. कालांतर में ये बटेश्वर महादेव कहलाए. यहां गंगा महादेव को पखारने के लिए उत्तरवाहिनी कैसे होती है ये अद्भुत छांटा देखने के लायक है. पटना से 300 किलोमीटर दूर कहलगांव में तंत्र विद्या के लिये बेहद उपयुक्त स्थान जिसे गुप्त काशी भी कहा जाता है.
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15 сен 2024