Dharmveer Das - Jail Warden of Rohtak Jail during Karontha Kand describing his miracle and experience about Satguru Rampal Ji Maharaj www.jagatgururampalji.org
Jai ho bandi chhod ji, Sat guru Rampal ji maharaj ji ki jai. Very soon every one will know the Mahima of Rampal ji Maharaj. WHO IS THE ONLY TRUE RELIGIOUS TEACHER IN THE WORLD, WHO TOLD US THE REAL ADHYATMIK MARG AND REAL PARMESHWAR ''KABIR SAHEB JI''. sat sahib ji
सत साहेब जी धन्यवाद मेरे कंडेले वाले सेवादार जो के ड्यूटी में बी सेवा और संत रामपाल जी परमेश्वर जी के ज्ञान से परिपूर्ण हो सेवा करने वाले मेरे मन के काजल को धोने वाले अति आभार सव्यम ईश्वर ने मुझ मूर्ख अभिमानी के लिए ये वीडियो भेजा है हे बंदी छोड़ संत कबीर साहेब रूप रामपाल जी परमेश्वर को दंडोतम परनाम
#GodMorningSaturday सतलोक में भी पृथ्वी जैसी सृष्टि है। लेकिन वहां सब कुछ अमर तत्व से बना हुआ है जो कभी खराब नहीं होता वहाँ न मृत्यु है न ही किसी प्रकार का रोग। 🙏अधिक जानने के लिए पढ़ें पुस्तक 📚📚 ‛गीता तेरा ज्ञान अमृत’
राम नाम की लूट मची हैं लूट सको तो लूट लो फिर फिर पाछे पसतायेगा प्रणी जब प्राण जायेगा छूट.... बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान की जय हो.... देखिये साधना टीबी पर श्याम 7.40=8.40तक
(सत कबीर की साखी -पृष्ट 179 से 182 तक ) -: पीव पिछान को अंग :- कबीर- तीन देव को कोई ध्यावैं, चौथे देव का मरम न पावैं | चौथा छाड पंचम को ध्यावैं, कहै कबीर सो हम पर आवै || कबीर, ओंकार निश्चय भया, यह कर्ता मत जाना | साचा शब्द कबीर का, परदे मांही पहचान || कबीर, राम कृष्ण अवतार है इनका नांही संसार | जिन साहेब संसार किया सो किन्हूॅ न जन्म्या नार || कबीर, चार भुजा के भजन मे, भूली परे सब संत | कबीरा सुमरो तासु को जाके भुजा अनंत || कबीर, समुन्द्र पाट लंका गये सीता को भरतार | ताहि अगस्त मुनि पीय गयो इनमे को करतार || कबीर गोवर्धन गिरि धारयो कृष्ण जी द्रोणागिरि हनुमंत | शेष नाग सब सृष्टि सहारी इनमे कोई भगवंत!|| कबीर, काटे बंधन विपत्ति मे कठिन किया संग्राम | चिन्हों रे नर प्राणियां गरूड बडो की राम || कबीर, कह कबीर चित चेतहूॅ शब्द करौ निरूवार | श्री रामहि कर्ता कहत है भूलि परयो संसार || जिन राम कृष्ण व निरंजन कियो सो तो करतार न्यारा | अंधा ज्ञान न बूझई कहै कबीर विचार ||
God Kabir says that - कबीर, तीन लोक पिंजरा भया, पाप पुण्य दो जाल। सभी जीव भोजन भये, एक खाने वाला काल।। गरीब, एक पापी एक पुन्यी आया, एक है सूम दलेल रे। बिना भजन कोई काम नहीं आवै, सब है जम की जेल रे।।..
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