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Ek Kahani Yeh Bhi For Class 10th Detailed Explained using Animations...
So stay tuned and enjoy the Video...
Summary...
एक कहानी यह भी पाठ में लेखिका मन्नू भंडारी ने अपने जीवन की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन किया है। लेखिका का जन्म मध्य प्रदेश के भानपुरा गाँव में हुआ था, लेकिन उनका बचपन अजमेर में बीता। उनके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे और देशभक्त थे। वे चाहते थे कि उनकी बेटी भी पढ़-लिखकर देश की सेवा करे।
लेखिका की बड़ी बहन सुशीला गोरी थीं, जबकि लेखिका काली थीं। पिता हमेशा उनकी तुलना सुशीला से करते और उन्हें नीचा दिखाते थे। इस कारण लेखिका हमेशा हीनता का अनुभव करती थीं।
लेखिका के पिता का अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोष प्रकाशित करने के बाद आर्थिक स्थिति खराब हो गई। इससे वह चिड़चिड़े और गुस्सैल हो गए। वे अक्सर लेखिका और उनकी माँ पर चिल्लाते-गाली-गलौज करते थे।
सावित्री गर्ल्स कॉलेज में पढ़ाई के दौरान लेखिका की मुलाकात हिंदी प्राध्यापिका शीला अग्रवाल से हुई। शीला अग्रवाल ने लेखिका में साहित्य और देशभक्ति की भावना को जागृत किया।
1946-47 के दौरान भारत में स्वतंत्रता आंदोलन चल रहा था। लेखिका भी इस आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने लगीं। उन्होंने कई धरने-प्रदर्शनों में हिस्सा लिया और स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले लोगों का समर्थन किया।
उनकी इस गतिविधि से उनके पिता नाराज हो गए। उन्होंने लेखिका को घर से बाहर निकलने से मना किया, लेकिन लेखिका नहीं मानीं। अंततः, कॉलेज ने लेखिका और कुछ अन्य छात्राओं का प्रवेश निषिद्ध कर दिया।
इस घटना से लेखिका के पिता को अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्होंने लेखिका से माफी मांगी और उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने की अनुमति दी।
लेखिका ने 15 अगस्त, 1947 को भारत की स्वतंत्रता का जश्न अपने पिता के साथ मनाया। यह उनके जीवन की सबसे बड़ी खुशी थी।
पाठ के प्रमुख बिंदु
🔹लेखिका का बचपन अजमेर में बीता।
🔹उनके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे और देशभक्त थे।
🔹लेखिका की बड़ी बहन सुशीला गोरी थीं, जबकि लेखिका काली थीं।
🔹पिता हमेशा लेखिका की तुलना सुशीला से करते थे।
🔹लेखिका के पिता का अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोष प्रकाशित करने के बाद आर्थिक स्थिति खराब हो गई।
🔹इससे वह चिड़चिड़े और गुस्सैल हो गए।
🔹सावित्री गर्ल्स कॉलेज में पढ़ाई के दौरान लेखिका की मुलाकात हिंदी प्राध्यापिका शीला अग्रवाल से हुई।
🔹शीला अग्रवाल ने लेखिका में साहित्य और देशभक्ति की भावना को जागृत किया।
🔹1946-47 के दौरान भारत में स्वतंत्रता आंदोलन चल रहा था।
🔹लेखिका भी इस आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने लगीं।
🔹उनकी इस गतिविधि से उनके पिता नाराज हो गए।
🔹कॉलेज ने लेखिका और कुछ अन्य छात्राओं का प्रवेश निषिद्ध कर दिया।
🔹इस घटना से लेखिका के पिता को अपनी गलती का एहसास हुआ।
🔹उन्होंने लेखिका से माफी मांगी और उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने की अनुमति दी।
🔹लेखिका ने 15 अगस्त, 1947 को भारत की स्वतंत्रता का जश्न अपने पिता के साथ मनाया। यह उनके जीवन की सबसे बड़ी खुशी थी।
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15 сен 2024