बचपन की यादें ताजा हो गई सुनके। आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद जो हमारी बचपन की यादों को इतनी सुंदर बनाने के लिए। रेडियो मे सुनते थे कितना आनंद मिलता था ,आज वही आनंद की अनुभूति हुई।😊
बहुत सुन्दर प्रस्तुति हमारे बस्तर के लोक कलाकारों द्वारा, शिवराम दादा की पुरानी हल्बी फिल्मों को अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में देखते रहते है और उनका हल्बी फ़िल्म का डायलोड कई लोग बोलते रहते है,मैं भी दादा का ऐक्टिंग का भरपूर आनंद लेता रहता हूँ। दादा असने आमी बस्तरिया मन के आपलो प्रस्तुति ले मंत्रमुग्ध करते रहा, और खुबे दिन होली एक हल्बी फ़िल्म रिलीज नी करिस ....🙏🙏🙏
Make aur amcho Bastar cho parmparik lok geet khub accha lagli ...aur asne kai Parkar cho Bastar cho Kala ke aur nikhara make aur kai macho man me kai sand no ay itaro accha lagli...
ऐसे पांपरिक लोक गीतों को सुनने से दिन का शुरुआत होती है lमाइंड में कितने भी टेंशन रहता है पूरा फ्रेश हो जाता है l आशा करता हूं आगे भी ऐसे ही गीतों का लेख हो और हमें सुनने में आनंद की प्राप्ति हो l
Bahut hi badiya bastar ki parmparik lok geet mujhe sun kar bahut hi sand laga mere man ko aage bhi aysi hi song youtube me bheje rahiye jai bastar jai chattisgarh
मै भाग्यशाली हूॅ की मै बस्तर जैसे पवित्र स्थल पर मेरा जन्म हुआ,, जहा पर अपनी पुरातन परम्परागत सांस्कृतिक को अभी भी सम्मानित है, मै बस्तर की देवी माँ दन्तेश्वरी को सह ह्रदय से नमन करके बस्तर की परम्परागत सांस्कृतिक को बचाए रखने की कामना करते हूॅ, मोडल जमाने के लोग ना आए जिससे हमारे बस्तर की परम्परागत सांस्कृतिक की धरोहर का विलुप्त हो, हे माँ रक्षा करना,