सर जी नमस्ते। मैं यह जानना चाहता हूँ कि जो विडिओ वाले गाइडिड मेडिटेशन हम करते हैं क्या वे लाभकारी हैं? अथवा हमें बिना हेडफोन के साधारण अवस्था में ध्यान लगाना चाहिए? मेरी बहुधा ईडा नाड़ी सक्रिय रहती है माने चंद्र स्वर चलता रहता है, सूर्य स्वर बहुत कम समय के लिए चलता है डेविएटिड सेप्टम के कारण। काफी प्रयास करने पर भी शरीर स्थिर नहीं रह पाता है और रीढ़ को बहुत देर तक तान कर नहीं रख पाता हूँ। विचारों का भी आना जाना चलता रहता है। गाइडिड ध्यान के समय तो ध्यान मे जो बताया जा रहा होता है उसपर मन केंद्रित रहता है परंतु मन मे दुविधा रहती है कि मूल ध्यान तो बिना किसी निर्भरता के होना चाहिए। यदि "शून्य" की स्थिति बहुत दिनों के अंतराल मे कुछ सेकेंड के लिए घट जाती है और उसको फिर से दोहराने की चाहना रखना भी क्या वासना है? कृपया बताएं कि बिना शून्य का अनुभव हुए जो समय हम मन को कहीं एकाग्र करने का प्रयास मे लगाते हैं वह क्या वास्तव में 'ध्यान' कहलाने योग्य है? आत्मवंदन