प्राचीन गुरुकुलों जैसा अनुभव करवाता है पौंढा का गुरुकुल
युवा वर्ग को आत्मनिर्भर बनाने का मिलता है प्रशिक्षण
जयपुर। एक समय हमारे देश में गुरुकुलों की अच्छी संख्या थी लेकिन ब्रिटिश शासन के दौरान गुरुकुल पूरी तरह से समाप्त कर दिए गए। इससे आत्मनिर्भर युवा पीढ़ी का निर्माण भी बंद हो गया। उन शिक्षण संस्थानों में युवा पीढ़ी को पूरी तरह से सक्षम बनाने का शिक्षण कार्य किया जाता था। इसके साथ जीवन में काम आने वाले संस्कारों का भी बीजारोपण उनमे किया जाता था। जीवन के आदर्श उनके सामने रखे जाते थे तो शिक्षकों का जीवन भी आदर्शमय होता था।
वर्तमान समय में देश में कई जगह गुरुकुल खुलने लगे है। इन गुरुकुलों की अधिकतर जगह प्रकृति के निकट होती है। ऐसा ही उत्तराखंड का पौढ़ा का गुरुकुल है जो पूरी तरह से पहाड़ों के बीच में और हरियाली के बीच स्थित है। यहां शांति के बीच रहकर विद्याथी अध्ययन भी करते है तो अपने को शारीरिक रूप से मजबूत बनाने का भी अभ्यास करते है। इसके लिए इन्हें प्रतिदिन मलखंभ, योग प्राणायाम, सूर्य नमस्कार आदि का अभ्यास करवाया जाता है। इसके साथ ही इन छात्रों को नियमित दौड़ भी लगवाई जाती है।
8 июн 2024